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PATNA (22 March): देश के तमाम सूखाग्रस्त क्षेत्र की तरह पटना में भी जल संकट गहराने वाला है. कारण है यहां ग्राउंड वाटर लेवल का लगातार घटना. बढ़ते शहरीकरण, ग्राउंड वाटर का अंधाधुंध दोहन और जल खपत की मात्रा के मुताबिक रिचार्ज नहीं होना इस समस्या की जड़ है. व‌र्ल्ड वाटर डे के मौके पर विशेषज्ञों ने दैनिक जागरण आई नेक्स्ट को बताया कि अब भी नहीं चेते तो सूख जाएंगे पटना के हलक. ग्राउंड वाटर बोर्ड के अध्ययन के अनुसार पटना में इसका स्तर 10 से 15 फीट तक नीचे चला गया है. जगह- जगह डीप बोरिंग के कारण वाटर रिचार्जिग पर प्रतिकूल असर पड़ा है.

पटना की स्थिति बेहद चिंताजनक

पटना गंगा नदी के तट पर बसा ऐतिहासिक शहर है. पहले जहां केवल कृषि और छोटे से ह्यूमन सेटेलमेंट की जरूरतों को गंगा नदी पूरा करती थी आज इस पर बढ़ती आबादी का बोझ है. एक आंकडे़ के अनुसार मात्र गंगा का 16 फीसदी जल ही मानवीय प्रयोग में था जो आज कई गुणा बढ़ चुका है. बारिश में लगातार कमी, वाटर रिचार्जिग नहीं के बराबर होना और शहरीकरण के कारण पटना के कई हिस्सों में प्राकृतिक रूप से अस्तित्व में रहे तालाब तेजी से समाप्त हो गए हैं. सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड के हाल के अध्ययन में संपतचक और मसौढ़ी में सबसे अधिक ग्राउंड वाटर के स्तर में कमी आयी है.

मिट्टी नहीं धारण कर पाती पानी

ग्राउंड वाटर की रिचार्जिग और इसके लेवल में गड़बड़ी एक -दूसरे से अभिन्न रूप से जुड़े हुए हैं. एनआईटी पटना के सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में प्रोफेसर विवेकानंद सिंह ने बताया कि जल धारण की क्षमता को लेकर दो बातें हैं एक मिट्टी का प्रकार और दूसरा इसका टोपोग्राफी. यहां अधिकांश क्ले टाइप स्वाइल है. इसकी जल धारण की क्षमता बहुत कमजोर होती है. जबकि लैंड टोपोग्राफी ऐसी नहीं जिसमें पानी प्राकृतिक रूप से जमा हो.

राज्य के 11 ब्लॉक सेमी क्रिटिकल

सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड के हालिया अध्ययन के मुताबिक राज्य के 11 ब्लॉक में ग्राउंड वाटर रिजरवायर सेमी क्रिटिकल स्टेज में हैं. चेतावनी की बात यह है कि इसमें पटना के मसौढ़ी और संपतचक शामिल हैं. इसके अलावा नवादा के मशकौर, अरवल के कुर्था, बेगूसराय के बीरपुर और नौकोठी, मुजफ्फरपुर के मुसहरी, गया (सदर), नालंदा के राजगीर और नगरनौसाऔर समस्तीपुर के ताजपुर सहित अन्य शामिल हैं.

Posted By: Manish Kumar