- फ्यूल हाइक के मुद्दे पर दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट की ओर से ऑर्गनाइज हुआ ग्रुप डिस्कशन

- हर वर्ग के लोगों ने सरकार से की बढ़ते रेट्स पर लगाम लगाने की अपील

GORAKHPUR: पेट्रोल-डीजल के दाम में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी से समाज का हर तबका परेशान है। फ्यूल हाइक के चलते जेब पर तो बोझ पड़ ही रहा है, घर का बजट भी गड़बड़ाने लगा है। इसी क्रम में चल रहे दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के कैंपेन 'तेल की मार' के तहत सोमवार को ग्रुप डिस्कशन ऑर्गनाइज किया गया। जिसमें हर वर्ग के लोगों ने इस मुद्दे पर खुलकर अपने व्यिूज शेयर किए। इस दौरान जहां फ्यूल हाइक से हो रही परेशानियों पर डिस्कशन हुआ। वहीं, सभी ने एक सुर में सरकार से इस पर लगाम लगाने की अपील भी की।

जनता के हित में लेना होगा फैसला

लगातार पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोत्तरी को लेकर दैनिक जागरण - आई नेक्स्ट की तरफ से एक हफ्ते तक 'तेल की मार' नाम से कैंपेन चला। इस दौरान फ्यूल हाइक के चलते हायर क्लास से लेकर अपर और लोअर मीडिल क्लास के लोगों की समस्या को लेकर हमने डेली लाइव रिपोर्टिग की। इसी क्रम में सोमवार को दैनिक जागरण - आई नेक्स्ट ऑफिस में हुए ग्रुप डिस्कशन में सभी का कहना था कि डीजल-पेट्रोल के लगातार बढ़ रहे दामों को लेकर सरकार को गंभीर होना होगा। अगर सरकार पब्लिक से टैक्स वसूल सकती है तो फिर उसे इसके अनियंत्रित मूल्य वृद्धि पर पेट्रोलियम मंत्रालय समेत पेट्रोलियम कंपनियों के उच्च अधिकारियों संग बैठक कर जनता के हित में फैसला लेना होगा अन्यथा स्थिति जन आंदोलन का रूप भी ले सकती है।

कोट्स

पेट्रोल-डीजल हर वस्तु से जुड़ा हुआ है। लेकिन जिस तरह से प्रतिदिन मूल्य वृद्धि हो रही है, यही हाल रहा तो मंहगाई बढ़ना तय है। मुझे आज भी याद है जब मैं छोटा था तब डीजल-पेट्रोल का दाम 35-40 रुपए था। लेकिन आज 75 रुपए से ऊपर हो चुका है। पेट्रोल-डीजल दाम बढ़ने से हर वर्ग में दिक्कत शुरू हो गई है। सरकार को इस पर लगाम लगाने की जरूरत है।

- प्रो। एके दीक्षित, एचओडी, प्रौढ़ सतत एवं प्रसार विभाग, डीडीयूजीयू

पेट्रोल-डीजल का दाम जिस तरह से बढ़ रहा है निश्चित तौर पर मंहगाई बढ़ेगी। इस पर सरकार को लगाने की जरूरत है। हाई-वे बनाकर ही क्या होगा जब हमारी गाडि़यां ही नहीं चल सकेंगी। पेट्रोल डीजल का दाम जब से इंटरनेशनल मार्केट पर डिपेंडेंट हो गया तब से स्थिति बिगड़ती जा रही है। आम आदमी का बजट बिगड़ चुका है।

- आनंद कुमार निषाद, प्रोफेशनल

पेट्रोल-डीजल में 2002-2014 तक 40 रुपए तक का मूल्य वृद्धि हुई। लेकिन 2014-2018 के बीच महज 10 रुपए की बढ़ोत्तरी हुई तो आज हर किसी को दिक्कत होनी लगी। ईरान से चूंकि तेल आता है, ऐसे में उस पर कर्जा भी जबरदस्त है। कर्जे से मुक्ति के लिए सरकार भी ठोस कदम उठा रही है।

- आलोक सिंह विषेन, पार्षद

वर्तमान सरकार समाज कल्याणकारी सरकार है। लेकिन पेट्रोल-डीजल वृद्धि को लेकर लोगों के बीच विरोध के स्वर निकलने लगे हैं। सरकार ने अगर समय रहते पेट्रोलियम कंपनियों के साथ बैठक कर ठोस निर्णय नहीं निकाला तो आने वाले दिनों में सरकार को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि आज की डेट में हर वर्ग को पेट्रोल-डीजल के मूल्य वृद्धि ने आर्थिक संकट से जूझने को मजबूर कर दिया है।

रामकृष्ण त्रिपाठी, एडवोकेट

मैं स्टूडेंट हूं, अपने गांव से शहर डेली पढ़ने आता हूं। जब मैं 2014 में 50 रुपए लेकर आता था, लेकिन भाड़ा बढ़ने से 150 रुपए मेरा खर्च बढ़ गया है। जब से पेट्रोल-डीजल के दाम में वृद्धि होना शुरू हुआ है ट्रांसपोर्ट का चार्ज भी बढ़ गया है। जबकि सरकार का कहना है कि उसका पेट्रोल-डीजल के मूल्य वृद्धि पर कोई जोर नहीं है तो फिर इन ट्रांसपोर्टेशन चार्ज पर मनमानी वसूली पर तो लगाम लगानी होगी।

- संतोष कुमार यादव, स्टूडेंट

डीजल-पेट्रोल के दाम बढ़ने पर सरकार पूरी तरफ विफल होती नजर आ रही है। जबकि इसको कंट्रोल करने की जरूरत है। अगर सरकार पेट्रोल-डीजल पर टैक्स वसूल रही है तो फिर इसके मूल्य वृद्धि पर भी विचार करना होगा।

- आकाश कुमार, स्टूडेंट

पेट्रोल-डीजल के दाम 2010 में 51 रुपए के आसपास थे। चार साल में 4-5 रुपए की बढ़ोत्तरी हुई। अभी पेट्रोल-डीजल के दाम में इतनी बढ़ोत्तरी नहीं हुई है कि महंगाई बढ़ेगी। इससे पहले सरकार कहीं न कहीं रास्ता निकाल लेगी। पेट्रोल-डीजल के दाम से दिक्कत अभी गरीब व मध्यम वर्गीय को हो रही है। लेकिन आने वाले दिनों में स्थिति सामान्य हो जाएगी।

- धीरज सिंह, बिजनेसमैन

डीजल-पेट्रोल के दाम हर वस्तु से जुड़ा हुआ है। चाहे किचन हो, भाड़ा, हर तरफ से मंहगाई बढ़नी शुरू हो गई है। टैक्सी वालों ने सिटी में चलने वालों का किराया बढ़ा दिया है। सरकार हर चीज का लॉजिक देती है लेकिन नियंत्रण करना कैसे है इस पर भी विचार करने की जरूरत है।

- प्रो। अजय कुमार शुक्ला, टीचर, डीडीयूजीयू

निर्माण कार्य में लगने वाला मोरंग, बालू का रेट बढ़ गया है। वह भी पेट्रोल-डीजल के रेट बढ़ने से। पहले तो प्रदेश सरकार ने खनन पर रोक लगा रखी थी। अब किसी तरह से निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ तो डीजल-पेट्रोल के बढ़ रहे दाम के चलते सारे बिल्िडग निर्माण के रॉ मैटेरियल के दाम भी बढ़ने शुरू हो गए हैं। इस पर सरकार को गंभीर होना होगा।

- धर्मेद्र त्रिपाठी, सिविल इंजीनियर

पेट्रोल-डीजल के रेट गिरने से लोगों ने राहत की सांस लेना शुरू कर दिया था। मंहगाई पर भी काफी हद तक लगाम लगनी शुरू हो गई थी। लेकिन जब रेट बढ़ना शुरू हुआ है तब से पहले जैसी स्थिति फिर से उत्पन्न होने लगी है। सरकार जब टैक्स पब्लिक से वसूल सकती है, तो कंट्रोल क्यों नहीं कर सकती है।

- अप्रणेश मिश्रा, रंगकर्मी

Posted By: Inextlive