- फैशन बदलते ही कपड़ों की सेल हो जाती है कम

BAREILLY:

जीएसटी के चलते गारमेंट्स ट्रेड में ठहराव सा आ गया है। टैक्स के 18 फीसदी तक बढ़ने से कारोबार का ग्राफ नहीं बढ़ रहा है। लिहाजा, गारमेंट्स स्टोर ओनर्स और ब्रांडेड कम्पनियां कस्टमर्स को लुभाने के लिए अट्रैक्टिव ऑफर्स दे रही हैं। हालांकि, ऑफर्स की वजह जीएसटी नहीं बल्कि, फैशन है। जो कि समय के साथ बदलती रहती है। ऐसे में स्टोर में पड़े गारमेंट्स की सेल बढ़ाने के लिए ऑफर्स देना जरूरी हो जाता है।

नो प्रॉफिट नो लॉस पर बिजनेस का दावा

गारमेंट्स ट्रेड से जुड़े लोगों ने बताया कि यह इंटरनेशनल ट्रेड है। आज कुछ फैशन में हैं, तो अगले दिन कोई और चीज फैशन में आ जाएगी। यदि, समय पर सेल नहीं की तो फैशन न होने से उसकी वैल्यू ऑटोमेटिक कम हो जाएगी। ऐसे में 'नो प्रॉफिट, नो लॉस' पर बिजनेस किया जाता है, और कस्टमर्स को ऑफर्स दिए जाते हैं। वर्ष में दो बार समर और विंटर में ऑफर्स दिए जाने का क्रेज ज्यादा होता है। क्योंकि, बदलते मौसम में फैशन भी बदल जाता है। ऐसे में, ऑफर देकर माल सेल करना मजबूरी हो जाती है। इस समय भी गारमेंट्स स्टोर अलग-अलग ब्रांड के कपड़ों पर 20 से 50 फीसदी कैशबैक का ऑफर दे रहे हैं।

टैक्स बढ़ने से बिजनेस में ठहराव

एक जुलाई 2017 से जीएसटी में टैक्स बढ़ने से गारमेंट्स ट्रेड के बिजनेस के ग्राफ में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। पिछले एक वर्ष में गारमेंट्स बिजनेस में ठहराव बना हुआ है। वैट में 5 फीसदी टैक्स था। जबकि, जीएसटी लागू होने के बाद गारमेंट्स वैल्यू के आधार पर टैक्स तय है। 5 से 18 फीसदी तक टैक्स होने से बिजनेस रफ्तार नहीं पकड़ रहा है। बिजनेस से जुड़े लोगों का कहना है कि टैक्स के हिसाब से प्राइस की मार्किंग होती है। ऐसे में गारमेंट्स के दाम काफी बढ़े हैं। जिससे सेल में कमी आई है। शहर में गारमेंट्स के 2500 छोटे-बड़े स्टोर हैं। जिनका टोटल टर्नओवर रोजाना 5 करोड़ रुपए के आसपास है। जबकि, वैट के समय भी इतना ही था। जबकि, समय के साथ टर्नओवर में इजाफा होना चाहिए। लेकिन महंगाई की मार से गारमेंट्स ट्रेड में रफ्तार नहीं आ रही है।

- 2500 गारमेंट्स स्टोर व फड़।

- 300 बड़े स्टोर गारमेंट्स के हैं।

- 5 परसेंट वैट के समय था टैक्स।

- जीएसटी में 1000 से नीचे वैल्यू पर 5, इससे ऊपर पर 12 और 2500 के वैल्यू गारमेंट्स पर 18 परसेंट टैक्स है।

- 5 करोड़ रुपए गारमेंट्स ट्रेड में रोजाना का टर्नओवर।

- सिविल लाइंस, बड़ा बाजार, सुभाषनगर और शील चौराहा गारमेंट्स के प्रमुख मार्केट।

जीएसटी का ऑफर्स से कुछ लेना देना नहीं है। यह एक ऐसा ट्रेड है, जो फैशन पर निर्भर करता है। यदि, समय रहते सेल न किया जाए तो समस्या उत्पन्न हो जाती है। यही कारण है कि ऑफर दिए जाते हैं।

नरेंद्र कुमार गुप्ता, ओनर, गारमेंट्स स्टोर

शहर में सबसे अधिक लुधियाना और दिल्ली से गारमेंट्स आते हैं। जीएसटी लागू होने से गारमेंट्स ट्रेड पर बहुत बड़ा इफेक्ट पड़ा है। बिजनेस का ग्राफ बढ़ने का नाम नहीं ले रहा है। जबकि, वैट के समय ऐसा नहीं था।

दर्शनलाल भाटिया, ओनर, गारमेंट्स स्टोर

Posted By: Inextlive