हम इस बात से तो अच्छी तरह वाकिफ हैं कि जल्द ही हमारे देश में 'जीएसटी’ लागू हो जाएगा पर कई लोगों के मन में अभी भी सवाल है कि आखिर यह 'जीएसटी’ है क्या? उनकी कन्फ्यूजन दूर कर रहे हैं चार्टर्ड अकाउंटेंट अलतमश जफर।

क्या है 'जीएसटी’?
'गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स’  यानी 'जीएसटी’  एक नया टैक्स है जो एक्साइज ड्यूटी, वैट, सर्विस टैक्स, एंट्री टैक्स, सीएसटी वगैरह जैसे कई टैक्सों को रिप्लेस करेगा। जहां कहीं भी गुड्स या सर्विसेज की सप्लाई होगी, वहां जीएसटी लागू होगा। इस सप्लाई में हर तरह की सेल, ट्रांसफर, अदला-बदली, एक्सचेंज, लाइसेंस, रेंटल, लीज या डिस्पोजल शामिल होगा। यह एक डेस्टिनेशन बेस्ड टैक्स है, जिसका मतलब हुआ कि गुड्स या सर्विसेज जहां इस्तेमाल की जा रही हैं, यह वहां लागू होगा। इंडिया में जीएसटी के लिए थ्री-टियर मॉडल तैयार किया गया है सीजीएसटी, एसजीएसटी/यूटीजीएसटी और आईजीएसटी।

सीजीएसटी और एसजीएसटी/यूटीजीएसटी तब लागू होगा जब सप्लाई एक स्टेट या यूनियन टेरेट्री के अंदर होगी। अगर रेट 18त्न है, तो सीजीएसटी 9त्न और एसजीएसटी/यूटीजीएसटी 9त्न होगा। आईजीएसटी तब लागू होगा जब सप्लाई दो स्टेट या यूनियन टेरेट्री के बीच होगी।


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किसे कराना होगा रजिस्ट्रेशन?
जिनका टर्नओवर 20 लाख रुपए से ज्यादा है, उन्हें जीएसटी के अंडर रजिस्टर करना होगा। नॉर्थ ईस्ट और पहाड़ी स्टेट्स के लिए यह लिमिट 10 लाख रुपए रखी गई है। जिन-जिन स्टेट्स में आपकी मौजूदगी है, आपको हर उस स्टेट में खुद को रजिस्टर कराना होगा।

 

समझें जरूरी कॉन्सेप्ट्स
सप्लाई का वक्त: यह बताएगा कि किस तारीख को सप्लाई की गई थी। जीएसटी उसके अगले महीने देना होगा।

सप्लाई की जगह: यह बताएगा कि सप्लाई कहां की गई थी। यह तय करेगा कि सीजीएसटी/एसजीएसटी चुकाया जाएगा या आईजीएसटी।

सप्लाई की वैल्यू: इससे वह अमाउंट पता चलेगा, जिसपर टैक्स कैल्कुलेट किया जाएगा। वैल्यू ङ्ग रेट=जीएसटी।

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कौन होगा क्रेडिट्स के लिए एलिजिबल?
४वह शख्स, जिसने खुद को जीएसटी में रजिस्टर कर रखा है, अगर वह अपने बिजनेस के लिए गुड्स या सर्विसेज लेता है तो इस खरीद पर चुकाए गए टैक्स पर वह क्रेडिट्स लेने के लिए एलिजिबल होगा।

४जीएसटी में रजिस्टर करने वाले हर शख्स को अपने लास्ट रिटर्न में दिखाए गए एक्साइज, वैट, सर्विस टैक्स के क्रेडिट्स को 'कैरी फॉर्वर्ड’  करने की इजाजत होगी।

 

रिटर्न फाइल करने का तरीका
जीएसटी में रजिस्टर्ड हर शख्स को महीने में तीन और साल में एक रिटर्न फाइल करना होगा।

जीएसटीआर-1:  बाहरी सप्लाई की डीटेल्स-महीने की 10 तरीख को।

जीएसटीआर-2: आंतरिक सप्लाई की डीटेल्स-महीने की 15 तरीख को।

जीएसटीआर-3:  मंथली रिटर्न (जो एक तरह से ऊपर के दो रिटर्न के साथ-साथ टैक्स लाएबिलिटी का सारांश होगा)-महीने की 20 तारीख को।

जीएसटीआर-9:  एनुअल रिटर्न-31 दिसंबर।


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कम्पोजीशन स्कीम
यह स्कीम उन छोटे ट्रेडर्स और मैन्युफैक्चरर्स के लिए है, जिनका टर्नओवर 75 लाख या उससे कम है। यह फायदा सरकार की तरफ से उन लोगों को दिया गया है जो डीटेल्ड रिकॉर्ड नहीं रख सकते या हर नियम का पालन नहीं कर सकते।

 

फायदे
- मंथली की जगह क्वाटर्ली रिटन्र्स।

- टैक्सों का क्वाटर्ली पेमेंट।

- टैक्सों के कम रेट्स।

 

नुकसान
- इनपुट क्रेडिट्स नहीं ले सकते।

- इंटर-स्टेट सप्लाई नहीं कर सकते।

- कस्टमर्स से जीएसटी कलेक्ट नहीं कर सकते।

 

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Posted By: Chandramohan Mishra