राज्य सरकार ने गोवंश के संरक्षण के लिए गाइडलाइन जारी कर दी है जिसमें निराश्रित पशुओं को चिन्हित कर उनकी टैगिंग करने और पशु आश्रय स्थल स्थापित करने के नियमों को स्पष्ट किया गया है।

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LUCKNOW: पशुपालन विभाग की ओर से जारी गाइडलाइन में साफ कहा गया है कि किसी भी स्वयंसेवी संस्था को पशु आश्रय स्थल स्थापित करने के लिए लीज पर सरकारी भूमि नहीं दी जाएगी। ग्राम सभा द्वारा किसी एनजीओ को एमओयू के आधार पर चारागाह की भूमि देना नियमों के विपरीत होगा। वहीं मंडी परिषद, चीनी मिलों, शैक्षणिक संस्थाओं, पीसीएफ, पीसीडीएफ आदि सहकारी संस्थाएं तथा केंद्र सरकार के बंद पड़े प्रतिष्ठानों में अस्थायी आश्रय स्थल अथवा फॉडर बैंक बनाने के लिए एनओसी लेना जरूरी होगा। साथ ही युद्धस्तर पर पूर्व में जारी धनराशि से पक्के आश्रय स्थल बनाने होंगे।
सुविधाएं भी देनी होंगी
इन स्थलों पर विभिन्न विभागों की मदद से चारागाह, वृक्षारोपण कराया जाए और बिजली, पानी के साथ कर्मचारियों की तैनाती व सुरक्षा के इंतजाम भी किए जाए। यहां आने वाले पशुओं का मुफ्त में इलाज कराया जाए। आश्रय स्थलों को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने को महाराष्ट्र मॉडल अपनाते हुए गोबर व गोमूत्र के उत्पाद के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाए। गाइडलाइन में पंचगव्य आधारित औषधियों के प्रयोग के लिए जनमानस को प्रेरित करने का भी जिक्र किया गया है। वहीं अगर कोई किसान या पशुपालक गोवंश लेना चाहता है तो उससे सौ रुपये के स्टांप पेपर पर यह लिखकर देना होगा कि उसको पशु की आवश्यकता है और वह इनको बेसहारा नहीं छोड़ेगा। उनको बेसहारा छोड़े जाने पर नगर पालिका, पंचायत राज और पुलिस एक्ट के प्रावधानों के तहत कार्रवाई करने का उल्लेख भी किया गया है।

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Posted By: Shweta Mishra