‘भइया, हम भी विकलांग हैं...’
ट्रेनों में विकलांग लोगों की सहूलियत के लिए विकलांग कोचेज लगाए जाते हैं। लेकिन, इन कोचेज में विकलांग तो कम पूरी तरह से स्वस्थ पैसेंजर्स ही सफर करते हैं। पूछताछ किए जाने या फिर विकलांग पैसेंजर्स द्वारा विरोध करने पर खुद को भी विकलांग बताने से पीछे नहीं हटते हैं। विकलांग कोचेज में अवैध रूप से सफर करने वाले हेल्दी पैसेंजर्स की धरपकड़ करने के लिए मंडे को डीआरयूसीसी की टीम ने आरपीएफ और टीटी के साथ मिलकर इंसपेक्शन किया।196 लोगों को ट्रेन से उतरवायाडीआरयूसीसी के मेंबर वीरेंद्र कुमार ने बताया कि कालका मेल, मुरी एक्सप्रेस सहित लगभग 8 ट्रेनों में इंसपेक्शन किया गया। इंसपेक्शन के दौरान ट्रेनों में लगे विकलांग कोचेज के अंदर पूरी तरह से स्वस्थ 196 पैसेंजर्स को उतरवाया गया। जबकि पांच पैसेंजर्स के खिलाफ टीटी की मदद से जुर्माने की कार्रवाई भी कराई गई।फर्जी विकलांग प्रमाण पत्र का सहारा
सोर्सेज के मुताबिक ट्रेनों में विकलांग कोचेज में विकलांगों और उनके फैमिली मेंबर्स के लिए दी जा रही सुविधाओं के लालच में तमाम लोग फर्जी विकलांग प्रमाण पत्र बनवाकर सफर करते हैं। फर्जी प्रमाण पत्र पर रोक लगाने के उद्देश्य से ही शासन की तरफ से नया प्रमाण पत्र या फिर रिन्यू कराने के प्रोसेस को पहले की अपेक्षा जटिल किया गया है। रेलवे की तरफ से पहले भी इस तरह की कार्रवाई को अंजाम दिया जाता रहा है लेकिन रेगुलर बेसिस पर मॉनीटरिंग होने पर ही इस पर रोक लगाने में सफलता मिल सकती है।