-

बरेली: रामभक्त, संकटमोचन हनुमान जी का जन्मोत्सव फ्राइडे को यानि आज है. हालांकि हनुमानजी के जन्मतिथि के बारे में दो मत हैं. पहले मत के अनुसार हनुमान जयंती चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा मंगलवार को मनाते हैं तो दूसरे मत के अनुसार कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को जन्मोत्सव मानते हैं. हनुमानजी की जन्मोत्सव के बारे में पहला 'जन्मदिन' है तथा दूसरा 'विजयाभिनन्दन' का महोत्सव.

मिलेगा विशेष लाभ

एक अन्य गणना के अनुसार हनुमानजी का जन्म एक करोड़ पिचयासी लाख अट्ठावन हजार एक सौ तेरह वर्ष पहले चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र व मेष लग्न के योग में प्रात: 06:03 बजे हुआ था. इस बार 19 अप्रैल शुक्रवार को हनुमान जन्मोत्सव पर विशेष संयोग बन रहा है. इस संवत्सर के राजा भी शनि हैं अपनी वक्र गति में आयेंगे. इस समय इस विशेष योग में हनुमान जी की पूजा, उपासना, व्रत करने का विशेष लाभ प्राप्त होगा. मंगलवार और शनिवार का दिन इनके पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ है.

ऐसे करें पूजा

पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके लाल आसन पर बैठें, लाल धोती और ऊपर वस्त्र कोई चादर, दुपट्टा आदि डाल लें. अपने सामने छोटी चौकी पर लाल वस्त्र बिछा दें, अब तांबे की प्लेट पर लाल पुष्पों का आसन देकर हनुमानजी की मूर्ति स्थापित करें. मूर्ति पर सिन्दूर से टीका कर लाल पुष्प अर्पित करें. मूर्ति पर सिन्दूर लगाने के पश्चात् धूप-दीप, अक्षत, पुष्प एव नैवेध आदि से सविधि 'षोडषोपचार पूजन ऊं हनुमत: नम: मंत्र से करें. नैवेध में गुड़, भीगा चना आदि रखें. सरसों या तिल के तेल का दीपक एवं धूप जला दें, फिर यथा शक्ति अनुसार मंत्रों का जाप आदि करें. इस दिन जीवन में अभावों, कष्टों के निवारणार्थ हनुमान जी के निम्न द्वादश नामों का स्मरण 51 बार करें:- हनुमान, अंजनीसुत, वायुपुत्र, महाबल, रामेष्ट, फाल्गुन सखा, पिंगलाक्ष, अमित विक्रम, उदधिक्रमण, सीताशोक विनाशन, लक्ष्मण प्राण दाता और दशग्रीवदर्पहा. शनि के अनिष्ट प्रभावों से मुक्त होने के लिए हनुमान जी की मूर्ति के पैरों में लाल सिन्दूर को अक्षत मिश्रित कर 'ओम श्री रामदूताय नम: 'जपते हुये चढ़ाना चाहिए, लवंग से बनी माला बनाकर चढ़ायें, बाद में इसी मंत्र का 101 बार जाप करें.

बरतें सावधानियां

-हनुमान उपासना में ब्रह्मामचर्य व्रत का पालन करे

-हनुमानजी की मूर्ति को जल से एवं पंचामृत से स्नान कराने के बाद सिन्दूर में तिल के तेल को मिलाकर पूरे शरीर पर लगाना चाहिए, इससे हनुमान प्रसन्न होते हैं

-हनुमानजी को लाल पुष्प प्रिय हैं, अत: ऐसे पुष्पों को ही चढ़ाना चाहिए

-नैवेध में गुड़ और गेहूं की रोटी का चूरमा आदि चढ़ाना चाहिए

-हनुमानजी की उपासना में चरणामृत का विधान नहीं है।

-हनुमान उपासना में दक्षिण दिशा की ओर मुख करके साधक को मंत्र जाप करें

-श्री हनुमानजी को जो शुद्ध घी का प्रसाद चढ़ाए

-मंगलवार से हनुमान उपासना प्रारम्भ की जाये जो विशेष अनुकूल होती है

इच्छापूर्ति को करें दीप दान

हनुमानजी के लिए दीप-दान अतिप्रिय है. हनुमानजी के दीप-दान में देव प्रतिमा के आगे, प्रमोद के अवसर पर, ग्रहों के निमित्त, ग्रहों में और चौराहों पर इन छ: स्थलों में दीप जलाना चाहिए. स्फटिक शिवलिंग के समीप शालीग्राम शिला के निकट हनुमानजी के लिए किया हुआ दीप-दान भोग और लक्ष्मी प्राप्ति हेतु कहा गया है.

जन्मोत्सव पर दीपदान का महत्व

-किसी भिक्षुक को तिल का तेल दिया जाए तो लक्ष्मी जी प्रसन्न रहती हैं.

-सरसों के तेल के दान से रोगों का शमन होता है.

-पुष्प सुगन्ध से युक्त तेल के दान से सभी इच्छायें पूर्ण होती हैं.

-कन्या प्राप्ति के लिए लौंग, कपूर, इलायची का दीपक शुभ माना जाता है.

-हनुमान जी को दीप-दान, उड़द, गेहूं, मूंग, तिल से बने आटे का दीप ही दान करन से मनोरथ पूरे होते हैं.

-मंगलवार के दिन आंगन साफ करके दीप-दान करके शुभत्व की प्राप्ति होती है.

-स्फटिक शिवलिंग से युक्त शिवलिंग के निकट शालीग्राम के निकट हनुमान जी के डेली दीप-दान करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.

-विघ्न दूर करने के लिए हनुमान जी के निमितत गणेश जी के निकट दीप-दान करना चाहिए.

-विष व्याधि के शमन हेतु हनुमत विग्रह के समीप दीप-दान करना चाहिए.

-क्रूर ग्रहों के अनिष्ट निवारण के लिए चौराहे पर दीप-दान करना चाहिए.

-खोये हुये धन की प्राप्ति के लिए गाय के गोबर का दीपक बनाकर दीप-दान करं.े

-विदेश गये व्यक्ति के बुलाने हेतु, बच्चे की रक्षा, चोर आदि के भयनाश हेतु भी गाय के गोबर का दीप-दान करना चाहिए.

-नित्य विधि विधान से हनुमान जी को दीप-दान करने वाले प्राणी को तीनों लोकों में स्वर्ग की प्राप्ति होती है

Posted By: Radhika Lala