हरितालिका तीज पर कन्या राशि में अति शुभफलदायक योग

ALLAHABAD: हरितालिका तीज व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को एवं हस्त नक्षत्र में होता है। हरितालिका व्रत सुहागिन महिलाओं एवं अविवाहित कन्याओं के सौभाग्य की वृद्धि के लिए किया जाने वाला परम पुण्यदायक व्रत होता है। इस वर्ष तृतीया तिथि का मान 23 अगस्त दिन बुधवार की रात 09:40 बजे से प्रारम्भ होकर 24 अगस्त दिन गुरुवार की रात 09:15 बजे तक होगा। साथ ही हस्त नक्षत्र तृतीया तिथि गुरुवार को दिन में 03:56 बजे से लग जाएगा जो अगले दिन दोपहर बाद तक रहेगा।

करवाचौथ से भी ज्यादा कठिन तप

ऐसे में शाम को गौरी शंकर के पूजन के समय हस्त नक्षत्र, साध्य योग तथा चंद्रमा कन्या राशि मे विद्यमान होकर अति शुभफलदायक होगा। विशेषकर उत्तर प्रदेश के पूर्वाचल और बिहार में मनाया जाने वाला यह त्योहार करवाचौथ से भी कठिन माना जाता है। करवाचौथ में चांद देखने के बाद व्रत पारण किया जाता है। इस व्रत में पूरे दिन निर्जल व्रत किया जाता है और अगले दिन पूजन के पश्चात ही व्रत पारण किया जाता है। इस व्रत से जुड़ी एक मान्यता यह है कि इस व्रत को करने वाली स्त्रियां पार्वती जी के समान ही सुखपूर्वक पतिस्मरण करके शिवलोक को जाती हैं।

मां पार्वती को चढ़ायेंगी सुहाग का सामान

पंडित दिवाकर त्रिपाठी बताते हैं कि सौभाग्यवती स्त्रियां अपने सुहाग को अखण्ड बनाए रखने और अविवाहित युवतियां इच्छित वर पाने के लिए तीज का व्रत करती हैं। सर्वप्रथम इस व्रत को माता पार्वती ने भगवान शिव शंकर को पतिरूप में प्राप्ति के लिए रखा था। इस दिन व्रत करने वाली स्त्रियां सूर्योदय से पूर्व ही उठ जाती हैं और नहा धोकर पूरा श्रृंगार करती हैं। पूजन के लिए केले के पत्तों से मंडप बनाकर गौरी-शंकर की प्रतिमा स्थापित की जाती है। इसके साथ ही भगवान गणेश की स्थापना कर चंदन, अक्षत, धूप, दीप, फल फूल आदि से षोडशोपचार पूजन किया जाता है और पार्वती जी को सुहाग का सारा सामान चढ़ाया जाता है। शिव पार्वती विवाह की कथा सुनी जाती है।

Posted By: Inextlive