PATNA : इंसान की उम्र से अधिक उम्र के उसके हेयर सेल हो रहे हैं। 20 साल के इंसान में 40 साल का हेयर सेल मिल रहा है जो कच्ची उम्र में ही बाल और दाढ़ी को सफेद कर दे रहा है। नार्मल एज में ही हेयर सेल के लॉस होने से ही बालों की अधिक समस्या आ रही है। यह खुलासा एक शोध में हुआ है। किशनगंज मेडिकल कॉलेज के चर्म रोग विभाग के एचओडी डॉ संजय घोष ने शोध में बताया है कि बालों की इस समस्या का बड़ा कारण तनाव और प्रदूषण के साथ लाइफ स्टाइल है।

नार्मल एज में नहीं जी रहा इंसान

डॉ संजय घोष ने बताया कि शोध में पाया गया है कि इंसान का हेयर सेल नार्मल एज में नहीं है। इंसान की उम्र कम ही दिखती है लेकिन उसके सेल अधिक उम्र के लोगों की तरह काम करते हैं। इसे अर्ली एजिंग ऑफ हेयर सेल कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर बताया कि नार्मल हेयर सेल 40 से 50 की उम्र के बाद ही लॉस होते हैं। मौजूदा समय में बच्चों में भी बाल पकने के मामले सामने आ रहे हैं। इसके पीछे जो कारण पाया गया वह यह है कि इंसान की असली उम्र के अंदर जो हेयर सेल की उम्र है वह नार्मल नहीं है। 20 साल के इंसान के अंदर 40 साल का इंसान जी रहा है।

10 से 15 साल में बढ़ी समस्या

डॉ संजय घोष का कहना है कि 10 से 15 साल के अंदर यह समस्या तेजी से बढ़ी है। परीक्षण में पाया गया है कि छोटे-छोटे बच्चों के बाल भी सफेद हो जा रहे हैं जबकि उन्हें कोई तनाव नहीं है। इसमें पाया गया कि प्रदूषण और मिलावटी खानपान ही बड़ा कारण है। फास्ट फूड के साथ अन्य मिलावटी खानपान पर अंकुश लगाने के साथ लाइफ स्टाइल में बदलाव लाकर इससे बचा जा सकता है। जिस तरह से 10 से 15 साल में मामले सामने आए हैं वह चौंकाने वाले हैं। हर शोध में बस यही पाया गया है कि अर्ली एजिंग हेयर लॉस लोगों में यह समस्या पैदा कर रहा है।

परफ्यूम और डियो से रहें सावधान

डॉ संजय घोष का कहना है कि रिसर्च में पाया गया है कि डार्क स्प्रे और डियो में मिलाया जाने वाला केमिकल त्वचा को काफी प्रभावित कर रहा है। इंडिया में ऐसे प्रोडक्ट प्योर नहीं है। प्लास्टिक के स्लीपर और मोबाइल के कवर व सस्ते मिलावटी प्लास्टिक वाले हेडफोन, टूथपेस्ट भी सफेद दाग के साथ स्किन को प्रभावित कर रहे हैं। उन्होंने कि कुछ विदेशियों के साथ रिसर्च में पाया गया कि जिन्हें इंडिया और चाइना का प्रोडक्ट इस्तेमाल कराया गया उन्हें सफेद दाग की समस्या आ गई।

डाई से स्कीन को ज्यादा नुकसान

डॉ संजय घोष ने बताया कि उनके रिसर्च को 2017 में फॉरेन जनरल ने एक्सेप्ट किया है। यह रिसर्च ब्रिटिश जनरल में प्रकाशित भी हुई है। उनका कहना है कि चर्म रोग को लेकर किए गए इस शोध में पाया गया कि डाई से सबसे अधिक स्किन को नुकसान हो रहा है। यहां कम पैसे में ही केमिकल वाले सामान मिलते हैं जो हानिकारक हैं। लोग सावधान नहीं हुए तो यह समस्या और बढ़ेगी।

केमिकल युक्त सामान घातक

रिसर्च में पाया कि भारत का केमिकल युक्त सामान घातक है। सफेद दाग पर उन्होंने बड़ा रिसर्च किया। इसमें पाया कि हेयर डाई से लेकर अन्य स्किन पर लगाने वाले क्रीम में जो केमिकल यूज होता है वह सफेद दाग और अन्य स्किन रोग का बड़ा कारण है।

Posted By: Inextlive