- अख्तर इमाम बना रहे हैं हाथियों का गांव, बिहार में बचे सिर्फ 37 हाथी

- पटना के साथ-साथ गया के धनवारन में बनेगा हाथी गांव

- सौ एकड़ में बिहार सहित आसपास के हाथियों के लिए बनेगा बसेरा

- जानीपुर के मुर्गिया चक में बना डाला है हाथियों का बसेरा

- चालीस साल से हाथियों के संरक्षण में देश के तमाम जगहों पर कर रहे हैं काम

PATNA : भ् मई क्97क् को सलीम जावेद की कहानी ने ऐसा तहलका मचाया कि हर किसी ने हाथी को अपना साथी मान लिया। इस फिल्म का असर सिर्फ इतना था कि लोगों को जहां भी हाथी दिखता, उससे प्यार करने लगते। फिल्म ने जमकर कमाई की और राजेश खन्ना के स्टारडम में चार चांद लग गया। लेकिन पूरे इंडिया में एक इंसान ऐसा था जिसके दिल को इस फिल्म ने झकझोर कर रख दिया। पटना के जानीपुर के मुर्गिया चक के अख्तर इमाम इस फिल्म के ऐसे दीवाने हुए कि उन्होंने इसे अपनी जिंदगी ही बना डाली। ब्फ् साल से अपने पहले प्यार के साथ रहने वाले अख्तर इमाम हाथी का हमदर्द साथी बन चुके हैं। उन्होंने हाथी पर इतने सालों में देश के विभिन्न जगहों पर जाकर काम किया है। हाथी जब भी कोई मुसीबत में आता है तो पहले अख्तर इमाम को याद किया जाता है। फिलहाल बिहार सहित अदर स्टेट के हाथी की दुर्दशा पर अख्तर इमाम थ्योरिटिकल और प्रैक्टिकल दोनों रूप से काम कर रहे हैं। थ्योरी के लिए उन्होंने राजस्थान, एमपी के राजबाड़ा की महंगी किताब लेकर उसका हिंदी रूपांतर करवा रहे हैं, तो बिहार गवर्नमेंट से लगातार गया में एक हाथी गांव खोलने की बात चल रही है। अगर इसमें सफल होते हैं तो राजस्थान के बाद बिहार में दूसरा हाथी गांव होगा।

हाथी के लिए बनाया गांव

जानीपुर एरिया के मुर्गिया चक पहुंचने के साथ ही आप किसी से भी हाथी गांव पूछिएगा तो वो आपको बता देगा। फिलहाल इसमें दो हाथी है। यहां पर हाथी मोती और हथिनी रागिनी एक साथ रहती है। इसकी देखरेख के लिए अख्तर इमाम कई कर्मियों को लगाए रहते हैं। आसपास के गांव को पूरी तरह से बांस के बीट से भर दिया है। साथ ही हाथी के खाने के लिए लगातार उसके आसपास खेती भी की जाती है, जहां हाथी जाकर उसे खाते हैं। अख्तर इमाम ने बताया कि ऐसा इसलिए किया गया है ताकि हाथी को लगे कि वो खुले में है। बीस साल का हाथी मोती अख्तर इमाम के हर इशारे को समझता है। वो नाराज होता है और अख्तर इमाम के साथ खेलता भी है।

गया में सौ एकड़ में बनेगा हाथी गांव

अख्तर इमाम ने बताया कि गया के धनवारन में हाथी गांव बनाने के लिए गवर्नमेंट के पास सौ एकड़ जमीन देने का प्रपोजल भेजा गया है। इसमें सहमति भी मिलने वाली है। जैसे ही यह काम पूरा होता है तो उसे एक बेहतर हाथी गांव का शक्ल दिया जाएगा। इसके लिए बिहार में बचे सिर्फ फ्7 हाथी को एक साथ इस गांव में रखा जाएगा। इसके अलावा अदर स्टेट के हाथी को भी यहां पर लाकर उसे संरक्षित-संवर्धित और पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मजबूत किया जाएगा। ताकि इससे गवर्नमेंट को भी रेवेन्यू जेनरेट हो।

मैंने देखा था दस हजार हाथी

बिहार-झारखंड और यूपी में हाथी की दुर्दशा है। चालीस-पचास साल पहले बिहार में दस हजार के आसपास हाथी हुआ करता था। लेकिन यह आबादी अब घटकर सिर्फ फ्7 रह गई है। ऐसे में हाथी को अगर संरक्षित नहीं किया गया तो आने वाले दस सालों में वो भी खत्म हो जाएगा और इसके लिए लोग स्वयं जवाबदेह होंगे। ऐसे में हाथी गांव इन हाथियों के लिए एक बेहतर प्लेस होगा।

मोबाइल के रिंगटोन से दिल तक सिर्फ हाथी

अख्तर इमाम का ख्ब् घंटा हाथी की सेवा में बीतता है। जब आप इनके मोबाइल पर कॉल करेंगे तभी पता चल जाएगा कि यह हाथी का कितना बड़ा हमदर्द हैं। इनके मोबाइल का रिंग टोन है चल चल चल मेरे हाथी ओ मेरे साथी इसके बाद हाथी के खाने, घूमने से लेकर उसकी सफाई हर तरफ अख्तर इमाम की नजर होती है।

खत्म हो गया मेलों में हाथी का आना

एशिया में कहीं भी पशु मेला लगता था तो वो बिहार था। सोनपुर, सीतामढ़ी, सिंहेश्वर, खगड़ा में एक साथ पशु मेला लगता था और इसमें हाथी के झुंड देखते बनते थे। लेकिन धीरे-धीरे पशु मेला सीतामढ़ी, सिंहेश्वर और खगड़ा से दूर होता चला गया। अब सिर्फ सोनपुर में ही लगता है। यहां से भी हाथी धीरे-धीरे लुप्त होता जा रहा है।

तब गज को बचाने आए थे भगवान विष्णु

पौराणिक कथा का हवाला देते हुए अख्तर इमाम ने बताया कि सोनपुर में ही गज और ग्राह की लड़ाई हुई थी। जब ग्राह गज को अपनी चपेट में ले लिया था तो खुद भगवान विष्णु उसको बचाने के लिए यहां आए थे। लेकिन आज उसी गज की हालत पर किसी की नजर नहीं है। लोग समारोह, बारात और कभी-कभी पूजा के लिए इसका यूज करते हैं, लेकिन इसके संरक्षण पर कोई बात नहीं करता है।

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राजू और अख्तर दोनों ही ने हाथी को चुना

फिल्म हाथी मेरे साथी में राजू को जब फैमिली और हाथी में किसी एक को चुनने का सामना करना पड़ा तो राजू ने फैमिली को छोड़ हाथी को चुना। अख्तर इमाम के सामने भी यही चुनौती है। लेकिन अख्तर इमाम किसी तरह फैमिली मेंबर को समझाते हुए अपने शौक में लगे हुए हैं। इनकी मानें तो जिस दिन हाथी गांव बन जाएगा हर किसी को मेरे काम से खुशी मिलेगी।

Posted By: Inextlive