कडरू में आधे-अधूरे बने हज हाउस को राज्य सरकार ने घोषित किया कंडम

स्टेट हज कमेटी राजधानी के अलग-अलग जगहों पर हज यात्रियों को ठहराने की कर रही व्यवस्था

नए सिरे से हज हाउस बनाएगी सरकार, निर्माण में करप्शन करने वालों पर होगी कार्रवाई

RANCHI: झारखंड से हजारों की संख्या में हज यात्रा पर जाने वाले लोगों को रांची में इस बार भटकना पड़ेगा। जी हां, राज्य सरकार ने कडरू में आधे-अधूरे बने हज हाउस को कंडम घोषित कर दिया है। सरकार इसे गिरा कर नए सिरे से बनाने का आदेश भी दे चुकी है। ऐसे में इस साल मक्का और मदीना जाने वाले राज्य के हजारों लोगों के रांची में ठहरने की समस्या उत्पन्न हो गई है। हालांकि, स्टेट हज कमेटी हज यात्रियों को सिटी में अलग-अलग जगहों पर ठहराने की व्यवस्था कर रही है। लेकिन, वो नाकाफी है।

3000 से ज्यादा लोग जाएंगे हज पर

इस साल झारखंड से तीन हजार से ज्यादा लोग हज यात्रा पर जाने वाले हैं। अब तक 2800 लोगों के नाम फाइनल भी हो चुके हैं, 340 लोग अभी वेटिंग में हैं। झारखंड राज्य हज कमेटी का कहना है कि वेटिंग लिस्ट भी कंफर्म हो जाएगी।

रांची में तीन जगह ठहरेंगे लोग

झारखंड राज्य हज कमेटी के प्रवक्ता खुर्शीद हसन रूमी ने बताया कि इस बार हज हाउस में हज यात्री नहीं ठहरेंगे। उन्हें अलग-अलग जगहों पर ठहराने की व्यवस्था की जा रही है। इनमें कडरू हज हाउस के पास पेट्रोल पंप से सटा जामिया हुसैनिया मदरसा, डोरंडा स्थित रिसालदार बाबा कम्यूनिटी हॉल और बिशप वेस्टकॉट स्कूल डोरंडा के पास स्थित माइनॉरिटी हॉस्टल शामिल हैं। हालांकि, सभी तीन हजार हज यात्रियों को ठहराने के लिए ये तीनों जगह कम पड़ेंगे।

24-25 अगस्त को जाएगा पहला जत्था

झारखंड के हज यात्रियों का पहला जत्था बिरसा मुण्डा एयरपोर्ट से 24-25 अगस्त को रवाना होगा। हालांकि, अभी फाइनल शिड्यूल नहीं आया है। लेकिन, जो संभावित शिड्यूल है उसमें इसी दिन हज यात्रियों के पहले जत्थे को रवाना होना है।

वर्जन

हज जाने वाले आजमीनों को रांची में ठहरने में कोई दिक्कत न हो, इसके लिए राज्य हज कमेटी तैयारी कर रही है। हज यात्रियों को रांची में अलग-अलग जगहों पर ठहराने की भी व्यवस्था की जा रही है। हालांकि हज हाउस का काम पूरा न होना, दुर्भाग्यपूर्ण है।

-खुर्शीद हसन रूमी, प्रवक्ता, झारखंड राज्य हज कमेटी

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8 साल में 8 करोड़ खर्च, रिजल्ट शून्य

साल 2007 में हज जाने वाले आजमीनों के लिए सिटी के कडरू में हज हाउस का निर्माण शुरू किया गया। तब अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जोबा मांझी और आवास बोर्ड के अध्यक्ष नजम अंसारी थे। उस समय हज हाउस निर्माण के लिए 4.88 करोड़ रुपए का डीपीआर बनाया गया था। चार मंजिला बनने वाले हज हाउस का निर्माण कार्य जुलाई 2007 में शुरू हुआ। लेकिन, विशेषज्ञों ने हज हाउस के नक्शा पर ही सवाल उठा दिया। कहा, इसकी ड्राइंग में खामियां हैं। लेकिन निर्माण विभाग के इंजीनियरों ने ध्यान नहीं दिया। नतीजन साल 2009 में ही हज हाउस के पोर्टिको का एक हिस्सा गिर गया। इसके बाद निर्माण की जांच को लेकर कमेटी बनी। साल 2010 में कमेटी ने रिपोर्ट दी। लेकिन, इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद हज हाउस का निर्माण करने वाले स्टेट हाउसिंग बोर्ड ने झारखंड गवर्नमेंट से और तीन करोड़ की मांग की, जिसे सरकार एक्सेप्ट कर ली और हज हाउस के निर्माण का बजट अब 8 करोड़ रुपए हो गया। इसके बाद आधे-अधूरे हज हाउस में पिछले कुछ सालों से हज यात्रियों को जैसे-तैसे ठहराया जा रहा था। जबकि हज हाउस में किसी भी फ्लोर का काम फाइनल नहीं हुआ है। यहां न तो टॉयलेट रूम बने और न ही महिलाओं के लिए अलग से रूम। आलम यह है कि इस हज हाउस में वजु के लिए भी पानी की व्यवस्था नहीं रहती थी। ऐसे में इस साल सरकार ने हज हाउस के निर्माण में खामियां देखते हुए इसे कंडम घोषित कर दिया। सरकार इस भवन को गिरा कर नया हज हाउस बनाने का आदेश दी है। साथ ही जो लोग इसके घटिया निर्माण के लिए जिम्मेदार है, उनके खिलाफ कार्रवाई करने का भी आदेश सरकार ने दिया है।

Posted By: Inextlive