-स्वच्छता एवं पोषण दिवस पर हुई वर्कशॉप

:फैसिलिटी इंटीग्रेटेड काउंसिलिंग एंड टेस्टिंग सेंटर और स्वच्छता एवं पोषण दिवस पर डाटा इंट्री ऑपरेटर्स को प्रशिक्षित करने के लिए जिला महिला अस्पताल में वर्कशॉप का आयोजन किया गया. जिसकी अध्यक्षता डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. सुधीर गर्ग ने की. .

प्रत्येक महिला की हो जांच

जिला महिला अस्पताल बरेली के पीपीटीसी सेंटर पर कार्यरत नीरज शर्मा ने बताया की गर्भवती महिलाओं की एचआईवी जांच होना भी अति आवश्यक है. ताकि उनके होने वाले बच्चे में इस तरह का कोई भी संक्रमण होने से बचाया जा सके. यदि कोई गर्भवती महिला एचआईवी एड्स से संक्रमित है तो उनके होने वाले बच्चों में एचआईवी का संक्रमण होने की 60 प्रतिशत तक संभावना रहती है. इस संक्रमण को कम करने के लिए गर्भवती महिलाओं की तुरंत जांच कर उनका उपचार किया जाता है. बच्चे के जन्म के बाद बच्चे का भी उपचार किया जाता है. जिससे बच्चे को बीमारी से बचाया जा सके. बच्चे का डेढ़ साल तक लगातार फॉलोअप किया जाता है. डेढ़ साल के बाद ही यह तय हो पाता है की बच्चा एचआईवी संक्रमित है या नहीं. यदि बच्चा एचआईवी संक्रमित है तो उसे एआरटी सेंटर में दर्ज कराया जाता है. प्रोजेक्ट ऑफिसर मोहम्मद सोहेल ने ट्रेनिंग में बताया गया कि गर्भवती महिलाओं की एचआईवी सिफलिस जांच के लिए यूनिवर्सल स्क्रीनिंग किया जाना आवश्यक है.

Posted By: Radhika Lala