क्त्रड्डठ्ठष्द्धद्ब: हिनू शिशु भवन से नवजातों को हटाकर सीडब्ल्यूसी ने खूंटी सहयोग विलेज, करुणाश्रम समेत विभिन्न शेल्टर होम में क्यों भेजा। इस संबंध में हाइकोर्ट ने सरकार से 15 दिनों में जवाब मांगा। गुरुवार को मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस रंगून मुखोपाध्याय ने सरकार को 15 दिनों के अंदर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले में हाईकोर्ट के अधिवक्ता अमित कुमार ने बहस की। गौरतलब हो कि नवजात को पाने के लिए सिंगल पैरेंट्स ने सीडब्ल्यूसी के खिलाफ हाईकोर्ट में दो अगस्त को याचिका दाखिल की थी। इसके पूर्व 22 में से दो बच्चों को ही पश्चिमी सिंहभूम के दंपति को सौंपा गया था। इसकी भी शिकायत अनुसूचित जाति व जनजाति आयोग में की जा चुकी है।

क्या था याचिका में

याचिका में कहा गया कि शेल्टर होम में रखे बच्चे से सीडब्ल्यूसी मिलने नहीं दे रही है। वे अपने ही बच्चों से नहीं मिल पा रहे हैं। सात जुलाई से उन्हें अपने बच्चों से दूर किया जा रहा है। ऐसे में उन्हें न्याय चाहिए। सिंगल पैरेंट्स ने कहा है कि वे लोग सीडब्ल्यूसी के मुताबिक, खुद का डीएनए जांच करवाने को भी तैयार हैं, लेकिन सीडब्ल्यूसी डीएनए जांच भी नहीं करवा रही है।

क्या कहते हैं सिंगल पैरेंट्स

कोचांग में रहनेवाले विश्राम सोय, जो बुधनी के पिता हैं। उनका कहना है कि बुधनी को ब्रोनाकाइटिस नामक बीमारी है। जब से वह पैदा हुई है, तबसे उसे केवल एक बार ही देखा है। वह अपनी पत्‍‌नी तो खो ही चुके हैं। बुधनी की बड़ी बहन को भी खोया है। विश्राम सोय बताते हैं कि बुधनी की बड़ी बहन भी बीमार थी। उसे रानी चिल्ड्रेन अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लेकिन, उसकी भी मौत हो गई। विश्राम सोय ने कहा कि अभी खेतीबारी का सीजन है। उसकी बेटी कैसी है, उसे पता भी नहीं है। उसे जहां रखा गया है कि वहां जाने के बाद मिलने भी नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में कोई मुझे बुधनी को दिला दे। उन्होंने कहा कि जब वह शिशु भवन में थी, तब वे महीने में एक बार ही गए थे। वह भी रजिस्टर पर सिग्नेचर करने के बाद। उसके बाद ही यह सब कांड हो गया।

Posted By: Inextlive