पटना को सताएगा ग्लोबल वार्मिग बढ़ेगी हीट वेब
patna@inext.co.in
PATNA : अलर्ट हो जाएं पटनाइट्स. आने वाले समय में पटना समेत पूरे बिहार में ग्लोबल वार्मिग का काफी असर दिखेगा. तापमान में बढ़ोतरी होगी. गर्मी के मौसम की समयसीमा बढ़ जाएगी. यही नहीं गर्मी में हीट वेब भी आपको खूब परेशान करेगी. गर्मी भी सामान्य नहीं प्रचंड प्रभाव दिखाएगी. यह चौंकाने वाली जानकारी सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ बिहार (सीयूएसबी) के शोधकर्ताओं ने अपने हालिया रिसर्च में दी है. उनका यह रिसर्च एक अंतरराष्ट्रीय जर्नल प्योर एंड अप्लाइड जियोफिजिक्स में प्रकाशित हुआ है. रिसर्च टीम के अनुसार, बिहार बेस्ड यह अपनी तरह का एक्सक्लूसिव स्टडी है जो ग्लोबल क्लाइमेट मॉडल पर अध्ययन किया गया है. यह पूरा अध्ययन आगामी वर्ष 2021 से 2055 की समयावधि के लिए किया गया है. यह होगा असरतापमान में बढ़ोतरी की वजह से स्किन कैंसर की संभावना काफी बढ़ जाएगी. यही नहीं लू का असर भी मार्च से ही शुरू हो जाएगा. गर्मी का सीजन बेचैनी भरा होगा. हीट वेब की फ्रीक्वेंसी बढ़ जाएगी यानी यह लंबे अंतराल का बना रहेगा. जलस्रोतों पर भी संकट बढ़ जाएगा और सूखे का खतरा काफी बढ़ जाएगा.
विंटर सीजन सामान्यइस रिसर्च में समर सीजन के अधिकतम तापमान के अलावा विंटर सीजन (दिसंबर, जनवरी और फरवरी) का भी अध्ययन किया गया है. वर्ष 2021 से 2055 के बीच के विंटर सीजन के इन महीनों में तापमान में कोई विशेष बढ़ोतरी का आकलन नहीं है. इसलिए बिहार में विंटर सीजन में रात का समय सामान्य अनुभव वाला ही होगा.
बढे़गा तापमान शोधकर्ताओं ने क्लाइमेट मॉडल सिमुलेशन आधारित अपने अध्ययन में बिहार में मार्च, अप्रैल और मई के अधिकतम तापमान पर रिसर्च में फोकस किया गया है. इसके आधार पर यह तथ्य सामने आया है कि इन महीनों के दौरान अधिकतम तापमान में 0.5 से 0.6 डिग्री सेल्सियस तापमान की वृद्धि होगी. यह वृद्धि एक या डेढ़ डिग्री तक भी हो सकती है. इसकी 99 प्रतिशत संभावना व्यक्त की गई है. इसके कारण हीट वेब का असर व्यापक तौर पर दिखेगा. इसके कारण एक बड़ी आबादी प्रभावित होगी. बिहार में अपने तरह का पहला रिसर्च ग्लोबल वार्मिग के बिहार में होने वाले असर के संबंध में यह अपनी तरह का पहला स्टडी है. इस बारे में रिसर्च टीम को लीड कर चुके डॉ प्रधान पार्थ सारथी ने कहा कि सीयूएसबी में अकादमिक तौर पर यह बड़ी सफलता है. उनके साथ रिसर्च टीम में सीयूएसबी के एनवायरमेंटल साइंस के रिसर्च एसोसिएट डॉ. प्रवीण कुमार शामिल रहे.