सोसाइटी के लिए 'नया' खतरा साइको किलर्स
Case 122 जनवरी को किला के रफियाबाद में अपर्णा व उसके दो बच्चों की बेरहमी से हत्या कर दी गई। गला काटने के साथ-साथ तीनों के चेहरे खराब कर दिए। हत्या करने वाले को महिला के साथ-साथ मासूमों पर भी रहम नहीं आया। हत्याएं किसने कीं इसका तो खुलासा अभी नहीं हुआ है। लेकिन जिस तरह से हत्याएं हुई हैं, उससे साफ झलकता है कि किसी साइको ने ही तीनों हत्याओं को अंजाम दिया है।Case 211 जनवरी को इज्जतनगर के मठ कमल नयनपुर में बुजुर्ग गोकुल की हत्या की गई। गोकुल की हत्या भी धारधार हथियार से गला रेतकर की गई। पुलिस ने तंत्र-मंत्र व जमीनी विवाद से जोड़कर हत्या को सुलझाने के प्रयास किए लेकिन नाकाफी ही रहे। गोकुल की हत्या के बाद आस-पास की सराउंडिंग्स भी किसी साइको किलर की तरफ ही इशारा कर रही थीं।Case 3
3 दिसंबर को इज्जतनगर की एफसीआई कालोनी में सुधा की बेरहमी से हत्या कर दी गई। यही नहीं उसके सौतेले बेटे वासू को भी हमलाकर अधमरा कर दिया। उसकी हालत इतनी खराब कर दी थी कि डेढ़ महीने बाद भी वह जिंदगी व मौत के बीच झूल रहा है। सुधा की हत्या करने के तरीके से भी यही लगता है कि किसी साइको किलर ने ही वारदात को अंजाम दिया है। डिसऑर्डर के हैं शिकार साइकोलॉजिस्ट के मुताबिक इतनी ब्रूटल किलिंग वही लोग कर सकते हैं, जो मानसिक बीमारी से ग्रस्त होते हैं। ऐसे लोग अपराधिक नेचर के होते हैं। कभी शक के चलते तो कभी लोग पैसे के लिए साइको हो जाते हैं और इसके लिए कुछ भी कर सकते हैं। ऐसे लोगों में इगो की भी प्रॉलम होती है और वे पर्सनैलिटी डिसऑर्डर का शिकार होते हैं।डेथ इंस्टिंक्ट एक्टिवऐसे लोगों में डेथ इंसटिंक्ट होती है जो उन्हें डिस्ट्रक्टिव वर्क करने के लिए उकसाती है। स्नेह, प्रेम, समर्पण, त्याग, सब कुछ इससे खत्म हो जाता है। ये सब 'मोरटिडो हार्मोनÓ से क्रिएट होता है। जिनके शरीर में ये हार्मोन होता है, वे लोग ऐसे काम को आसानी से अंजाम देते हैं। उनके सोचने-समझने की क्षमता खत्म हो जाती है। ऐसे लोग सुपरीयॉरिटी कांप्लेक्स के भी शिकार होते हैं। किसी में तो ये प्रॉलम बचपन से होती है। बचपन से ही अलग बिहेवियर
ऐसे लोग बचपन से ही अलग बिहेव करते हैं। दूसरे बच्चों से अलग रहते हैं और गलत कामों में ज्यादा इंडल्ज रहते हैं। वे लोगों को चोट पहुंचाने की कोशिश में रहते हैं। यही नहीं वह बात-बात पर झूठ बोलते हैं। स्टोरीज बनाने लगते हैं। पेरेंटस इसे उनका बचपना समझकर अनदेखी कर देते हैं। लेकिन बड़े होने पर ये प्रॉलम काफी भयानक हो जाती है।