Lucknow: सिटी के क्रिमनल्स भी अब टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहे हैं. टेक्नोलॉजी भी ऐसी कि पुलिस एसटीएफ और एटीएस का सर्विलांस फेल हो जाए. सस्ते मोबाइल और सस्ते इंटरनेट सर्विस ने इसे और आसान बना दिया है.

सस्ती टेक्नोलॉजी का सहारा

चार हजार का मोबाइल 98 रुपये का इंटरनेट और फ्री में कई सारे एप्स। व्हाट्स एप, वी चैट, वाइबर, एफबी मैसेंजर और जी टाल्क जैसी एप्स क्रिमनल्स के लिए जीवनी साबित हो रही हैं। इन एप्स का ना तो सर्विलांस ट्रेस कर सकती है और ना ही पुलिस के पास कोई तोड़ है।

नेट कॉल से देता है धमकी

पचास हजार का इनामी बदमाश विश्वास नेपाली पुलिस के लिए सिर दर्द बन गया है। टेक्नोलॉजी का भरपूर इस्तेमाल करके विश्वास नेपाली पुलिस की पहुंच से काफी दूर भी है और कई शहरों में बिजनेस मैन को खुलेआम फोन पर धमकी देता है। पुलिस की मानें तो विश्वास को पुलिस इसलिए ट्रेस नहीं कर पा रही है क्योंकि वह इंटरनेट कॉल के जरिये लोगों को धमकी देता है। सोर्सेज की मानें तो विश्वास का सबसे करीबी बदमाश रिशी पण्डित है जो टेक्नोलॉजी के मामले में अच्छे-अच्छे लोगों को मात दे दे। कई बार पुलिस आईपी ट्रेस करके साइबर कैफे तक पहुंची भी, लेकिन पुलिस के हत्थे वह नहीं चढ़ सका।

याहू मैसेंजर का करता था यूज

इसी तरह पश्चिमी यूपी में आतंक का पर्याय बन चुका संजीव जीबा याहू मैसेंजर के थ्रू अपना नेटवर्क ऑपरेट करता था। इसकी जानकारी पुलिस को तब हुई, जब वह पुलिस के हत्थे चढ़ा। जीबा ने पुलिस को जो कहानी बतायी, उसे सुनकर पुलिस अधिकारी भी दंग रह गये थे।

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पुलिस ने फेसबुक से पकड़ा चोर

जम्मू से पटना जा रही हिमगिरी एक्सप्रेस से राकेश कुमार रंजन का बैग चोरी हो गया। बैग में क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड समेत कई सामान थे। राकेश ने इसकी रिपोर्ट लिखाई। तीन दिन में चोर ने क्रेडिट कार्ड से 90 हजार रुपये की परचेसिंग कर डाली। पुलिस ने तफ्तीश की तो पता चला कि उसने एक परचेजिंग के दौरान अपनी मेल आईडी दे रखी है। उसी मेल आईडी के जरिये पुलिस ने उसे पकडऩे की योजना बनायी। लड़की की फेक आईडी बनाकर उसे वाराणसी के कैंट के एसएचओ अनिरुद्ध सिंह ने अपनी जाल में फंसाया और फिर डेट पर बुलाया। डेट पर पहुंचे आरिफ खां को पुलिस ने पकड़ लिया और जीआरपी के हवाले कर दिया।

Posted By: Inextlive