Jamshedpur: हाइवे हो या फिर सिटी की सडक़ें रात के वक्त जरा संभल कर ही ड्राइविंग करें. थोड़ी सी भी चूक हुई तो लेने के देने पड़ जाएंगे.

 रोड ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री से मिले आंकड़ों के मुताबिक कंट्री में हर साल होने वाले रोड एक्सीडेंट्स की 40 परसेंट घटनाएं रात में ही होती हैं। इन एक्सीडेंट्स की सबसे बड़ी वजह व्हीकल्स में लगे हाई बीम हेडलाइट्स होते हैं। ट्रैफिक रूल्स के अगेंस्ट होने के बावजूद सिटी में भी धड़ल्ले से हाई बीम हेडलाइट का यूज किया जा रहा है।

Dazzing headlights बनी मुसीबत
बिष्टुपुर स्थित एक प्राइवेट फर्म में काम करने वाले विनीत डेली रात में कार से अपने घर जुगसलाई जाते हैं। उन्होंने बताया कि ड्राइविंग के वक्त कई बार सामने से आती कार या ट्रक की हेडलाइट इतनी ब्राइट होती है की कुछ सेकेंड के लिए आंखों के सामने अंधेरा छा जाता है। ऐसे में कई बार एक्सीडेंट होने तक की नौबत भी आ जाती है। विनीत की तरह ही सिटी के ज्यादातर लोगों को तेज रोशनी वाले हेडलाइट्स की वजह से मुसीबतें झेलनी पड़ती है। कई लोग महज स्टाइल के लिए अपनी व्हीकल्स में हाई बीम हेडलाइट्स के साथ-साथ तेज रोशनी वाले एक्सट्रा लाइट्स का यूज करते हैं। रूल्स के खिलाफ होने के बावजूद ट्रैफिक पुलिस इस जानलेवा शौक से अनजान बनी हुई है।

Rules की नहीं है परवाह
सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल्स के सेक्शन 106 के अनुसार किसी भी व्हीकल में लगाए जाने वाले हेडलाइट का कंस्ट्रक्शन, फिटिंग और मेंटनेंस इस तरह का होना चाहिए, जिससे लाइट बीम का झुकाव नीचे की तरफ हो और इससे सामने खड़े व्यक्ति की आंखें डैजल ना हों। पर सिटी में इस रूल का धड़ल्ले से वॉयलेशन किया जा रहा है।

Powerful lights की demand
कार या बाइक के हेडलाइट की रोशनी को बढ़ाने के लिए कई लोग मैन्यूफैक्चरर द्वारा इंस्टाल की गई लाइट को निकाल कर ज्यादा पावर वाले बल्ब लगवाते हैं। साकची स्थित एक ऑटो पाट्र्स डीलर ने बताया कि आमतौर पर गाडिय़ों में 55 से 60 वाट के बल्ब लगे रहते हैं, पर कई लोग लाइट्स बढ़ाने के लिए 90 वाट तक के बल्ब की डिमांड करते हैं। इसके अलावा कई लोग कार के फ्रंट फ्रेम में एक्सट्रा लाइट्स भी लगवाते है। 6 हजार रुपए तक में मिलने वाले ये लाइट्स इतने पावरफुल होते हैं कि सामने से आ रहे इंसान की आंखें कई सेंकेंड्स के लिए धुंधली हो जाती हैं।

HID बढ़ा रही परेशानी
हेडलाइट की रोशनी को बढ़ाने के लिए कई लोग हाई इंटेंसिटी डिस्चार्ज (एचआईडी) लाइट्स यूज करते हैं। पर इन एचआईडी लाइट्स की रोशनी इतनी ज्यादा ब्राइट होती है कि कई बार इसकी लाइट की वजह से सामने से आ रहे ड्राइवर का देखना मुश्किल हो जाता है। एचआईडी लाइट्स की रोशनी ट्रेडिशनल हैलोजन हेडलाइट्स से 50 परसेंट तक ज्यादा होती है। सिटी में इन एचआईडी लाइट्स की जबरदस्त डिमांड है। बड़ी संख्या में लोग ट्रेडिशनल हेडलाइट्स को करीब 8,500 रुपए तक में मिलने वाले एजआईडी लाइट से रिप्लेस कर रहे हैं।

'कई बार सामने से आती गाड़ी की हेडलाइट की बीम इतनी ब्राइट होती है की कुछ पलों के लिए दिखाई देना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में एक्सीडेंट का खतरा काफी बढ़ जाता है.'
रोहित जैन, साकची

Report by: abhijit.pandey@inext.co.in

Posted By: Inextlive