- हाई कोर्ट में प्रेक्टिस कर रहे अधिवक्ताओं की मांगी सूची, हड़ताल को बताया सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना

NANITAL: हाई कोर्ट ने देहरादून, हरिद्वार व ऊधमसिंह नगर में वर्षो से न्यायालयों में किए जा रहे कार्य बहिष्कार पर सख्ती दिखाई है. मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने माना कि वकीलों की हड़ताल से वादकारियों को समयबद्ध न्याय नहीं मिल रहा है. साथ ही हड़ताल करना सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से तीनों जिलों के अधिवक्ताओं की सूची तलब की है, जो हाईकोर्ट में प्रेक्टिस करते हैं.

समय पर नहीं मिल रहा न्याय

वेडनसडे को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ में देहरादून निवासी ईश्वर सांडिल्य की जनहित याचिका में सुनवाई हुई. 2016 में दायर याचिका में कहा गया है कि दून बार एसोसिएशन द्वारा पिछले 34 साल से हर सैटरडे को हड़ताल की जा रही है. जिससे न्याय प्रक्रिया में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है साथ ही वादकारियों को समय पर न्याय नहीं मिल रहा है. अधिवक्ताओं ने सैटरडे को हड़ताल कर अवकाश का दिन मान लिया है. याचिकाकर्ता ने उत्तराखंड के समस्त बार एसोसिएशन, हाई कोर्ट बार एसोसिएशन, स्टेट बार काउंसिल, बार कॉउंसिल ऑफ इंडिया को याचिका में पक्षकार बनाया है. पूर्व में कोर्ट ने तीनों जिलों के जिला एवं सत्र न्यायाधीशों से जिला बार एसोसिएशन द्वारा पिछले साल की गई हड़तालों का ब्यौरा तलब किया था. कोर्ट ने हड़ताल को सुप्रीम कोर्ट की अवमानना करार दिया है. मामले में अगली सुनवाई मंडे को होगी.

Posted By: Ravi Pal