मऊआइमा निवासी एसिड अटैक की पीडि़त युवती को न सही इलाज मिल रहा न मुआवजा

इलाहाबाद के मऊआइमा में तेजाब हमले की पीडि़ता के मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन से जानकारी मांगी है। कोर्ट ने पूछा है कि पीडि़ता के समुचित इलाज और उसे मुआवजा देने के संबंध में क्या कदम उठाए गए। कोर्ट ने अगली सुनवाई 28 मई को नियत करते हुए यह देने को कहा है।

यह आदेश चीफ जस्टिस डीबी भोंसले तथा जस्टिस सुनीत कुमार की खंडपीठ ने लॉ इंटर्न पल्लवी, प्रतिभा, अनमोल और कुणाल की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।

सरकार का कर्तव्य है प्रक्रिया पूरी कराना

कोर्ट ने कहा है कि तेजाब हमले की पीडि़ता और उसके घर वालों से यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वह विक्टिम कंपन्शेसन एक्ट के तहत मुआवजा पाने के लिए की जाने वाली प्रक्रिया को पूरा कर करें। कोर्ट ने कहा कि यह सरकार और उसके अधिकारियों का कर्तव्य है कि वे स्वयं जाकर आवश्यक औपचारिकताएं कानून के मुताबिक पूरी करवाएं और जिससे पीडि़ता को मुआवजा मिल सके। याचिका दाखिल करने वाले चारों लॉ इंटर्न 18 साल की पीडि़ता का हाल चाल जानने स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल गए थे। उन्होंने पाया कि पीडि़ता को एसी यानी वातानुकूलित सुविधा नहीं दी गई है। उसके परिजनों से दवा भी बाहर से लाने को कहा गया है। याचिका कर्ताओं का कहना है कि शीर्ष कोर्ट ने तेजाब हमले के एक मामले में पीडि़ता का एडवांस स्पेशल ट्रीटमेंट कराने का निर्देश दिया है। उस आदेश के अनुसार मऊआइमा में तेजाब पीडि़ता को भी इलाज मुहैया कराया जाए।

Posted By: Inextlive