- हाईकोर्ट के फैसले के बाद कैंट बोर्ड को बड़ी राहत

- चमेली सुनहरी देवी महिला लाइब्रेरी का है मामला

Meerut : कैंट बोर्ड के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला राहत लेकर आया है। चमेली सुनहरी देवी महिला लाइब्रेरी के मामले में डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के विपरीत हाईकोर्ट ने सभी फैसलों को निरस्त करते हुए राहत दी है। आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर क्या है मामला?

क्99ख् से ख्0क्ख् तक

कैंट बोर्ड द्वारा संचालित आधारशिला पब्लिक स्कूल के कंपाउंड स्थित चमेली सुनहरी देवी महिला लाइब्रेरी को क्99ख् में बोर्ड मेंबर्स के मोशन के तहत दो सालों के लिए फिजियोथेरेपिस्टसीके रेड्डी को लाइसेंस पर अलॉट कर दिया गया। क्99ब् में लाइसेंस समाप्त होने के बाद भी सीके रेड्डी ने लाइब्रेरी नहीं छोड़ा और न ही नया एग्रीमेंट हुआ। वर्ष ख्0क्क् स्कूल के विस्तार करने के लिए बोर्ड से एजेंडा पास हुआ और स्कूल के पीछे के गोडाउन और लाइब्रेरी को खाली कराने का प्रस्ताव पास हुआ। लाइब्रेरी खाली न करने की सूरत में ख्0क्ख् में पीपी एक्ट के तहत केस चलाया और खाली कराने के ऑर्डर होने के बाद बोर्ड ने उनका सामान बाहर कर कब्जा ले लिया।

डिस्ट्रिक्ट कोर्ट का फैसला पलटा

सीके रेड्डी पीपी एक्ट के तहत किए गए फैसले के खिलाफ डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में चले गए। वर्ष ख्0क्फ् में डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने सीके रेड्डी के फेवर में फैसला सुनाते हुए कहा कि कैंट बोर्ड ने सीके रेड्डी को किराएदार मानें और उनसे किराया वसूल करें। उसके बाद हफ्ताभर पहले डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने ये भी कहा कि बोर्ड सीके रेड्डी को पुन: कब्जा दें।

हाईकोर्ट ने पलटा फैसला

कैंट बोर्ड ने हाईकोर्ट में रिट दायर कर दी, जिसकी सुनवाई सोमवार को हुई। कैंट बोर्ड पक्ष के वकील ने कहा कि किसी भी सरकारी सार्वजनिक सम्पत्ति को किराए पर देना संभव नहीं है। बोर्ड ने अपनी संपत्ति को सार्वजनिक हित के लिए ही खाली कराया है। कोर्ट ने बोर्ड के पक्ष पर सहमती जताते हुए डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के फैसलों पर स्टे कर दिया है। कैंट बोर्ड के अधिकारियों की मानें तो हमारी मांग पूरी तरह से जायज थी। कोर्ट का फैसला पूरी तरह से सही है।

कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। स्कूल के विस्तारीकरण के लिए ही उसे खाली कराया गया था। वैसे भी सरकारी सार्वजनिक संपत्ति को किराए पर नहीं दिया जा सकता है।

- एमए जफर, पीआरओ, कैंट बोर्ड

Posted By: Inextlive