आपको याद है भारत की एक एयरलाइन्स जो दिवालिया हो गई और एयरलाइन्स के मालिक जिनकी जिन्दगी गुड टाइम्स का कलेन्डर थी वो कहीं उड़नछू हो गए कोई उनको ढूंढे तो कैसे ढूंढे बड़े आदमी जो ठहरे। उनको बैंक ढूंढ रहे हैं और साथ ही दिवालिया एयरलाइन्स के कर्मचारियों का तो उनको ढूंढ़ना बनता है आखिर पापी पेट का सवाल जो है तो हाईजैक होता है एक प्लेन और फिर क्या होता है यही है फिल्म की कहानी।


समीक्षा : माइंडलेस कॉमेडी की कोशिश


मुंबई। भारत मे कॉमेडी फिल्में दो तरह की होती हैं। एक में दिमाग घर पे रख के आने की जरूरत होती है और दूसरी जो इतनी डम्ब नहीं होती। ये फिल्म बीच मे कहीं झूलती है। कहीं-कहीं पर जोक्स सटल हैं और इंटेलीजेंट भी और कहीं-कहीं पर बस माइंडलेस हैं और हाई ऑन एंटरटेनमेंट। फिल्म का प्लाट हंसी पैदा करता है और फिल्म के किरदार उस हंसी को ठहाकों में कन्वर्ट करने की कोशिश करते हैं। देशभक्ति से लेकर फेमिनिज्म तक हर एक टॉपिक पर आपको एक न एक जोक मिल ही जायेगा। देखा जाए तो ज्यादातर फिल्म एक सोशल सटायर जिनको, माइंडलेस कॉमेडी के प्लेन पे बिठा कर ऊपर उड़ाने की कोशिश की गई है। ये फिल्म काफी फिल्मों से अलग है। फिल्म में भारतीय फिल्मों के पैमाने के हिसाब से हीरो या हेरोइन नहीं हैं। बस किरदार हैं जो विभिन्न सोशल ग्रुप्स को रिप्रेजेंट करते हैं। फीमेल पायलट से लेके क्रिकेटर तक सब मिलेंगे आपको इस फ्लाइट पे जो काफी 'हाई' उड़ रही है। फिल्म बेहद छोटे बजट में बनी है जो साफ दिखता है पर 'ट्रैप्ड' की तरह ये इस बात का सबूत है कि कम बजट में भी मजेदार फिल्म बनाई जा सकती है।

क्या आया पसंद : बेहतरीन निर्देशन
आकर्ष खुराना की बतौर निर्देशक ये पहली फिल्म है। फिर भी ऐसा नहीं लगता कि ये पहली है। उन्होंने अच्छा काम किया है, इस फिल्म को देखने के बाद आप उनकी दूसरी फिल्म का इंतजार जरूर करना चाहेंगे। अधीर भट (जिन्होंने इससे पहले सनम रे और हमशक्ल जैसी मूर्खतापूर्ण फिल्में लिखी हैं)उन्होंने फाइनली ढंग की कहानी लिख ली (फिल्म के एन्ड को छोड़ के)। फिल्म के डायलॉग अच्छे लिखे हैं और अजय शर्मा की एडिटिंग काफी टू द पॉइंट हैं।क्या नहीं आया पसंद : क्लाइमेक्स में फैला रायताक्लाइमेक्स में आके फिल्म काफी सारी फिल्मों की तरह रायते की तरह फैल जाती है और समझ मे नहीं आता कि आखिर हो क्या रहा है, यहां आके ही पहली बार एहसास होता है कि ये हमशक्लज़ के लेखक का काम है। एक्टिंग : ठीक-ठाककुमुद मिश्र और सुमीत व्यास इस फिल्म की हाईलाइट हैं। बाकी सब ने अपना अपना काम ठीक से किया है। वर्डिक्ट : इन तीन वजहों से देखें फिल्म

कुलमिलाकर ये फिल्म एक नार्मल से बेहतर फिल्म है। अपनी हिलेरिअस कहानी, संवाद और आकर्ष खुराना के निर्देशन के टैलेंट को देखने के लिए इस हफ्ते खुद का सिनेमाहॉल में हाईजैक होने देने में कोई बुराई नहीं दिखती।रेटिंग : 3.5 स्टार Yohaann Bhaargava Twitter : yohaannnMovie Review Raazi : सच्ची घटना पर आधारित है आलिया की ये फिल्म, देखने की पांच वजहें'एवेंजर्स इन्फिनिटी वॉर' धमाकेदार कलेक्शन के साथ जल्द बनेगी 100 करोड़ी, ऐसी रही फर्स्ट वीकेंड की कमाई

Posted By: Vandana Sharma