रांची: झारखंड में हायर एजुकेशन के स्टूडेंट्स को मास्साब का बेइंतहा इंतजार करना पड़ रहा है. कारण, स्टेट की यूनिवर्सिटीज व कॉलेजों में टीचर्स का भारी टोटा है. जो टीचर्स उपलब्ध हैं उन्हें भी कई विभागों का प्रभार सौंप कर लाचार बना दिया जा रहा है. यही वजह है कि राज्य में उच्च शिक्षा व्यवस्था बेपटरी होती जा रही है. उच्च शिक्षा के लेवल को बढ़ाने और इसे व्यवस्थित करने के लिए प्रोफेसर्स की दरकार है. हाल ये है कि राज्य की यूनिवर्सिटी व कॉलेजों में कुल पांच लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स हैं, लेकिन इन्हें पढ़ाने के लिए प्रोफेसर और रीडर की कुल संख्या सिर्फ 2,493 ही है. ऐसे में ठीक से क्लासेज न चल पाने से स्टूडेंट्स अपने फ्यूचर को लेकर बेहद परेशान हैं.

1400 टीचर्स की जरूरत

राज्य में सात यूनिवर्सिटी हैं, लेकिन इनमें से दो डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और बिनोद बिहारी महतो अबतक फुल फ्लेज में नहीं आ पाई हैं. इन यूनिवर्सिटीज में स्टूडेंट्स की जितनी संख्या है उस हिसाब से उन्हें पढ़ाने के लिये टीचर्स ही नहीं हैं. यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार, शिक्षक-छात्र का अनुपात 40-1 होना चाहिए. जबकि हाल यह है कि 200 स्टूडेंट्स पर एक ही शिक्षक हैं. इस कमी को पाटने के लिये कम से कम 1400 टीचर्स की और जरूरत है.

नॉलेज कमीशन की रिपोर्ट

नॉलेज कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार 45 हजार स्टूडेंट्स पर एक यूनिवर्सिटी होनी चाहिए. बिनोबा भावे यूनिवर्सिटी में टीचर्स के 850 पद हैं. इसमें 625 शिक्षक ही कार्यरत हैं. जबकि 198 पद रिक्त हैं. वहीं रांची यूनिवर्सिटी में 200 स्थायी टीचर्स की जरूरत है. कोल्हान, नीलांबर-पीतांबर और सिद्धो-कान्हू यूनिवर्सिटी में 1000 टीचर्स की जरूरत है.

सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा नहीं

राज्य में पहले से स्थापित पांचों यूनिवर्सिटीज में से किसी भी यूनिवर्सिटी को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा नहीं मिल पाया है. राज्य गठन के बाद कितनी सरकारें आयीं और गयीं लेकिन किसी ने भी उच्च शिक्षा को प्रायारिटी में नहीं रखा. हर बार घोषणा की गयी, प्रपोजल तैयार किया गया. लेकिन सभी ठंडे बस्ते में चले गये. उच्च शिक्षा के स्तर में गिरावट का यह भी प्रमुख कारण है.

प्रयोग भूमि बना शिक्षा विभाग

उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए, राज्य में प्रयोग पर प्रयोग होता रहा है. हायर सेकेंडरी व्यवस्था, सेमेस्टर सिस्टम और इंटर की अलग से पढ़ाई की बात सामने आई. लेकिन कोई भी व्यवस्था टिक नहीं सकी. सेमेस्टर सिस्टम में लेटलतीफी अब तक है. सरकार के आंकड़ों के मुताबिक एफिलिएटेड व अनुशंसित कॉलेजों में आर्ट्स, कॉमर्स और साइंस में क्रमश: 67,840, 54,784 और 54,784 सीटें हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से अधिकांश कॉलेज एक या दो कमरे में चलते हैं. न तो ढंग के शिक्षक हैं और ना ही पढ़ाई के लिए पर्याप्त संसाधन हैं.

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यूनिवर्सिटी कितने कॉलेज कितनी सीटें

सिदो-कान्हू 12 21,810

बिनोबा भावे 18 33,330

रांची विवि 15 29,823

नीलांबर-पीतांबर चार 7,475

कोल्हान 14 17,765

नोट-कुल संबद्ध कॉलेज 18 हैं, इनमें 32,100 सीटे हैं.

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किस यूनिवर्सिटी में कितने स्टूडेंट्स -कितने टीचर्स की है जरूरत

विवि स्टूडेंट्स की संख्या टीचर की संख्या कितने टीचर की जरूर

रांची विवि एक लाख 1,046 200

नीलांबर-पीतांबर 38 हजार 126 400

कोल्हान 62 हजार 356 300

बिनोबा भावे 1.5 लाख 600 350

सिदो-कान्हू 60 हजार 350 300

Posted By: Prabhat Gopal Jha