सत्र बीत गया, लेकिन ब्यौरा देने में आनाकानी कर रहे शिक्षा संस्थान

उच्च शिक्षा निदेशालय इलाहाबाद हुआ सख्त, एक्शन की तैयारी

ALLAHABAD: सेमिनार, सिम्पोजियम और वर्कशाप के नाम पर फर्जीवाड़ा कोई नई बात नहीं है। बहुतेरे ऐसे संस्थान हैं जो इन आयोजनो के नाम पर अपना उल्लू तो सीधा करते ही हैं, साथ ही सरकारी अनुदान को डकारने से भी पीछे नहीं हटते। वहीं जब इनका हिसाब देने की बारी आती हैं तो शैक्षिक संस्थानो के बुद्धिजीवी घुमाना शुरू कर देते हैं। कुछ ऐसी ही स्थिति प्रदेश में स्थापित विश्वविद्यालयों, राजकीय महाविद्यालयों एवं सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों की भी है।

विश्वविद्यालयों को भेजा आदेश

स्टेट में स्थापित विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में शैक्षिक सत्र का समापन हो चुका है और नए शैक्षिक सत्र का आगाज भी हो चुका है। लेकिन अभी तक ज्यादातर शैक्षिक संस्थानो ने सरकारी मशीनरी को यह बताना उचित नहीं समझा है कि सालभर उन्होंने सेमिनार, सिम्पोजियम और वर्कशाप के नाम पर लिए गए सरकारी अनुदान का पैसा कहां खपाया है? ऐसे में उच्च शिक्षा निदेशालय की ओर से ऐसे संस्थानो के प्राचार्यो एवं विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों को सख्ती के साथ निर्देश जारी किए गए हैं।

नहीं तो नपेंगे अधिकारी

उच्च शिक्षा निदेशालय इलाहाबाद की निदेशक डॉ। प्रीति गौतम की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि जिन संस्थाओं ने पिछले वित्तीय वर्ष में अनुदान प्राप्त किया था। किन्तु उनका उपभोग प्रमाण पत्र निदेशालय को नहीं दिया है, वे अविलम्ब उपभोग प्रमाण पत्र उपलब्ध कराएं। डॉ। प्रीति गौतम ने अपने आदेश में कहा है कि यदि इस कार्य में लापरवाही की गई तों संबंधित अधिकारी और संस्था के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जाएगी।

15 अगस्त तक भेजना था प्रपोजल

यही नहीं संस्थान जहां पिछले वर्ष का हिसाब किताब देने में आनाकानी कर रहे हैं। वहीं नए शैक्षिक सत्र में सेमिनार, सिम्पोजियम एवं वर्कशाप के आयोजनो का प्रस्ताव भेजने में भी हिलाहवाली कर रहे हैं। जबकि किसी भी अकादमिक संस्था में शिक्षकों और छात्रों की रचनात्मकता को बढ़ाने के लिए इन आयोजनो का निरंतर समय पर होना जरूरी है। संस्थानो को भविष्य के कार्यक्रमों के लिए 15 अगस्त तक प्रस्ताव उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया था।

समसामयिक मुद्दों के लिए जरूरी

समसामयिक एवं नवोन्वेषी विषयों पर शासन के मानक के अनुसार निर्धारित प्रारूप पर अपेक्षित प्रस्ताव निदेशालय को संतोषजनक रूप में प्राप्त नहीं हो सके हैं। ऐसे में इन्हें निर्धारित प्रारूप पर समय से भेजना सुनिश्चित करना होगा। चयनित संस्थाओं को स्वीकृत धनराशि का भुगतान एनईएफटी एवं आरटीजीएस के द्वारा किया जाएगा। ऐसे में संस्था का खाता संख्या, आईएफएससी कोड, बैंक का नाम, शाखा, जनपद का उल्लेख अनिवार्य रूप से करना होगा।

Posted By: Inextlive