हिन्दुस्तानी एकेडेमी के सभागार में 'हिन्दी गीत परंपरा : अतीत व वर्तमान' विषयक संगोष्ठी हुआ आयोजन

ALLAHABAD: गीत साहित्य के अध्ययन पर निर्भर नहीं करता है। गीत साहित्य की एक विधा है जिसे विश्व का हर साहित्य स्वीकार करता है। जर्मन व स्पेनिश इत्यादि ही नहीं बल्कि भारत की हर भाषा में गीत है। गीत का प्राणतत्व उसकी लय बद्धता उसकी गेयता है। यह बातें पश्चिम बंगाल के गर्वनर पं। केशरी नाथ त्रिपाठी ने रविवार को हिन्दुस्तानी एकेडेमी की ओर से एकेडेमी सभागार में आयोजित हिन्दी गीत परंपरा : अतीत व वर्तमान विषयक संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि साहित्यप्रेमियों के बीच कही।

गीत कविता की आदिम जमीन

संगोष्ठी के दूसरे वक्ता वरिष्ठ कवि यश मालवीय ने कहा कि अपनी परंपरा और अतीत से जुड़कर जब गीत अधुनातन बोध से जुड़े तो नव गीत कहलाता है। इसलिए गीत कविता की आदिम जमीन है। एक अन्य वक्ता सुधांशु उपाध्याय ने कहा कि नव गीत संत परंपरा के सांस्कृतिक और लोक तत्व परंपरा का विकास है। यह एक ओर वेदों की कृषि संबंधित ऋचाओं से जुड़ता है तो दूसरी ओर समकालीन त्रासदी और संघर्षो को भी स्वर देता है। अतिथियों का स्वागत एकेडेमी के अध्यक्ष डॉ। उदय प्रताप सिंह ने किया कोषाध्यक्ष रविनंदन सिंह ने संचालन किया।

पुस्तक का हुआ विमोचन

संगोष्ठी के दौरान मुख्य अतिथि पं। केशरीनाथ त्रिपाठी व अन्य विशिष्टजनों ने एकेडेमी के अध्यक्ष डॉ। उदय प्रताप सिंह की पुस्तक आलोचना की परंपरा भाग-दो का विमोचन किया। इस मौके पर प्रो। एचडी शर्मा, डॉ। मीरा सिन्हा, देवेश कुमार श्रीवास्तव, रमाकांत शर्मा, डॉ। पूर्णिमा मालवीय, नंदल हितैषी आदि मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive