हिन्दुस्तानी एकेडेमी में कथाकार शिव प्रसाद सिंह विषयक संगोष्ठी का हुआ आयोजन

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PRAYAGRAJ: भारतीय संस्कृति से शिव प्रसाद जी का गहरा अनुराग था। जो साहित्य की विभिन्न विधाओं जैसे उपन्यास, कथा, निबंध आदि के माध्यम से व्यक्त होता है। वह भारतीयता के संवाहक थे। यह विडंबना है कि उनको हिन्दी साहित्य में पहचान नहीं मिली। यह बातें हिन्दुस्तानी एकेडेमी के सभागार में शनिवार को शिव प्रसाद सिंह विषय पर हुई संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता डॉ। क्षमा शंकर पांडेय ने कही। डॉ। पांडेय ने कहा कि मनुष्यता की चिंता उनके साहित्य का मूल बिंदु है और वह अपने समय के सवालों से पंजा लड़ा रहे थे।

साहित्य को लोगों ने बांट दिया

संगोष्ठी के दूसरे वक्ता एटा से आए डॉ। कामेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा कि शिव प्रसाद को आलोचकों ने फलक पर आने नहीं दिया लेकिन पाठकों ने उन्हें बहुत पढ़ा जो लेखक की सफलता है। वे कहते थे कि साहित्य को साहित्य की दृष्टि से देखना चाहिए। पर लोगों ने साहित्य को वादों में बांट दिया। जिसका खामियाजा शिव प्रसाद को भोगना पड़ा। अध्यक्षता करते हुए एकेडेमी के अध्यक्ष डॉ। उदय प्रताप सिंह ने श्री सिंह के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। संचालन वरिष्ठ साहित्यकार नंदल हितैषी का रहा। इस मौके पर उमेश श्रीवास्तव, रामायण प्रसाद, राकेश वर्मा, डॉ। एके सिंह आदि मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive