GORAKHPUR : कोचिंग सेंटर का एक ऑफिस. ऑफिस में अपनी कुर्सी पर कोचिंग के डायरेक्टर कुछ इंपॉर्टेंट फाइलें निपटाने में बिजी हैं. तभी उनका मोबाइल रिंग होता है. दो तीन रिंग के बाद वे फोन उठाते हैं. जैसे ही वे फोन करने वाले से मुखातिब होते हैं उन्हें भद्दी गालियां मिलती हैं. इससे पहले वे कुछ समझ पाते हैं उन्हें जान से मारने तक की धमकी मिल चुकी होती है. यह फोन कोई और नहीं सिटी स्टूडेंट्स लीडर्स और राजनीतिक पार्टियों के नेता करते हैं. ये वे स्टूडेंट्स लीडर्स है जो सिटी के महत्वपूर्ण चौराहे पर मिड नाइट होर्डिंग और बैनर लगवाते हैं. उसके बाद दबंगई दिखाते हैं. दबंगई किसी और से नहीं बल्कि एडवरटाइजिंग कंपनियों के कर्मचारियों और एडवरटाइजर से करते हैं. आखिरकार सिटी के स्टूडेंट्स लीडर्स से एडवरटाइजिंग कंपनियां और एडवरटाइजर इतना डरे और सहमे हुए क्यों है? आपको हम बताते हैं.


धमकी से पूरा दिन हो जाता है डिस्टर्ब ब्रिटिश कंप्युनिकेशन के डायरेक्टर अखिलेश सिंह बताते हंै वह अपने इंस्टीट्यूट के एडवरटाइजमेंट के लिए एजेंसी से कांटै्रक्ट करते हैं। फ्लैक्स लगाने के लिए वे 1,500-2,000 रुपए में बुकिंग करते हैं। लेकिन छात्र नेता या फिर पार्टी के नेता हमारे फ्लैक्स पर अपनी होर्डिंग लगा देते हैं। अगर एडवरटाइजिंग कंपनियां उसे उतारती हैं तो उसके बाद छात्र नेताओं के फोन का सिलसिला शुरू हो जाता है। फोन पर सीधे सीधे गाली देकर बात की जाती है। हद तो तब हो जाती है जब जान से मारने तक की धमकी दी जाती है। धमकी में यह भी कहा जाता है कि अपना कोचिंग चलाना चाहते हो या नहीं? कई बार तो इनके इस धमकी भरे फोन से मेरा पूरा दिन डिस्टर्ब हो जाता है। स्टूडेंट्स को पढ़ाने का भी मन नहीं करता है। आखिर हम इसकी शिकायत करें तो कहां करें?


हर दिन करना पड़ता है सामना

मॉर्डन एडवरटाइजिंग कंपनी के अजय श्रीवास्तव बताते हैं क्लाइंट के ऑर्डर पर सिटी के मेन चौराहों पर होर्डिंग और बैनर लगाए जाते हैं। लेकिन क्लाइंट के होर्डिंग या फिर बैनर लगाने के कुछ ही घंटे बाद किसी स्टूडेंट लीडर का बैनर या होर्डिंग लग जाता है। अगर उसे उतारने या हटाने की कोशिश की जाती है तो जान से मारने की धमकी दी जाती है। उनकी मानें तो शायद ही कोई दिन ऐसा जाता है जब फोन पर गालियां या जान से मारने की धमकी न मिलती हो। यही हाल कृष्णा इंटरप्राइजेज के मैनेजर नीरज गुप्ता का है। वे बताते हैं कोई ऐसा दिन नहीं गुजरता जब उनके मोबाइल पर किसी छात्र नेता या फिर लीडर्स का धमकी भरी काल न आती हो। पूरा दिन तो टेंशन में बीतता ही है, इसके अलावा घर से बाहर निकलने में डर लगता है। जब आई नेक्स्ट ने उनसे ऐसे छात्र नेताओं का नाम जानने की कोशिश की तो वे इतने दहशत में थे कि उन्होंने नाम बताने से इनकार कर दिया। महीने में 10 दिन ही दिखते हैं विज्ञापन

विज्ञापनदाताओं की मानें तो अपने प्रोडक्ट के प्रचार-प्रसार के लिए वह किसी न किसी माध्यम का यूज करते हैं। इनमें से एक है एडवरटाइजिंग कंपनियां। अब सिटी के प्रमुख चौराहों पर अपना विज्ञापन लगवाना हो तो विज्ञापन एजेंसियों से कांट्रेक्ट करना पड़ता है। ऐसे में जब कोई विज्ञापनदाता होर्डिंग की बुकिंग करा लेता है तो स्टूडेंट्स लीडर्स उसकी जान के दुश्मन बन जाते हैं। जान के डर से  विज्ञापनदाता इसकी शिकायत न तो पुलिस से कर पाते हैं और न ही जीएमसी के आला अफसरों से।डरपोक है जीएमसी नियमानुसार, जीएमसी का रेंट डिपार्टमेंट को होर्डिंग बैनर्स की निगरानी करनी चाहिए। उनका काम है कि अवैध बैनर्स और होर्डिंग्स को हटवाए। लेकिन जीएमसी ऐसा कुछ?भी नहींकरती है। डिपार्टमेंट के क्लर्कों की मानें तो इन लीडर्स से कौन पंगा लेकर कौन अपनी जान पर खतरा मोल ले? यही वजह है कि दबंग स्टूडेंट लीडर्स एडवरटाइजिंग कंपनियों और एडवरटाइजर को निशाना बनाते हैं। रेंट डिपार्टमेंट को एक एडवरटाइजिंग कंपनी से 25-30 लाख रुपए इनकम होती है। लेकिन स्टूडेंट्स लीडर्स की धमकी से जीएमसी की आय पर पर विपरीत असर हो रहा है।कैसे करते हैं खेल
हाल ही में एक एडवरटाइजिंग कंपनी के मैनेजर ने एक इंस्टीट्यूट की होर्डिंग असुरन चौक पर लगवाई थी। जिस दिन दोपहर में होर्डिंग लगाई गई उसी रात किसी छात्र नेता का होर्डिंग उस पर लगा दिया गया। उसके बाद इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर ने एडवराटाइजिंग कंपनी के मैनेजर से कहा कि उसकी होर्डिंग पर किसी छात्र नेता का होर्डिंग लगा है, जिसे हटाए। उधर एडवरटाइजिंग कंपनी के मैनेजर ने जैसे ही होर्डिंग उतरवाना शुरू किया तो छात्र नेताओं का एक दल उनके पास पहुंचा और धमकाने लगा। एडवरटाइजिंग कंपनी के मैनेजर ने इसकी शिकायत जीएमसी के विज्ञापन प्रभारी से की है। चंद रुपए की बचत के लिए दादागीरीअगर कोई छात्र नेता या फिर पार्टी नेता अपनी होर्डिंग लगवाता है तो इसके लिए उसे 20 3 10 के होर्डिंग के लिए 13,500 रुपए पेमेंट करने होंगे। यह एक महीने के लिए होता है। लेकिन कुछ रुपए की बचत के लिए वे एडवरटाइजिंग कंपनियों  पर धौंस दिखाते हैं। अगर बात करें स्टूडेंट लीडर्स द्वारा बनाए गए पोस्टर व बैनर की तो ज्यादा से ज्यादा इनके बैनर एक से दो हजार रुपए में बन जाते हैं। इसलिए वह 13,500 रुपए खर्च नहीं करते। पैसे बचाने के लिए वह पूरी तरह से दादागीरी दिखाते हैंहोर्डिंग के प्राइम लोकेशन- बक्शीपुर चौराहा - बैंकरोड - गोलघर - इंदिरा बाल विहार - यूनिवर्सिटी चौराहा - असुरन चौराहा - मोहद्दीपुर चौराहा - कचहरी चौराहा - छात्रसंघ चौराहा नगर निगम की तरफ से होर्डिंग को लेकर बराबर अभियान चलाया जाता है। अगर कोई विज्ञापनदाता को होर्डिंग से संबंधित अपनी शिकायत दर्ज करानी है तो वह सीधे प्रभारी विज्ञापन को कंप्लेंट दर्ज करा सकते हैं.आरके त्यागी,-म्यूनिसिपल कमिश्नर, जीएमसी गोरखपुर
अगर किसी को फोन पर धमकी दी जाती है तो वह सीधे पुलिस में कंप्लेंट कर सकता है। इसके अलावा हमारे सीयूजी नंबर 9454401054 पर भी कंप्लेंट कर सकता है। -परेश पांडेय, एसपी सिटी गोरखपुर

Posted By: Inextlive