हाॅकी वर्ल्ड कप 2018 की शुरुआत 28 नवंबर से भुवनेश्वर में हो रही। हाॅकी इतिहास का यह 14वां वर्ल्डकप है। भारत में आयोजित इस विश्व कप में भारतीय हाॅकी टीम का प्रदर्शन कैसा होगा यह तो वक्त बताएगा। मगर आपको बता दें जब से हाॅकी वर्ल्ड कप एस्ट्रोटर्फ पर खेला गया भारत यहां जीत नहीं पाया।


कानपुर। ओडिशा के भुवनेश्वर में आयोजित हाॅकी वर्ल्ड कप 2018 की शुरुआत बुधवार से हो रही। 19 दिनों तक चलने वाले इस टूर्नामेंट में 16 टीमें हिस्सा लेने आई हैं। टाइटल डिफेंड कर रही ऑस्ट्रेलियाई हाॅकी टीम इस बार भी खिताब की प्रबल दावेदार मानी जा रही। वहीं सिर्फ एक बार विश्व चैंपियन रही भारतीय टीम के लिए घर में अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव होगा। वैसे आपको बता दें कि पिछले वर्ल्ड कप में भारत 9वें नंबर पर रहा था मगर इससे भी नीचे साल 1986 में गिरा था जब पहली बार हाॅकी वर्ल्ड कप में एस्ट्रोटर्फ का इस्तेमाल किया गया।1986 वर्ल्ड कप में पहली बार एस्ट्रोटर्फ का प्रयोग
1986 में इंग्लैंड में खेले गए हॉकी विश्व कप में पहली बार एस्ट्रोटर्फ का प्रयोग किया गया था। इस टूर्नामेंट में कुल 12 टीमों ने हिस्सा लिया जिसमें ऑस्ट्रेलिया विश्व चैंपियन बनकर उभरा। लंदन में आयोजित इस प्रतियोगिता में भारत और पाकिस्तान का प्रदर्शन सबसे खराब रहा। दोनों टीमें निचली दो पायदानों पर रहीं। भारत जहां 12वें पायदान पर रहा था वहीं पाकिस्तान को 11वें स्थान से संतोष करना पड़ा। भारतीय टीम को उस विश्व कप में अपने खेले छह मुकाबलों में से केवल एक में जीत नसीब हो पाई थी। हालांकि, भारतीय खिलाड़ी मुहम्मद शाहिद इंग्लैंड के रिक चा‌र्ल्सवर्थ के साथ टूर्नामेंट में सर्वाधिक गोल छह गोल करने वाले खिलाड़ी रहे। उस दौरान अपने घरेलू दर्शकों के सामने इंग्लैंड ने भी अपने खेल से प्रभावित किया।क्या यही थी हार की वजहफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 1-2 से हारने से पहले उसने पश्चिम जर्मनी को सेमीफाइनल में शिकस्त देकर सबको चौंका दिया था। सोवियत यूनियन ने भी सेमीफाइनल में जगह बनाई थी, जहां उसे ऑस्ट्रेलिया के हाथों करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। तब लगातार दो बार खिताब जीतने के बाद खेलने उतरी पाकिस्तान की टीम ने अपने खराब प्रदर्शन के लिए एस्ट्रोटर्फ को जिम्मेदार ठहराया था।कैसा होता है एस्ट्रोटर्फ मैदान


एस्ट्रोटर्फ मैदान की खास बात यह होती है, कि यह पूरी तरह समतल होता है। इसमें क्रतिम खास उगाई जाती है, जो साधारण घास की अपेक्षा अधिक मजबूत होती है। कह सकते हैं, कि इस घास की मिट्टी के अंदर पकड़ मजबूत होती है, जिससे खेल के दौरान यह उखड़ती नहीं है और एक बड़ी समस्या जैसे खेल के दौरान मैदान पर गढडे हो जाने की समस्या से छुटकारा मिल जाता है। इस मैदान पर दिन और रात दोनों टाइम मैच खेले जा सकते हैं। क्रिकेट मैदान की तरह इस मैदान पर फ्लड लाइट लगाई जाती हैं।हाॅकी वर्ल्ड कप 2018 : भारत ने दो बार की है मेजबानी, टाॅप 3 में भी नहीं मिली थी जगह194 देशों में देखे जाएंगे हाॅकी वर्ल्ड कप मैच, जानिए भारत में किस चैनल पर और कितने बजे शुरु होगा मैच

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari