बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में हर वर्ष होलिका दहन होता है।

इस वर्ष रंगों का त्योहार होली 21 मार्च को है। इससे एक दिन पहले होलिका दहन 20 मार्च को होगा। बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में हर वर्ष होलिका दहन होता है। इससे जुड़ी होलिका और प्रह्लाद की कथा आप सबको पता है, लेकिन हम आपको भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी उस कहानी के बारे में बताते हैं, जिसे आप जानते हैं लेकिन होलिका दहन के संदर्भ में संभवत: पहली बार सुन—पढ़ रहे होंगे।

फाल्गुन शुल्क पक्ष की पूर्णिमा को पूतना वध

पंडित आचार्य दीपक पांडेय के अनुसार, कंस ने भगवान श्रीकृष्ण को मारने के लिए पूतना राक्षसी को भेजा था। पूतना ने स्तनपान कराकर बाल कृष्ण को मारने की योजना बनाई थी, लेकिन विष्णु अवतार श्रीकृष्ण से पूतना की यह साजिश कहां छिपने वाली थी।

भगवान श्रीकृष्ण ने उसका वध कर दिया और उसे परलोक पहुंचा दिया। बाल कृष्ण ने जिस दिन पूतना का वध किया था, उस दिन शुल्क पक्ष की पूर्णिमा का दिन था। तभी से हिंदू रीति रिवाज में आज ही के दिन होलिका दहन का आयोजन किया जाने लगा।

होलिका पूजन से होती है सुख-समृद्धि की प्राप्ति

विधि विधान से होलिका पूजन करने से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। पूजन के लिए रोली, कच्चा सूत, चावल, फूल, हल्दी, बतासे और एक लोटा जल एक थाली में रख लें। होलिका दहन वाले स्थान पर अपना नाम, पिता का नाम, गोत्र का नाम और भगवान गणेश का ध्यान करें। इसके बाद मां अंबिका, भगवान विष्णु और भोलेनाथ का ध्यान करें।

इसके बाद भक्त प्रहलाद का नाम लें और फूलों से पूजन करें। हाथ जोड़कर मन ही मन अपनी कामनाएं मांगें। अंत में जल रही होली पर लोटे का जल चढ़ा दें और होलिका की राख को अपने घर ले आएं।

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Posted By: Kartikeya Tiwari