देवाधिदेव बाबा विश्वनाथ के भाल सजा रंग और इसी के साथ काशी में होली के हुड़दंग की शुरुआत हो गई. बाबा भोले नाथ गये थे अपनी धर्मपत्नी माता पार्वती का गौना कराने तो उन्हें विश्वनाथ गली में भक्तों ने रंग बिरंगे गुलाल से सराबोर कर दिया. फिर बाबा कहां शांत रहने वाले थे उन्होंने भी भक्तों के साथ जमकर कर होली खेली. काशी वासियों ने शनिवार को रंगभरी एकादशी का पर्व पूरे श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया. मान्यता है कि यहां के लोग आज के दिन बाबा विश्वनाथ के साथ रंग खेल कर उनसे होली खेलने की अनुमति लेते हैं. बाबा भी भक्तों के साथ होली खेलकर उन्हें अनुमति प्रदान करते हैं.


गोधुलि बेला में निकली पालकी


महंत डॉ। कुलपति तिवारी के आवास से गोधुलि बेला में बाबा विश्वनाथ के चलायमान रजत विग्रह की पालकी निकली। उनके पीछे था बाबा के बारात में शामिल लोगों का अपार जनसमूह। घरों की छतों पर बाबा की एक झलक पाने के लिए लोगों की हजारों आंखें पलक पावड़े बिछाए हुए थीं। हर ओर अबीर गुलाल की बौछार थी और पूरा वातावरण रंगों से सराबोर। ढोल, नगाड़े और शहनाई के मधुर स्वरों के बीच रह-रह कर उठ रहे हर हर महादेव के उद्घोष वातावरण को और भी भव्य बना रहे थे। भक्त जगह-जगह भगवान के रजत विग्रह पर गुलाब की पंखुडिय़ों की बारिश कर रहे थे। साल में एक बार निकलने वाले बाबा के रजत विग्रह को मंदिर के गर्भगृह तक ले जाया गया। लोगों का उत्साह सारी सीमाएं तोडऩे को आतुर था। उनलोगों की खुशियों का तो कोई पारावार नहीं था जिन्हें पालकी को कंधे पर उठाने का मौका मिला।  शिवार्चनम् का हुआ आयोजन

बाबा विश्वनाथ के इस अलौकिक रूप का दर्शन करने के लिए लोगों का रेला दोपहर बाद से ही विश्वनाथ गली में पहुंचने लगा था। बाबा के दरबार  को फूल-पत्तियों व रंगीन झालरों से काफी भव्य तरीके से सजाया गया था। इस अवसर पर काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद की ओर से संगीतमय संध्या शिवार्चनम् का आयोजन किया गया। ख्यातिलब्ध संगीताचार्यों ने अपनी कला साधना से बाबा के चरणों में संगीतांजलि अर्पित की।

Posted By: Inextlive