सामान्य तौर पर अमेरिकी हिंदुओं के प्रति उदासीन होते हैं जबकि नास्तिकों और मुस्लिमों को कम भरोसेमंद मानते हैं. जी हां एक नए सर्वे में यह बात सामने आई है.

हिंदुओं को मिलती प्रमुखता
प्यू रिसर्च सेंटर ने कहा, 'आश्चर्यजनक रूप से अमेरिकी एक हिंदू डॉक्टर को प्रमुखता देते हैं, उनके बच्चे का इंजीनियरिंग प्रोफेसर हिंदू हो सकता है. गली में खुले होटल का मालिक भी हिंदू हो सकता है. लेकिन इस सबके बावजूद बहुत कम ही लोग व्यक्तिगत तौर पर किसी हिंदू को जानते हैं.' कुछ अमेरिकियों का मानना है कि जब हम किसी धर्म या समुदाय के लोगों से वास्तव में मुलाकात करते हैं तब हम अपना पूर्वाग्रह और रूढि़वाद छोड़ते हैं. अमेरिकियों से जब धार्मिक समूहों को शून्य से 100 के बीच अंक देने को कहा गया तो यहूदी, कैथोलिक और इंवाजलिकल पहले तीन स्थानों पर रहे. बौद्ध, हिंदू और मॉर्मन (एक धार्मिक और सांस्कृतिक समूह) को प्रतिभागियों ने मध्य श्रेणी में रखा. मुस्लिम नीचे से चौथे स्थान पर रहे. नास्तिक लोगों को ज्यादातर अमेरिकियों ने निचले तीन पायदान पर रखा.
मुस्लिमों से रहता 36 का आंकड़ा
मुसलमानों के प्रति अमेरिका का रवैया किसी से छुपा नहीं है. अमेरिका में मुसलमानों को हमेशा शक की नजरों से देखा जाता है. इस मामले में अमेरिका ने किसी भी तरह का समझौता नहीं करता. इसके कई उदाहरण हमारे सामने आ चुके हैं. भारत के फॉर्मर प्रेसीडेंट अब्दुल कलाम आजाद को भी मुसलमान के कारण अमेरिकी सुरक्षा विभाग ने उनकी एयरपोर्ट पर चेकिंग की थी. इसके साथ ही बॉलीवुड एक्टर शाहरुख खान को भी कुछ इस तरह के प्रोसेस से गुजरना पड़ा था. इन उदाहरणों से साफ झलकता है कि अमेरिका मुसलमानों को किस नजर से देखते हैं.

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari