AGRA: मेरा नाम संदीप है. मेरी उम्र 24 साल है. मैं हाईस्कूल फेल हंू. मेरे पिता नहीं है. सुशील नगर में अपनी विधवा मां के साथ अकेला रहता हूं. एक छोटी से परचून की शॉप है. पहले मेरी मां भूरीदेवी इसको देखती थीं लेकिन पिछले सात साल से मैं खुद ही शॉप को चला रहा हूं. कभी कभी बाजार से समान लेने जाता हूं. पिछले दो दिन से काफी परेशान हूं. समझ में नहीं आ रहा कि क्या करुं. ये परेशानी मुझे दी है सिटी की पुलिस ने. चुनाव आ गए हैं इसलिए एरिया पुलिस ने मेरे को शांति भ्ंाग में पाबंद कर दिया है.

पुलिस ने पूछा लोगों के बारे में
थाना पुलिस मेरी शॉप पर दो दिन पहले आई थी। उन्होंने मेरे से बात की और ये जानकारी ली कि मैं कितने साल से शॉप खोले हूं। मैं कुछ समझ नहीं पाया अपने सहित चार लोगों को नाम दे दिया। बाद में पता चला कि हम लोगों को पाबंद कर दिया गया है।
आज तक कोई केस नहीं
मैं आज तक किसी भी केस में नहीं हूं। ना ही आज तक मैंने थाने की शक्ल देखी है। 10 साल की ऐज में कट गए थे पैर
जब मैं दस साल का था तब ट्रेन से दिल्ली जा रहा था। तभी कुछ लोगों का आपस में विवाद हो गया था। इस दौरान धक्का लगने से मैं ट्रेन से गिर गया और मेरे दोनो पैर कट गए थे।


भाई ने नहीं दिया साथ
हम दो भाई हैं, मेरा भाई अलग रहता है। हम दोनो मां बेटे जैसे तैसे अपना जीवन जी रहे हैं, लेकिन दो दिन से बड़ा उदास हूं। आखिर करुं तो क्या करुं।
क्यों किए जाते पाबंद
चुनाव से पहले शहर में उन लोगों को पाबंद किया जाता है। जो क्रिमनल एक्टिविटी के होते हैं। या फिर वो जो चुनाव के मौके पर कोई बखेड़ा कर सकते हैं। ऐसे लोगों को एक महीने पहले पाबंद किया जाता है।
ये हैं सवाल
1- संदीप के ऊपर अभी तक कोई भी पुलिस केस नहीं हैं।
2- विकलांग ऐसा क्या कर सकता है जो चुनाव के लिए है खतरा।
3- पाबंद करने से पहले क्रिमिनल रिकार्ड क्यों नहीं देखा गया।

Report by- Piyush Sharma

Posted By: Inextlive