त्रिवेणी तट पर सोमवार को श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी की ओर से दीक्षा संस्कार का आयोजन किया गया.

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PRAYAGRAJ: त्रिवेणी तट पर सोमवार को श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी की ओर से दीक्षा संस्कार का आयोजन किया गया। संस्कार के जरिए अखाड़े से पांच सौ संन्यासियों का जुड़ाव अखाड़े से हो गया। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेन्द्र गिरी व योग गुरु स्वामी रामदेव के सानिध्य में त्रिवेणी तट पर दोपहर में संन्यासियों की दीक्षा संस्कार के दौरान हर-हर महादेव का जयकारा गूंजता रहा। इस दौरान संन्यासियों की घर-परिवार की मोहमाया छूट गई। वहीं आनंद अखाड़े के आचार्य पीठाधीश्वर बालकानंद गिरी ने देर रात दीक्षा लेने वाले पांच सौ संन्यासियों का विजया हवन कराकर विधि-विधान से संन्यास कराया।

क्षौर कर्म और पिंडदान से पूरा हुआ संस्कार

-दीक्षा संस्कार से पहले सभी संन्यासियों को त्रिवेणी तट पर क्रम से बैठाया गया।

-सभी ने सबसे पहले गंगा में डुबकी लगाई। फिर लंगोट में ऊपर बिना वस्त्र के सबको बैठाया गया।

श्रीमहंत नरेन्द्र गिरी व स्वामी रामदेव की देखरेख में सभी का क्षौर कर्म कराया गया।

-मुंडन के बाद सिर में हल्दी लगाई गई और सभी ने एक बार फिर से गंगा में डुबकी लगाई।

-इसके बाद तीन-तीन पीढि़यों के लिए पिंड बनाया गया और सभी ने अपना और पुरखों का विधि-विधान से पिंडदान किया।

-दोपहर एक बजे पिंडदान का संस्कार सम्पन्न होने पर सभी संन्यासियों को निरंजनी अखाड़े में लाया गया।

फिर लगाई डुबकी
अखाड़े में वापस आने पर देर शाम निरंजनी अखाड़े की धर्मध्वजा के नीचे सभी संन्यासियों को बैठाया गया। यहां मध्य रात्रि के बाद आनंद अखाड़े के आचार्य पीठाधीश्वर बालकानंद गिरी ने श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के शिविर में पहुंचकर सभी का विजया हवन कराया और एक-एक कर सभी को दीक्षा दी। उसके बाद बालकानंद गिरी की अगुवाई में सभी संन्यासी एक बार फिर त्रिवेणी तट पर पहुंचे। जहां सभी संन्यासियों ने हर-हर महादेव का जयकारा लगाते हुए गंगा में एक बार फिर डुबकी लगाई। अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत रवीन्द्र पुरी ने बताया कि सभी की पहचान को गुप्त रखा गया है क्योंकि दीक्षा संस्कार के बाद इनका सांसारिक जीवन से कोई वास्ता नहीं रह गया है और सभी घर-परिवार की मोहमाया से दूर हो गए हैं।

 

 

 

Posted By: Inextlive