पति रहते हैं मोबाइल पर बिजी,पत्नी को चाहिए तलाक
-इंटरनेट और मोबाइल के ज्यादा एडिक्शन ने निजी रिश्तों को उलझाया
-गोरखपुर में हर महीन तीन-चार से दंपतियों के मामले पहुंच रहे थाने Gorakhpur@inext.co.inGORAKHPUR: केस एक
मोहद्दीपुर की एक युवती की शादी दो साल पहले हुई है. उसके पति देर शाम से घर लौटते हैं. घर आने के बाद भी वह अपने ऑफिस के काम में बिजी हो जाते हैं. मोबाइल पर बिजी होने की वजह से पत्नी संग अक्सर विवाद होता रहता है. थाना पर शिकायत पर पहुंचने पर कैंट पुलिस ने मामला साल्व कराया. पति-पत्नी दोनों को रात में कम मोबाइल फोन यूज करने की सलाह दी.
केस दो
शाहपुर की सुनीता की कई सखियां रात आठ बजे के बाद ऑनलाइन हो जाती हैं. आपस में चैटिंग करने के चक्कर में वह घर का कामकाज भूल जाती हैं. ऐसे में उसके घर में रोजाना विवाद होने लगा. परिवार के लोगों के समझाने पर बात नहीं बनी तो पुलिस ने हस्तक्षेप किया. फिर किसी तरह से उनके बीच की दरार कम हुई.
मोबाइल फोन से दूरी बनाने की हिदायत
ये दो मामले इतना बताने के लिए काफी हैं कि अपनों से नजदीकियां बढ़ाने के लिए इस्तेमाल होने वाला इंटरनेट रिश्तों में दूरियां बढ़ाने की भी बड़ी वजह बन रहा है. इंटरनेट और मोबाइल के ज्यादा एडिक्शन ने निजी रिश्तों को उलझा के रख दिया है. यहां तक कि इंटरनेट वैवाहिक जीवन में खलनायक की भूमिका निभाने लगा है. इसके अत्यधिक उपयोग से पारिवारिक कलह ही नहीं, बल्कि तलाक के मामले भी तेजी से बढ़ गए हैं. कैंट इंस्पेक्टर रवि राय ने बताया कि घर पर होने के बावजूद ज्यादातर टाइम मोबाइल पर देने से विवाद बढ़ रहा है. हाल में आई शिकायतों का निस्तारण कराकर रिश्ते में विलेन बन रहे मोबाइल फोन से दूरी बनाने की हिदायत दी गई है.
बीवी से ज्यादा स्मार्टफोन को दे रहे वक्त
मोबाइल फोन ने आमने-सामने से होने वाले संवाद को काफी कम कर दिया है. व्हाट्सअप और फेसबुक को ज्यादा समय देने की वजह से नजदीक होने के बावजूद लोग दूर-दूर नजर आ रहे. मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि लोग गैजेट्स पर ज्यादा जोर देते हैं. इसलिए पर्सलन रिलेशन में बाधा आ रही. इसलिए ऐसे मामलों में काउंसलर भी लोगों को कम से कम गैजेट्स का इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं. महिला थाना से लेकर पुलिस अधिकारियों तक मोबाइल फोन से पति-पत्नी के बीच होने वाले विवादों की शिकायत सामने आने लगी है.
फैमिली को समय न देने की वजह से बढ़ रही तकरार
डिजिटल इंडिया में हर कोई मोबाइल फोन पर डिपेंड होता जा रहा है. सोशल मीडिया से लेकर ऑफिस तक के कामकाज को मोबाइल फोन के जरिए निपटाने की कोशिश चल रही है. विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों में कार्यरत कर्मचारी अपने कामकाज का अपडेट मोबाइल पर कर रहे हैं. ऑफिस से घर पहुंचने के बाद बॉस का फोन आने के बाद मोबाइल लेकर लोग बिजी हो जाते हैं. ज्यादातर लोग दिन में सोशल मीडिया से दूर रहते हैं. लेकिन ऑफिस टाइम खत्म होने पर वह जैसे ही घर पहुंचते हैं तो वह ऑनलाइन हो जाते हैं. दोस्तों से चैटिंग सहित अन्य चीजों की जानकारी जुटाने के चक्कर में लोगों के बीच आपसी बातचीत भी कम हो गई है. इस वजह से परिवार में पति-पत्नी और बच्चों के बीच किसी न किसी बात को लेकर तकरार हो जा रही.
संवाद, संवेदना और समर्पण रिश्तों को जीवित रखने के मूल तत्व हैं. वर्चुअल रिश्तों में एक्चुअल रिलेशन की गंभीरता कम होती जा रही है. इसमें मोबाइल फोन की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता है. मोबाइल जैसी चीजों में लोग इतने उलझ गए हैं कि हम क्या खो रहे हैं. इसका पता नहीं चलता है. रिश्तों में दरकन की प्रतिक्रिया होने पर जब जानकारी होती है तो समय काफी पीछे छूट जाता है.
अनीता अग्रवाल, एडवोकेट, फैमिली काउंसलर