-सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के छोटे बेटे प्रतीक और पीडब्लूडी मिनिस्टर शिवपाल यादव के नाम से कॉल कर सैकड़ों ऑफिसर्स व कई मिनिस्टर्स को लगाया चूना

-खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को शक होने पर दर्ज हुई थी एफआईआर

-किसी से पर्सनली मिलने पर खुद को बताता था आईएएस ऑफिसर

-फर्जीवाड़े में इस्तेमाल किया जाने वाला सिम समेत भारी संख्या में फर्जी दस्तावेज बरामद

LUCKNOW: मैं प्रतीक यादव बोल रहा हूंमेरा एक परिचित है, उसे आप बांदा में मौरंग खनन का पट्टा दे दीजियेउसकी डिटेल आपको जल्द भेज दी जाएगीसपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के छोटे बेटे प्रतीक यादव के नाम पर कुछ इसी तरह की कॉल की गई थी खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को। शक होने पर मंत्री प्रजापति ने नंबर की सत्यता की जांच कराई। पर, उस नंबर का सिम प्रतीक के ही नाम पर रजिस्टर्ड था। आखिरकार मंत्री प्रजापति ने खुद प्रतीक से ही कॉल की तस्दीक कर ली। तब जाकर फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। जिसके बाद इसकी शिकायत गौतमपल्ली थाने में दर्ज कराई गई। मामला हाईप्रोफाइल होने की वजह से साइबर क्राइम सेल को भी इसकी जांच में जुटाया गया और आखिरकार संडे सुबह आरोपी जालासाज और उसके पीआरओ को दबोच लिया गया। उसके कब्जे से प्रतीक यादव की फर्जी आईडी से लिया गया सिमकार्ड और फर्जीवाड़े में इस्तेमाल होने वाले तमाम दस्तावेज बरामद हुए हैं। शुरुआती जांच में आरोपी द्वारा कई मिनिस्टर्स और आईएएस व आईपीएस ऑफिसर्स को इसी तरह चूना लगाने का खुलासा हुआ है। पुलिस ने पड़ताल शुरू कर दी है।

शक होने पर दर्ज कराई एफआईआर

एसएसपी राजेश कुमार पांडेय के मुताबिक, 12 जून को खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के पास एक कॉल आई। कॉल करने वाले शख्स ने पहले शिवपाल यादव और फिर प्रतीक यादव बन उनसे बांदा स्थित एक मौरंग के पट्टे को किसी परिचित को दिये जाने की बात की। बातचीत के दौरान मंत्री प्रजापति को शक हो गया। बताया जाता है कि मंत्री प्रजापति ने पहले खुद ही इस कॉल की सत्यता जांची। जांच में इसके फर्जी पाए जाने के बाद मोबाइल नंबर के आधार पर जालसाज के खिलाफ गौतमपल्ली थाने में इसकी एफआईआर दर्ज कराई गई। जब पुलिस ने शुरुआती छानबीन की तो पता चला कि उस मोबाइल नंबर का सिम 5 विक्रमादित्य मार्ग निवासी प्रतीक यादव के ही नाम पर इश्यू था। यह देख पुलिसकर्मियों के पैरों तले जमीन खिसक गई।

नंबर ने ही पहुंचाया सलाखों के पीछे

एसएसपी राजेश पांडेय ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए छानबीन के लिए साइबर क्राइम सेल को भी लगाया गया। सेल के नोडल ऑफिसर अशोक कुमार वर्मा के नेतृत्व में गठित टीम ने छानबीन शुरू की तो पता चला कि प्रतीक यादव के नाम से रजिस्टर्ड यह सिम फर्जी आईडी पर लिया गया है और इसे प्रतीक यादव ने कभी भी इस्तेमाल नहीं किया। जांच आगे बढ़ी तो पता चला कि यह सिम मैनपुरी निवासी रामशंकर शाक्य इस्तेमाल कर रहा है। जिसके बाद साइबर क्राइम सेल में तैनात एसआई विजयवीर सिंह सिरोही, कॉन्स। फिरोजबदर और गौतमपल्ली पुलिस की संयुक्त टीम ने हजरतगंज एरिया में आरोपी रामशंकर शाक्य और उसके कथित पीए कैसरबाग निवासी फिराक हुसैन को अरेस्ट कर लिया।

कोचिंग में फ्लॉप होने पर शुरू किया यह धंधा

पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद रामशंकर शाक्य ने बताया कि कुछ साल पहले उसने अलीगंज में जीविका चलाने के लिये कोचिंग शुरू की। पर, उसकी इच्छा के मुताबिक इस धंधे में आमदनी नहीं थी। आखिरकार कुछ दिन बाद ही कोचिंग बंद कर वह धोखाधड़ी के इस धंधे में कूद पड़ा। उसने कैसरबाग निवासी फिराक हुसैन को अपना पीए बना लिया। इसके बाद इस जोड़ी ने मिनिस्टिर्स और आईएएस व आईपीएस ऑफिसर्स को निशाना बनाना शुरू कर दिया। उसने बताया कि उन लोगों ने इस तरह से उसने कुछ ही समय में करोड़ों रुपये कमा लिये।

कई खुलासे हुए, कई बाकी

साइबर क्राइम सेल के नोडल ऑफिसर डीएसपी अशोक कुमार वर्मा के मुताबिक, अब तक की पड़ताल में पता चला है कि आरोपी रामशंकर ने आगरा निवासी रंजन गुप्ता को खनन का पट्टा दिलाने के नाम पर 1.10 करोड़ रुपये, आगरा में ही बिल्डिंग की सील खुलवाने के नाम पर 10 लाख रुपये ऐंठे थे। इसके अलावा झांसी के रहने वाले मनीष यादव नाम के एक युवक को पुलिस कॉन्स। की नौकरी दिलाने के नाम पर 5 लाख की ठगी की थी।

बरामदगी देख उड़े होश

रामशंकर को अरेस्ट करने वाली पुलिस टीम ने जब उसके फ्लैट की तलाशी ली तो वहां से बरामद फर्जीवाड़े का सामान देख पुलिसकर्मियों के होश उड़ गए। उसके फ्लैट से 4 मोबाइल फोन, सचिव मुख्यमंत्री पंधारी यादव की फर्जी मुहर, प्रबंध निदेशक भारतीय प्रशासनिक सेवा संस्थान की मुहर, अशोक की लाट अंकित आरएस शाक्य आईएएस ऑफिसर के दर्जनों विजिटिंग कार्ड, सदस्य विधानसभा का सादा लेटर हेड, कई बैंकों की चेक बुक, कई विभागों में भर्ती व ट्रांसफर संबंधी दस्तावेज, पुलिस भर्ती प्रवेश पत्र और अन्य दस्तावेज बरामद हुए।

लग्जरी लाइफस्टाइल जी रहा था रामशंकर

एसएसपी राजेश पांडेय ने बताया कि आरोपी रामशंकर हजरतगंज चौराहे पर स्थित कसमंडा अपार्टमेंट की सातवीं मंजिल पर रहता था। उसकी रईसी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसने 2200 स्क्वायर फीट के दो फ्लैट्स 711 सी व डी को दीवार तोड़कर आपस में मिला लिया था। दो फ्लैट्स को मिलाकर बने इस अकेले फ्लैट की ही कीमत तीन करोड़ रुपये बताई जाती है। इसके साथ ही इस फ्लैट में सुख-सुविधा के सभी साधन मौजूद हैं।

तीन महीने पहले की थी शादी

पड़ताल में पता चला कि आरोपी रामशंकर ने एटा के कासगंज, सोरों निवासी टीचर की बेटी से तीन महीने पहले ही शादी की थी। उसने अपने ससुर बताया था कि वह सीनियर आईएएस ऑफिसर है।

पुलिस टीम

आरोपी रामशंकर और फिरोज हुसैन को अरेस्ट करने वाली पुलिस टीम, जिसमें इंस्पेक्टर जनार्दन दुबे साइबर सेल, एसआई विजयवीर सिरोही, एसओ गौतमपल्ली सुरेंद्र कटियार, कॉन्स। फिरोज बदर, कॉन्स। अखिलेश, कॉन्स। हरिकिशोर, कॉन्स। संतोष कुमार, कॉन्स। सूर्यप्रकाश मिश्रा, प्रांजुल मिश्रा, अखिलेश यादव शामिल हैं, को एसएसपी राजेश पांडेय ने पांच हजार रुपये का इनाम देने की घोषणा की है।

Posted By: Inextlive