प्रधानमंत्री कार्यालय से एक निर्देश जारी होने के बाद सूचना एवं प्रसारण आईबी मंत्रालय ने फेक न्‍यूज पर अपने दिशा निर्देश वापस ले लिए हैं। इससे पहले पत्र सूचना ब्‍यूरो पीआईबबी ने 2 अप्रैल 2018 को 'गाइडलाइंस फॉर एक्रीडिशन ऑफ जर्नलिस्‍ट्स अमेंडेड टू रेग्‍युलेट फेक न्‍यूज' शीर्षक से एक विज्ञप्ति जारी किया था। मंत्रालय ने अपने एक संक्षिप्‍त बयान में कहा कि इसे वापस ले लिया गया है।

निंदा के बाद पीएमओ ने दिए मंत्रालय को आदेश
नई दिल्ली (प्रेट्र)।
कई स्थानों से मंत्रालय के कदम की निंदा होने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने आईबी मिनिस्ट्री को फेक न्यूज पर विज्ञप्ति वापस लेने का आदेश दिया था। पीएमओ ने कहा था कि फेक न्यूज को लेकर कोई भी फैसला प्रेस नियामकों के विवेक पर छोड़ देना चाहिए। सूत्रों के अनुसार पीएमओ नहीं चाहता कि सरकार ऐसे मामलों में हस्तक्षेप करे।
15 दिनों में आएगी फेक न्यूज की जांच रिपोर्ट
बतादें कि हाल ही में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने प्रेस रिलीज जारी करते हुए कहा था कि अगर किसी भी मामले में फेक न्यूज की शिकायत आती है तो उसकी जांच होगी। प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की फेक न्यूज की जांच अलग-अलग एजेंसियों द्वारा की जाएगी। अगर फेक न्यूज प्रिंट मीडिया से जुड़ी है तो उसकी जांच के लिए प्रेस कौंसिल ऑफ इंडिया (PCI) को इसकी सूचना दी जाएगी। वहीं अगर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़ा हुआ तो न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (NBA) को इसकी जानकारी दी जाएगी। इसके बाद ये दोनों ही ये संस्थाएं यह तय करेंगी कि न्यूज फेक है या नहीं।

पत्रकार की मान्यता हमेशा के लिए होगी रद्द

विज्ञप्ति में कहा गया है कि उम्मीद है कि ये दोनों ही एजेंसियां 15 दिनों के भीतर जांच पूरी कर लेंगी। वहीं मीडिया पर अंकुश लगाने के नए प्रावधानों में यह साफ हो गया है कि जो पत्रकार फेक न्यूज के मामले में दोषी पाया जाएगा उसकी मान्यता स्थाई रूप से रद्द हो सकती है। अगर पहली बार फेक न्यूज का मामला आता है तो पत्रकार की मान्यता छह महीने के लिये निलंबित की जाएगी। दूसरी बार ऐसा होने पर एक साल के लिए उसका निलंबन होगा और अगर तीसरी बार ऐसा होता है तो उस पत्रकार की मान्यता हमेशा के लिए रद्द कर दी जाएगी।  

अहमद पटेल ने ट्वीटर पर उठाए थे सवाल

बतादें कि हाल ही में कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने ट्वीटर पर फेक न्यूज के बढ़ते मामलों में सरकार की भूमिका पर सवाल उठाए थे। उन्होंने पूछा था कि इन खबरों की जांच करने के लिए सरकार क्या प्रयास करती है। ऐसे में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने उन्हें जवाब दिया था। जवाब में उनका कहना था कि आप भी जानते हैं कि प्रेस परिषद ऑफ इंडिया (पीसीआई) और न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) दोनों ही सरकार द्वारा नियंत्रित नहीं किए जाते हैं। ऐसे में ये दोनों ही तय करेंगे कि खबर फेंक है या नहीं। इस पर अंकुश लगाने का हर संभव प्रयास है।

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Posted By: Shweta Mishra