'जब चिदंबरम सबकुछ भूल गए'
शुक्रवार को मौक़ा था गृह मंत्रालय की सितंबर महीने की प्रगति रिपोर्ट पेश करने का, लेकिन ज़ाहिर है पत्रकार भला ऐसे मौक़े को कैसे हाथ से जाने देते।
पत्रकारों ने जब पूछा कि क्या पिछले 10 दिनों में उन्होंने इस्तीफ़ा देने की ईच्छा ज़ाहिर की थी इस पर चिदंबरम ने मज़ाक़िया अंदाज़ में जवाब देते हुए कहा, ''ईमानदारी से कहूं तो मेरी याददाश्त बहुत कमज़ोर है.''जब पत्रकारों ने पूछा कि गुरूवार को उनके और वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के बीच हुआ समझौता क्या उनकी जीत और प्रणब मुखर्जी की हार थी, इस पर भी चिदंबरम ने कहा कि गृह मंत्रालय में इस तरह की कोई बात हुई हो उन्हें याद नहीं।जब एक पत्रकार ने ये पूछा कि क्या आपने तीन बार इस्तीफ़ा देने की पेशकश की थी, इस पर चिदंबरम ने फिर मज़ाक़िया अंदाज़ में कहा, ''कमज़ोर याददाश्त के साथ-साथ मैं गिनती में भी कमज़ोर हूं.'' पत्रकारों के बार बार पूछे जाने पर उन्होंने यही कहा कि उन्हें कुछ भी याद नहीं है या फिर ये सवाल गृह मंत्रालय से जुड़े नहीं हैं।
सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मामले और उनके तथा सुब्रहमण्यम स्वामी के बीच चल रहे झगड़े के बारे में पूछे जाने पर उनका कहना था, ''ये मामला गृह मंत्रालय से जुड़ा हुआ नहीं है और देश में कोई ना कोई तो गृहमंत्री हमेशा रहेगा ही.''