Meerut: मैं देश को मेडल दिलाना चाहती हूं. देश का गौरव बढ़ाना चाहती हूं मेरे सामने इस साल बड़ी चुनौतियां है. चोट से भी उबर चुकी हूं तो पक्का देश को मेडल जरूर जिताऊंगी. यह कहना है ओलंपियन जूडोका मेरठी गरिमा चौधरी का. आईनेक्स्ट के साथ गरिमा ने एक्सक्लूजिव बातचीत की.


- ओलंपिक के बाद चोटिल हो गए थे? अब कैसे हैं?- मेरी नी में प्रॉब्लम हो गई थी। काफी हार्ड वर्क किया ओलंपिक के बाद। लेकिन अब काफी अच्छी हूं। काफी कांफीडेंस में भी हूं। खुद को तरोताजा महसूस कर रही हूं।- एशियन गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स नजदीक हैं? तैयारी कैसी है?- बहुत अच्छी तैयारी चल रही हैं। मैं पांच फरवरी को यूरोप भी जा रही हूं टे्रनिंग के लिए। उम्मीद है दोनों प्रतियोगिताओं में मेडल जरूर आएगा। - एशियन गेम्स और कॉमनवेल्थ खेलों का एक्सपीरियंस है?- लास्ट एशियन गेम्स मैं खेली थी, पांचवा प्लेस आया था, लेकिन कॉमनवेल्थ खेलों में पहली बार खेलूंगी। 2010 में हुए कॉमनवेल्थ खेलों में जूडो शामिल ही नहीं था। हां लेकिन कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में मेरा मेडल है। - अभी कोई प्रतियोगिता खेली है?


- हां मैं अभी एशियन जूडो चैंपियनशिप खेलने बैंकाक गई थी। जहां मैं ब्रांज मेडल के लिए फाइट हार गई थी। लेकिन कांफीडेंस ही मिला क्योंकि चोट के बाद से मैं खेल से दूर थी। - ओलंपिक में मेडल नहीं जीतने की कसक अब पूरी होगी?

- नहीं, ओलंपिक मेडल तो ओलंपिक का मेडल है। उसका सपना अलग है। लेकिन हां कॉमनवेल्थ खेल और एशियन गेम्स भी बड़ी चैंपियनशिप हैं, इसमें मेडल जीतना बड़ी चीज है। मैं पूरी कोशिश कर रही हूं कि देश को इस बार मेडल जरूर दिलाऊंगी। - मेरठ में काफी सपोर्ट मिलता है, कैसा फील होता है?- बेशक, मेरठ मेरा घर है। मेरी मां पापा के साथ यहां के लोग भी मेरी काफी हेल्पफुल हैं। मुझे पसंद करते हैं। जब भी मेरठ आती हूं तो काफी खुशी महसूस होती है।

Posted By: Inextlive