कितना भारी मेरा बस्ता कर दी मेरी हालत खस्ता इसे उठाकर चलना मुश्किल बिना इसके पढऩा मुश्किल....सिटी के मासूम क्वालिटी एजूकेशन के नाम पर भारी बस्तों का बोझ ढ़ो रहे हैं.


-City के पांच सेंटर्स में i next ने चलाया 'कितना भारी बस्ता अभियान'-Different schools के बच्चों के bag का वज़न मिला मानकों से ज़्यादा लावण्या थर्ड क्लास की स्टूडेंट है. अपने फ्रैंड्स के साथ वह सुबह जिस जोश के साथ घर से स्कूल जाने के लिए निकलती है, वह स्कूल तक आते-आते हवा हो जाता है. यूं तो लावण्या का वेट केवल 24 केजी है, लेकिन आठ केजी के बैग को किसी तरह अपने नन्हे कंधों पर ढ़ोती हुई वह पसीने से तर-बतर होकर स्कूल पहुंचती है. इस नन्ही-सी बच्ची को देखकर साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि बच्चों का बचपन किस तरह किताबों के बोझ की भेंट चढ़ रहा है.Quality education के नाम पर बोझकभी क्वालिटी एजूकेशन की तसल्ली तो कभी पैरेंट्स की महत्वकांक्षाओं का बोझ भारी बस्तों के रूप ये बच्चे ढो रहे हैं.


आई नेक्स्ट द्वारा ‘कितना भारी मेरा बस्ता’ अभियान के दौरान यह सच सामने आया कि किस तरह पब्लिक स्कूल्स में ‘बैग एक्ट 2006’ की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. एक्ट में इस बात का प्रावधान किया गया है कि बच्चे के स्कूल बैग का वजन उसके वजन के दस फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए, लेकिन यहां तो हकीकत कुछ और ही है. स्कूल बैग के बोझ तले दबे बच्चों का बोझ कई बार पैरेंट्स भी शेयर करते हैं.बोझ से जूझ रहे मासूमइस अभियान के तहत आई नेक्स्ट द्वारा सिटी के पांच मेन एरियाज़ में अलग-अलग टीमों को इस खास पड़ताल के लिए तैनात किया  गया. इस मुहिम में हमने सिटी के शिमला बाईपास चौक पर स्थित सेंट ज्यूड्स और हिल्टन स्कूल, दर्शनलाल चौक स्थित सेंट थॉमस स्कूल, कोरोनेशन चौक के एरिया में स्थित ब्राइटलैंड, दून ब्वॉयज, द्रोणा इंटरनेशनल स्कूल, नेहरू कॉलोनी चौक स्थित समर वैली, सिद्धार्थ पब्लिक स्कूल, इंडियन एकेडमी व जाखन स्थित स्कॉलर्स होम स्कूल के बच्चों को शामिल किया गया.Rules का नहीं है खौफबैग एक्ट 2006 का फैक्ट जानने के लिए अलग-अलग स्कूल्स के बच्चों का वेट चेक करने के साथ ही उनके बैग का भी वेट चेक किया गया. अभियान के दौरान सामने आया कि थर्ड-फोर्थ क्लास के स्टूडेंट्स भी आठ-आठ किलो वेट वाले बस्ते ढो रहे हैं. घर से स्कूल तक का सफर तय करने में ही वह काफी थक जाते हैं. तमाम रूल्स बनाए जाने के बावजूद स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन स्कूल बैग को लेकर मनमानी कर रहे हैं. यही नहीं बैग एक्ट 2006 को लेकर स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन में कोई खौफ नहीं दिखाई देता.पढ़ाई की पीड़ा

बैग एक्ट 2006 के तहत जहां नर्सरी और केजी के बच्चों के लिए स्कूल बैग ले जाने का रूल ही नहीं है, वहीं सिटी के स्कूल्स में यह नाज़ुक कंधे जबरन बैग का बोझ ढोने के लिए मजबूर हैं. इसके साथ ही एक्ट में यह प्रावधान भी है कि बच्चे के बैग का वजन उसके वेट का दस परसेंट से ज़्यादा नहीं होना चाहिए, लेकिन सिटी के स्कूल्स की असलियत इससे बिल्कुल उलट है...Nurseryइस कैटेगरी में अवंतिका का बैग सबसे भारी मिला. हिल्टन स्कूल की स्टूडेंट अवंतिका का वजन 14 केजी है जबकि उनके बस्ते का वजन 4 केजी मिला. बस्ते का वजन ज्यादा होने के कारण उनकी मां उनका बैग स्कूल पहुंचाती हैं.LKGएलकेजी में सबसे भारी बैग कृष्णा नेगी का मिला. हिल्टन स्कूल में पढऩे वाली कृष्णा का कुल वजन 25 केजी है. जबकि इनका बैग पांच किलो का है.Class 1st डीपीएस स्कूल में पढऩे वाले वरदान का बैग सबसे भारी रहा. फस्र्ट क्लास में पढऩे वाले वरदान का वेट 20 केजी है. जबकि इनके बैग का वेट 5 केजी रहा.

Posted By: Surabhi Yadav