- चालान काटकर वसूलते थे जुर्माना, बुलाए जाएंगे थाना

- ट्रैफिक जागरुकता के लिए शहर में करेंगे शुरुआत

GORAKHPUR: शहर में बच्चों के हाथ रेसर बाइक और कार देकर खुश होने वाले पापा की मुश्किल बढ़ सकती हैं। दोस्तों में सिंबल स्टेट्स दिखाने निकले किशोरों के वाहन चेकिंग में पकड़े जाने पर उसके पिता के खिलाफ एक्शन लिया जा सकता है। प्रदेश की राजधानी में शुरू हुई नई व्यवस्था को गोरखपुर में अमल में लाने की तैयारी चल रही है। एसपी ट्रैफिक ने कहा कि कम उम्र के बच्चों के हाथ में खिलौना वाहनों से एक्सीडेंट की संभावना ज्यादा रहती है। उनके सड़कों पर स्टंट करने से अगल-बगल से गुजरने वाले दहशत में रहते हैं। पहले पांच सौ रुपए का चालान काटकर जुर्माना वसूलते थे लेकिन इसको लोग नजरअंदाज कर देते थे।

नाबालिग को वाहन देना कानूनन जुर्म

मोटरयान अधिनियम की धारा 180 के तहत नाबालिग बच्चों को वाहन चलाने देना जुर्म है। ऐसा करने वाले अभिभावकों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए तीन माह की सजा का प्राविधान भी किया गया है। बच्चे के वाहन चलाते पकड़े जाने पर उनके पिता का डीएल भी जब्त हो सकता है। आईपीसी में 88, 89, 109 सहित कई ऐसी धाराएं मौजूद हैं जो अपराध के लिए प्रेरित करने वालों पर लागू होती हैं। नाबालिग बच्चे को वाहन चलाने देने की मंजूरी देना अपराध को प्रेरित करना है। इसलिए अभिभावकों पर भी इन धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की जा सकती है। ट्रैफिक पुलिस ने जुड़े लोगों का कहना है कि हादसों में ज्यादातर टीनएजर्स शिकार बनते हैं।

एक्सीडेंट की प्रमुख वजहें

नाबालिगों को बाइक और कार चलाने की छूट

ओवरस्पीडिंग और नशे में धुत होकर गाडि़यों को दौड़ाना

ट्रैफिक नियमों की अनदेखी, सड़क पर मनमानी करना

बिजी सड़कों पर स्टंटबाजी करने के चक्कर में हादसे

हेलमेट न पहनने, सीट बेल्ट न बांधने की वजह से एक्सीडेंट

बॉक्स

उम्र जांचेगी पुलिस, बुलाए जाएंगे थाने

शहर में नई व्यवस्था लागू पर पुलिस जहां-तहां जांच पड़ताल करेगी। इस दौरान नाबालिगों के पकड़े जाने पर तत्काल उनके परिजनों को सूचना दी जाएगी। वाहन चलाने वाले बच्चों के गार्जियन को बुलाकर ट्रैफिक पुलिस उनसे नाबालिगों को गाड़ी न देने का अनुरोध करेगी। पहली बार में राहत दी जा सकती है। लेकिन दोबारा पकड़े जाने पर आरोपी के पिता को थाना की हवालात में रात गुजारनी पड़ेगी। ड्राइविंग कर रहे लोगों के लाइसेंस, आधार कार्ड, पैन कार्ड और स्कूल के दस्तावेजों के आधार पर उम्र की जांच पड़ताल की जाएगी। वाहन को सीज करके पुलिस थाने में खड़ा कर देगी। उनके पिता को रातभर हवालात में बैठाया जा सकता है।

गार्जियन करते लापरवाही, नहीं निभाते जिम्मेदारी

नाबालिग बच्चों के वाहन चलाने के मामले में पुलिस सख्ती करती है। लेकिन बाइक या कार चला रहे बच्चों के पकड़े जाने पर परिजन ही पैरवी करके छुड़ा ले जाते हैं। जबकि सबको पता है कि सड़कों पर होने वाले एक्सीडेंट में नाबालिगों को ज्यादा शिकार होना पड़ता है। शहर में ज्यादातर जगहों पर स्कूली बच्चे बाइक चलाते नजर आते हैं। किसी को बर्थडे पर पापा ने तेज रफ्तार बाइक खरीदकर दी तो किसी ने जिद करके टशन में गाड़ी खरीदवा ली है।

वर्जन

नाबालिगों को वाहन चलाने की अनुमति देना अपराध है। इस मामले में मुकदमा दर्ज कर अभिभावकों की गिरफ्तारी की जा सकती है। इसलिए 18 साल से कम उम्र के बच्चों को वाहन चलाने की अनुमति कतई न दें। अगर कोई ऐसा करता है तो बच्चे की जान से खिलवाड़ कर रहा है। जल्द ही अभियान चलाकर कार्रवाई शुरू की जाएगी। प्रदेश के कुछ जिलों में यह प्रयोग चल रहा है।

- आदित्य प्रकाश वर्मा, एसपी ट्रैफिक

कोट्स

बच्चों को खुश करने के चक्कर में गार्जियन गिफ्ट में तेज रफ्तार बाइक दे रहे हैं। यह चलन तेजी से बढ़ता जा रहा है। बच्चों के बालिग हुए बिना उनको वाहन चलाने देने पर परिजनों के खिलाफ एक्शन लिया जाना उचित है।

- पंडित नरेंद्र उपाध्याय, ज्योर्तिविद

कानून में इसका प्राविधान पहले से है। लेकिन कानून कोई नहीं मानता है। स्कूल गोइंग स्टूडेंट्स को अक्सर तेज रफ्तार बाइक चलाते हुए देखा जा सकता है। ऐसे में थोड़ी बहुत सख्ती बहुत जरूरी है।

- शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव, एडवोकेट

नियमों का उल्लंघन करने वालों पर एक्शन जरूरी है। इस दौरान इस बात का ध्यान रखा जाए कि किशोरों का उत्पीड़न न हो। उनके गार्जियन संग मिलकर पुलिस अवेयर करें। अगर इसके बाद भी वह नहीं सुधरते हैं तो लीगल कार्रवाई जरूरी हो जाती है।

- शिवेष राय, एडवोकेट

Posted By: Inextlive