PATNA : जिसके पिता ने चौथी बार में मैट्रिक पास किया उसके बेटे ने 12 साल में ही आईआईटी क्रैक कर लिया. बिहार के आरा जिले के बखोरापुर के रहने वाले सत्यम ने यह मिसाल कायम किया है. सैल्यूट है सत्यम के टैलेंट को.


एक छोटा बच्चा। उम्र दो वर्ष तीन महीना। अचानक खेलते-खेलते रामायण की लंबी चौपाई बोलने लगता है। घरवाले सुनकर हैरान। दादी ने पूछा कहवां से सीखला बबुआ रमायण, तब तोतली जुबान में उत्तर आता है बाबा पढ़त रहन, सुन के सीख गईनी यह है सत्यम का छोटा-सा परिचय। राज्य का नाम रोशनसत्यम जिसने महज 12 वर्ष की छोटी उम्र में आईआईटी एग्जाम में सफलता पाकर एक बार फिर बिहार का नाम सुर्खियों में ला दिया है। दादाजी रामलाल सिंह यह कह कर फूले नहीं समाते कि जिसका बाप चौथी बार में मैट्रिक पास किया, उसके बेटे ने छोटी उम्र में ही आईआईटी एग्जाम पास करके पूरे गांव ही नहीं राज्य का नाम रोशन कर दिया है।घर से ही मिली पहली शिक्षा


जिला आरा, गांव बखोरापुर का रहने वाला सत्यम आठवीं तक स्कूल नहीं गया। घर में ही प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। पूरी तरह किसान फैमिली से बिलांग करने वाले सत्यम को स्कूल इसलिए नहीं भेजा गया, क्योंकि गांव में कोई स्कूल है ही नहीं। दादा रामलाल सिंह बताते हैं कि हमारा बेटा यानी सत्यम का पिता सिद्धनाथ बहुत ही सीधा इंसान है, शंकर भगवान का भक्त है। हमेशा पूजा-पाठ में ही रहता है, इसलिए उसे बच्चों की पढ़ाई से खास लेना देना नहीं है। यही वजह है कि उसने अपने दोनों बेटों का नाम भी सत्यम और शिवम रखा है। 12 वर्ष के सत्यम का भाई शिवम 9 साल का है.  कोटा ने दिखाई राहचाचा पशुपति सिंह बताते हैं कि जब हमें लगा कि सत्यम में विलक्षण प्रतिभा है, तब पूरा परिवार उसे पढ़ाने में जुट गया। महज सात वर्ष में ही मैंने और सत्यम की दादी कुसुम देवी उसे लेकर कोटा चले गए, क्योंकि उसे आगे पढ़ाना था। वहां रेजनेंस संस्थान के डायरेक्टर आरके वर्मा से मिले। सात वर्ष के छोटे से बच्चे को देखकर पहले तो उन्होंने मना कर दिया। फिर हमसे कहा पहले बच्चे की पूरी पढ़ाई करवाइए। उन्होंने ही पहली से लेकर आठवीं तक की किताब सत्यम को ला कर दी। सत्यम ने बताया कि उन किताबों को मैंने छह महीने में ही पूरा कर लिया। इसके बाद स्पेशली ऑर्डर लेकर कोटा डाइट से राजस्थान बोर्ड की आठवीं की परीक्षा पास की। इसके बाद मॉडर्न स्कूल राजस्थान से पढ़ाई शुरू कर दी। 12वीं क्लास में सत्यम एपीयरिंग कैंडिडेट के रूप में एग्जाम दिया और सफलता भी पाई। कभी भी नहीं पढ़ा ज्यादा

सत्यम कोटा में रहकर पढ़ाई कर रहा है। अभी वह बहुत छोटा है, सो दादी और चाचा वहीं रेंट पर रूम लेकर साथ ही रहते हैं। सत्यम ने बताया कि मां-बाबूजी से दूर यहां आया, तो बस यही सोचा कि पढऩे आया हूं, बस पढ़ाई ही करूंगा। यही वजह है कि दो से आठ रात तक कोचिंग करता था और सुबह उठ कर बस दो घंटे पढ़ाई करता था। इसमें मैंने फिजिक्स और मैथ्स पर ज्यादा टाइम दिया। पुराने क्वेश्चन्स सॉल्व किए और कभी बहुत ज्यादा देर तक सेल्फ स्टडी नहीं की।और आगे जाना है अभीसत्यम ने 12 वर्ष की छोटी उम्र में भले ही एक बड़ा एचीवमेंट पा लिया हो, लेकिन अभी उसके सपने बहुत बड़े हैं। सत्यम ने बताया कि उन्हें इस बार 8137 रैंक मिला है, इसलिए वह दूसरी बार भी आईआईटी एग्जाम में देना चाहता है। उसने बताया कि मुझे टॉपर बनना है। सत्यम का सपना है कि डॉ अब्दुल कलाम की राह पर चल कर बहुत बड़ा साइंटिस्ट बन कर देश को कई नए आविष्कार दे। Report by : Vijaya Singh

Posted By: Inextlive