आईआईटी एडमिनिस्ट्रेशन ने दो दीक्षांत समारोह आयोजित किए

-दोनों समारोहों में नजर आया अलग-अलग माहौल

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यन्हृक्कक्त्र:

आईआईटी का 46 वां दीक्षांत समारोह अब तक हुए सभी समारोहों से अलग था। इतिहास में पहली बार पहली बार दो दीक्षांत भाषण हुए। दो चीफ गेस्ट थे। एक ही दिन दो तरह का माहौल था। पहला समारोह पीएचडी और एमटेक स्टूडेंट्स के लिए सुबह आयोजित किया गया। दोपहर बाद बीटेक और ड्युअल डिग्री प्रोग्राम वाले स्टूडेंट्स के लिए अलग से दीक्षांत समारोह हुआ। अगर आप सोच रहे हों कि ऐसा क्यों किया गया तो आईनेक्स्ट आज आपको आईआईटी कैंपस की वो कहानी बताने जा रहा है जो हर आईआईटी कैंपस के भीतर तो सबको पता है पर ये आज तक कभी बाहर नहीं आई।

आईआईटी के भीतर मनभेद

आईआईटी के भीतर बीटेक और एमटेक के स्टूडेंट्स के बीच जबदस्त विभाजन और मनभेद होता है।

इसकी वजह एडमिशन से जुड़ी है। बीटेक के स्टूडेंट्स इंटरमीडिएट के बाद जेईई एक्जाम क्रैक करके आईआईटी में पहुंचते हैं जबकि एम टेक के ज्यादातर स्टूडेंट्स गेट एक्जाम क्वालिफाई करके आईआईटी में एंट्री हासिल करते हैं। ये वहीं स्टूडेंट्स होते हैं जिन्हें इंटरमीडिएट के बाद आईआईटी में एडमिशन नहीं मिला था पर दूसरे कॉलेजों से बीटेक करने के बाद वो गेट के जरिए आईआईटी में एमटेक करने पहुंचते हैं। ये आईआईटी से बी टेक किए स्टूडेंट्स के कमतर कतई नहीं होते बस इंटर के बाद किसी वजह से या बदकिस्मती से जेईई में सलेक्ट नहीं हुए रहते हैं पर बीटेक के बाद अपनी मेहनत से आईआईटी पहुंच जाते हैं। ये बात आईआईटी से बीटेक स्टूडेंट्स को सालती है । स्टूडेंट्स के लेवल पर एक आईआईटी में दो आईआईटी होते हैं। एक बीटेक वाले और दूसरे एम टेक वाले। चिढ़ इतनी कि बीटेक के स्टूडेंट्स एम टेक वालों को मटके बोलते हैं।

कैंपस प्लेसमेंट के दौरान बढ़ती है प्रतिस्पर्धा

कुछ कम्पनीज एम टेक के स्टूडेंट्स को वरीयता देती हैं। इस वजह से आईआईटी के बीटेक स्टूडेंट्स का गुस्सा बढ़ता है। वो कहते हैं कि हम जेईई क्रैक करके आए और चार साल से रगड़ रहे हैं और वो कहीं और से बीटेक करके दो साल में हमसे ज्यादा योग्य हो गए।

दीक्षांत समारोह में टू स्टेट्स

आई आई टी के भीतर एक तरह के दो राज्य होते हैं और ये विरोधी राज्य होते हैं.इनकी आपस में नहीं बनती। आईआईटी प्रशासन ने दो दीक्षान्त समारोह करके इन राज्यों पर एक तरह से मुहर लगा दी।

फ‌र्स्ट हाफ के दीक्षांत समारोह में नीरसता छाई हुई थी। सिर्फ अरुण शौरी को जब डॉक्ट्रेट की उपाधि दी गई तो तालियों की आवाज आडिटोरियम में सुनाई पड़ीं। वहीं यूजी स्टूडेंट्स के दीक्षांत समारोह में जोश जुनून और जज्बा देखने को मिला। आडिटोरियम में जमकर कैप उछाली गई।

डुअल डिग्री वाले शाम को क्यों

जरा सोचिए कि जब एमटेक वालों को सुबह डिग्री बांटी गई तो फिर डुअल डिग्री कोर्स के एम टेक के स्टूडेंट्स को बीटेक वालों के साथ क्यों डिग्री दी गई। डुअल डिग्री कोर्स के लोग वो होते हैं जो बीटेक आईआईटी से करने के बाद एम टेक करते हैं। बात समझ में आ रही है न।

पीजी और पीएचडी का समारोह रहा नीरस

आईआईटी में पीजी के 699 स्टूडेंट्स को बुधवार की सुबह डायरेक्टर इन्द्र नील मन्ना ने डिग्री दी। एमेटक और पीएचडी स्टूडेंट्स के दीक्षांत समारोह के चीफ गेस्ट फिजिक्स की फील्ड में नोबल प्राइज पाने वाले जर्मनी के डॉ जे जी बेडनॉज थे।

तालियों की कमी पड़ गई

पहले समारोह के दौरान कोई जोश नजर नहीं आया। आडिटोरियम में कभी कभार एक दो तालियों की आवाज सुनाई पड़ जाती थी। प्रोग्राम खत्म हुआ तो भी स्टूडेंट्स में जोश नजर नहीं आया और वो चुपचाप बाहर निकल गए। हॉल में काफी सीट्स खाली भी रहीं।

सेकेंड हाफ में सब कुछ चेंज

सेकेंड हाफ के दीक्षांत समारोह में माहौल बिलकुल अलग था। यूजी और डुअल डिग्री बीटेक एमटेक प्रोग्राम में के स्टूडेंट्स ने एक दूसरे की हौसला अफजाई के लिए जमकर तालियां बजाई। हाल में एक भी सीट खाली नहीं थी। यहां तक की फ‌र्स्ट फ्लोर में पैरेंट्स फर्श पर बैठ कर अपने बेटे को डिग्री लेते देख रहे थे। मीडिया कर्मियों को भी फर्श पर बैठकर प्रोग्राम कवर करना पड़ा।

सोच में सुधार जरूरी है बच्चों

इंटर पास करके आईआईटी पहुंचे बच्चे टीनएजर्स होते हैं और करिअर से शुरआत में मिली सफलता से अक्सर खुद को दुनिया का सबसे बड़ा काबिल मान लेते हैं। उन्हें अंदाजा नहीं होता कि इंटर में फिजिक्स, कैमिस्ट्री और मैथ्स की नॉलेज दुनिया में काबिलियत का इकलौता पैमाना नहीं है।

जो स्टूटेंस्ट किसी वजह से इंटर के बाद आईआईटी में एडमिशन नहीं ले पाते उनमें से बहुत से उन लोगों से ज्यादा काबिल हो सकते हैं जिन्होंने जेईई में सफलता हासिल की हो। ये बात करिअर के बाद के दौर में तो सबको समझ में आ जाती है पर बीटेक के दौरान समझाने वाला कोई नहीं होता। इसलिए आज आईनेक्सट इस मुद्दे को सामने लेकर ये कोशिश कर रहा है कि विभेदीकरण की सोच आईआईटी में खत्म हो जिससे दो दीक्षांत समारोहों की जरूरत न पड़े।

बीटेक और एम टेक तो छोडि़ए हो सकता है बीए और एम ए का कोई स्टूडेंट भी आईआईटीयंस के बराबर योग्य हो। ये बात जो ना समझे वो अनाड़ी है।

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1227 स्टूडेंट्स को मिली डिग्री

बीटेक 462

बीटेकएमटेक 112

एमएससी 5 इयर 88

एमएससी 2 इयर 111

वीएलएफएम 37

एमबीए 46

एमडेस 12

एमटेक 282

पीएचडी 121

Posted By: Inextlive