मैं इकतारा मुझे लोग गोपीचन्द और गोपीयन्त्र के नाम से भी बुलाते हैं. मैं बहुत ही हल्का और सीधा सरल हूं. अगर आप मुझे नहीं पहचानते तो मैं आपको अपना परिचय दे देता हूं.
By: Surabhi Yadav
Updated Date: Sun, 27 Nov 2011 12:01 AM (IST)
मैं बैम्बू स्ट्रिप्स, स्ट्रिंग्स और जानवर की खाल से बना होता हूं और आप मुझे कई साइज़ेस में देख सकते हैं. अगर आप मुझसे बात करना चाहते हैं तो बस आप को धीरे से मेरी बैम्बू स्ट्रिप्स दबा कर मेरी स्ट्रिगंस को खींचना पड़ेगा और बस फिर देखिये मैं कैसे बोल पड़ता हूं. अरे क्या हुआ? यकीन नहीं होता है तो मैं याद दिलाना चाहता हूं आपको यादगार फिल्म को वो गाना जिसमें मैने बड़े ही सुरीले अंदाज़ में कई पोल खोली हैं और साथ ही साथ दुनिया का हाल भी सबको बताया है. मैं जानता था बस एक हिन्ट की ज़रूरत है और आपको याद आ जाएगा और आप भी मेरे साथ गुन गुनाने लगेगें ‘इकतारा बोले तुन तुन सुन मेरी कहानी सुन सुन...’
ये हुई ना बात, तो जब आपको याद आ ही गया है तो चलिए मैं बताता हूं कि और कौन कौन सी कहानियां हैं मेरे पिटारे में. 1970 में फिल्म यादगार में मैने मनोज कुमार के साथ कहानी सुनाई थी. वो कहानी समाज की बदलती दशा की थी और समाज पर एक कटाक्श थी. लोगों को ये कहानी इतनी पसंद आयी कि आज भी लोग इसे गुन गुनाते मिल जाते हैं क्योंकि 1970 से लेकर आज 2011 में हालात सुधरने के बजाय और बिगड़ गयें है. फिल्मों में सुरीली कहानियां सुनानी तो मैने बहुत बाद में शुरू की उससे पहले मैं घूम घूम कर लोगों को छोटी छोटी कहानियां और कविताएं सुनाता था. मुझे लोग अपने हाथ में पकड़े रहते थे और दूसरे हाथ से मेरी स्ट्रिंग्स को छेड़ कर मुझसे बात करते रहते हैं और मैं उन्हें नई नई कहानियां सुनाता रहता था.कभी साधू के हाथ में कभी बंजारों के हाथ में बस यहां से वहां तुन तुन करके लोगों को हर दिन कुछ नया बताता रहता था. फिल्मों में आने से पहले मैं साधुओं के साथ कीर्तन में भजन और सिन्ध में सूफी संगीत में कहानियां सुनाता था और आज भी सुनाता हूं. मैंने मीराबाई और चैतन्य महाप्रभु के साथ उनकी कर्ष्ण भक्ति की बहुत सारी कहानियां सुनाई हैं. बंगाल के बाउल सिंगर्स के साथ बहुत रहा और आज भी उनके साथ बदलती सोसाइटी के बारे में लोगों को बताता रहता हूं. पंजाब में तो मेरी धुन पर लोग भांगड़ा भी करते हैं.
अरे आपको पता है,
मैं घूमते घूमते बंगाल के मशहूर सिंगर पबन दास बाउल के साथ विदेश भी पहुंच गया. वहां इंटरनेशनल प्लेटफार्म पर मैंने लोगों को इंडिया के कलचर की खूब सारी कहानियां सुनाई.
वहां मुझे मेरे और साथी भी मिल गए. पबन दास बाउल की दुबकी और गिटार के साथ मेरी कहानी की धुन सबको बहुत पसंद आई. जहां मैं पहले अकेले कहानी सुनाता था अब सारे दोस्तों के साथ एक बैन्ड में मैं कहानी सुनाने लगा हूं. आज कल के लोगों को
फ्यूज़न बहुत पसंद है तो मैं उनके रंग में ढ़ल गया हूं और अब अपने पुराने कहानियों के साथ साथ नए लोगों को उनके अंदाज़ में भी कहानियां सुनाता हूं.
Story: Surabhi Yadav Posted By: Surabhi Yadav