-तमंचे से मर्डर केस में आगे नहीं बढ़ती पुलिस की जांच

-जांच बढ़े तो पकड़े जाएंगे असलहे की तस्करी करने वाले

BAREILLY: कहीं बेटों ने पिता की तमंचे से गोली मारकर हत्या की तो कहीं भतीजे ने बुआ की तमंचे से गोली मारकर हत्या कर दी। जिले में इस तरह की वारदातें लगातार सामने आती हैं, पुलिस प्रेस कॉन्फ्रेंस में वारदातों का खुलासा कर वाहवाही भी लूटती है लेकिन पुलिस यह नहीं पता लगाती कि वह तमंचा कहां से और कैसे आया था। यदि पुलिस इन सवालों के जवाब तलाश ले तो अवैध असलहे के तस्करों को आसानी से पकड़ा जा सके लेकिन ऐसा नहीं होता है। यही वजह है कि फिर किसी तमंचे से कोई किसी की जान ले लेता है। बरेली पुलिस के रिकॉर्ड को देखें तो वर्ष 2018 में अब तक करीब 550 केस आ‌र्म्स एक्ट के दर्ज हो चुके हैं, जिसमें 50 परसेंट केस अवैध तमंचे के ही होंगे।

केस 1- 11 अक्टूबर की रात सिरौली के केसरपुर गांव में घर के बरामदे में सो रहे वेदराम शर्मा की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में खुलासा किया कि हत्या बेटों ने की थी लेकिन पुलिस ने इस बात का खुलासा नहीं किया कि बेटे तमंचा कहां से लाए थे।

केस 2 -12 अक्टूबर भुता के रम्पुरा प्रवीन में नाई ने सीने में कैंची मारकर प्रेमपाल उर्फ मुन्नू की हत्या कर दी थी। पुलिस ने जब वारदात का खुलासा किया तो सामने आया कि हत्या की वजह गांव की मढ़ी के बाबा का तमंचा गायब होना है। अभी तक पुलिस ने तमंचे के बारे में पता नहीं किया है।

केस 3- 29 सितंबर को अलीगंज के गैनी में विनीता की हत्या कर दी गई थी। हत्या विनीता की भाभी और 14 वर्षीय भतीजे ने की थी। भतीजा ही तमंचा लाया था और उसने ही गोली चलाई थी। पुलिस ने वारदात का खुलासा कर दिया लेकिन तमंचा कहां से आया इसका खुलासा नहीं किया।

केस 4- 21 मार्च कैंट के सदर मार्केट में दिनदहाड़े फौजी अनिल की पत्‍‌नी से छेड़छाड़ का विरोध करने पर हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने हत्यारोपी और उसके भाई को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। लेकिन हत्या में इस्तेमाल तमंचा कहां से आया इस का पता लगाने की पुलिस ने जहमत नहीं उठायी।

यह चार केस तो एक बानगी हैं, ऐसे कई केस हैं, जिनमें तमंचे से गोली मारकर हत्या की गई है या फिर किसी ने तमंचे से खुद को गोली मारकर जान दे दी। यहां तक कि इज्जतनगर में 6 वर्षीय बच्ची की जान तमंचे की वजह से जाते-जाते बची लेकिन किसी भी केस में पुलिस ने दिलचस्पी नहीं दिखायी कि आखिर तमंचे की खेप कहां से आ रही है। कौन है जो शहर में धड़ल्ले से अवैध हथियारों की सप्लाई कर रहे हैं और लोग बिना डरे किसी की भी जान ले रहे हैं, चाहें जान चाहें फिर किसी अपने की न हो।

कारतूस का भी नहीं लगाते पता

अब जब तमंचा चलेगा तो गोली भी चलेगी लेकिन गोली यानी कारतूस कहां से आती है, इसका भी पुलिस पता नहीं लगाती है। तमंचे तो लोग अवैध तरीके से बना लेते हैं लेकिन अवैध तरीके से बनी गोली ज्यादा काम नहीं आती है। यह गोली या तो किसी लाइसेंसी हथियार रखने वाले या फिर हथियारों की बिक्री करने वाले दुकानदार से ली जाती है लेकिन पुलिस कारतूस के बारे में पता नहीं लगाती है।

आ‌र्म्स एक्ट में बंद करती है पुलिस

जब भी कोई अवैध हथियार मिलता है तो पुलिस आ‌र्म्स एक्ट के तहत कार्रवाई करती है। पुलिस मर्डर या सुसाइड केस में आ‌र्म्स एक्ट की एफआईआर दर्ज कर लेती है। इसके अलावा भी पुलिस कई अपराधियों को तमंचे के साथ गिरफ्तार करती है। पुलिस अक्सर दिखाती है कि तमंचे के साथ दो कारतूस भी मिले हैं लेकिन पुलिस जिससे तमंचा मिलता है, उससे पूछताछ कर यह नहीं पता लगाती कि उसने तमंचा और कारतूस किससे खरीदा था। कुछ दिन पहले ही इज्जतनगर पुलिस ने दो तस्करों को 14 निर्मित व अद्धनिर्मित हथियारों के साथ गिरफ्तार किया था। जिसमें एक पहले से ही धंधे में शामिल रहा था लेकिन उसकी निगरानी नहीं की गई।

550-आ‌र्म्स एक्ट के केस अब तक दर्ज

50-परसेंट केस में तमंचा व कारतूस की बरामद

29-थाने हैं बरेली में

Posted By: Inextlive