शहर में बेखौफ डग्गामार
- सड़कों पर दौड़ रहे अनफिट वाहन, आए दिन बनते हादसे का कारण
- आरटीओ व पुलिस की कार्रवाई का भी इन पर नहीं होता असरGORAKHPUR: जिस गाड़ी में तेज साउंड में भोजपुरी सॉन्ग और बाहर सर पर गमछा लिए पैसेंजर्स को चिल्ला-चिल्लाकर कोई बुलाए तो समझ लिजिए कि ये प्राइवेट बस के कंडक्टर साहब हैं। इस बस की खासियत ये होती है कि जब तक जितने लोग सीट पर बैठे हैं उतने ही लोग खड़े ना हो जाएं ये गाड़ी अपनी जगह से खिसकती नहीं है। रास्ते में प्राइवेट बस के नखरों का तो कहना ही क्या जहां मन किया मोड़ दिया। किसी ने अगर पूछ ही लिया कि अरे कहां मोड़ रहे हो तो जवाब मिलेगा कि चेकिंग हो रही है इसलिए रास्ता बदलकर निकल रहे हैं। कभी-कभी तो ये जवाब सुन पैसेंजर्स घबरा तक जाते हैं कि आखिर इस बस में ऐसा क्या है कि ये चेकिंग से भाग रहे हैं। बाद में पता चलता है कि ये प्राइवेट बस है, इनके पास सड़क पर चलने का ऑथराइज पेपर ही नहीं होता है इसलिए ये चेकिंग का नाम सुनकर इधर-उधर भागने लगते हैं।
हमने की पड़तालयमुना एक्सप्रेस वे पर हुए हादसे के बाद दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने गोरखपुर में भी रोडवेज और प्राइवेट बसों की पड़ताल शुरू की। बुधवार को दोपहर करीब 2 बजे दैनिक जागरण आई नेक्स्ट टीम यूनिवर्सिटी चौराहे पर बने अवैध प्राइवेट बस स्टैंड पर पहुंची। यहां पर लाइन से प्राइवेट बसें दोनों तरफ रोड पर खड़ी थीं। इनमें अधिकतर बसें तो देखने में ही अनफिट लग रही थीं। इसके बाद भी बस की छत पर अधिक मात्रा में लगेज बांधा गया था। वहीं सीटें तो करीब-करीब फुल हो गई थीं लेकिन अभी कंडक्टर पैसेंजर्स बुला रहा था। हालत ये थी कि बस एक तरफ पूरी तरह झुक गई थी। इसके बाद भी पैसेंजर्स इस बस में आ रहे थे।
ओवर स्पीड ही चलते ड्राइवर थोड़ी ही देर में दो से तीन और बसें तेज स्पीड में हॉर्न बजाते हुए वहां आ धमकीं। किसी ने पूछा अरे भाई इतना तेज क्यों चला रहे हो तो उधर से जवाब आया कि धीरे चलेंगे तो नंबर खिसक जाएगा। मतबल नंबर लगाने की होड़ में ये पूरे रास्ते तेज स्पीड में चलाकर 50-60 पैसेंजर्स की जिंदगी दांव पर लगा देते हैं। कहीं भी करा लेते सर्विसिंगप्राइवेट बस की खासियत केवल ये है कि वे रोडवेज बसों के अभाव में पैसेंजर्स का सहारा बनते हैं। लेकिन प्राइवेट बस चालकों की मनमानी उनकी सारी अच्छाई पर पानी फेर देती है। जिस बस में 50-60 पैसेंजर्स सफर करते हैं उसकी सर्विसिंग संचालक कहीं भी रोड छाप मैकेनिक से कराते हैं जबकि वे इतने ट्रेंड नहीं होते हैं। कम पैसे खर्च हों इसके लिए बस संचालक केवल टेंपरोरी काम कराने पर विश्वास रखता है। जिसके कारण अनफिट बस कभी भी खतरे का सबब बन सकती है। आए दिन प्राइवेट बस से हादसा होता है तब सामने आता है कि ट्रेंड ड्राइवर नहीं था और बस भी मेंटेन नहीं थी।
शहर में यहां से चल रहे डग्गामार पैडलेगंज, यूनिवर्सिटी चौराहा, धर्मशाला, रेलवे स्टेशन, बरगदवां, असुरन चौराहा, नौसड़ सहित कई और भी जगह हैं जहां से डग्गामार वाहन बेखौफ फर्राटा भरते हैं। कोट्स रास्ते में दूसरी बस में बैठाकर चले बस वाले चले गए। पूछा ऐसा क्यों कर रहे तो बोला कि चेकिंग हो रही है गाड़ी आगे नहीं जाएगी। विवेक सर्राफ सांस लेना भी दुश्वार हो जाता है। सीट फुल होने के बाद भी रास्ते भर रोक-रोक और पैसेंजर्स ठूंसते हैं। कुछ बोलो तो झगड़ा करने पर उतारू हो जाते हैं। बृजेश शुक्ला वर्जनअभी कुछ दिन पहले ही डग्गामार बसों पर कार्रवाई की गई थी। आए दिन अभियान भी चलाया जाता है। कुछ जगहों से अभी भी ये छुपकर चल रहे हैं। इन पर कार्रवाई की जाएगी।
डीडी मिश्रा, आरटीओ प्रवर्तन