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PATNA : आप जो दवा खा रहे हैं वह सही है या नहीं, क्या आपने इस बारे कभी सोचा है? अगर नहीं तो यह जान लीजिए कि जिस फार्मासिस्ट पर भरोसा करके आप दवा ले रहे हैं वह सरकारी रिकार्ड में फर्जी है. जी हां, पूरे बिहार में रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट की संख्या महज 4163 है जबकि फर्जी तरीके से 35 हजार से ज्यादा फार्मासिस्ट के रजिस्ट्रेशन हैं. इसकी पुष्टि बिहार स्टेट फार्मेसी काउंसिल की रेगुलेटरी बॉडी फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया ने की है. हैरत की बात यह है कि करीब 11 साल से जारी इस गोरखधंधे की जानकारी सरकारी मशीनरी को भी है पर जिम्मेदारों ने चुप्पी साध रखी है. इन हालात में यदि आपकी दवा गलत साबित हो जाए तो हैरत की बात नहीं.

धड़ल्ले से हो रहा रजिस्ट्रेशन

बिहार में फार्मासिस्ट के रजिस्ट्रेशन का फर्जीवाड़ा धड़ल्ले से जारी है. हर बार इस मामले पर पर्दा डाल दिया जाता है. इसलिए यदि आप बिहार में दवा खरीद रहे हैं तो यह खतरनाक भी साबित हो सकता है. दरअसल काउंसिल का संचालन वर्ष 2007 के बाद से ही फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) के नियमों के अनुसार नहीं हो रहा है. बिहार स्टेट फार्मेसी काउंसिल में अब तक कितने कैंडिडेट रजिस्टर्ड हैं और काउंसिल क्या नियमानुसार संचालित हो रहा है? इस सवाल का जवाब जानने के लिए स्वयं फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया की टीम बीएम दास रोड स्थित स्टेट काउंसिल के ऑफिस पहुंची. लेकिन इसकी पूर्व सूचना होने के बावजूद काउंसिल का कोई मेंबर नहीं मिला. दैनिक जागरण आई नेक्स्ट से यह बात शेयर करते हुए पीसीआई के मेंबर कुमार अजय ने दी.

रजिस्ट्रेशन की बात छिपायी

देशभर की सभी स्टेट फार्मेसी काउंसिल की गवर्निग बॉडी होने के नाते फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया का हर स्टेट काउंसिल सालभर में रजिस्टर्ड किये गए फार्मासिस्टों की संख्या प्रति वर्ष मांगती है. इसे एक अप्रैल से पहले सभी स्टेट काउंसिल को भेजना होता है. ताकि उस संख्या को भारत सरकार गजट में शामिल कर सके. लेकिन बिहार में रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट की सूचना 1997 के बाद से भारत सरकार के पास पहुंची ही नहीं. पीसीआई के मेंबर कुमार अजय ने बताया कि देश की आजादी के बाद से अब तक जो भारत सरकार के पास बिहार के रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट का डाटा है वह मात्र 4163 है.

वर्तमान में 35000 से अधिक हो चुके हैं रजिस्ट्रेशन

बिहार फार्मेसी काउंसिल में वर्तमान समय में मान्यता नहीं होने के बाद भी रजिस्ट्रेशन का खेल चल रहा है. यहां करीब 35000 रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं. जबकि भारत सरकार के रिकार्ड में अब तक बिहार में रजिस्टर्ड फार्मासिस्टों की संख्या महज 4163 है. 29 जून, 2016 को पीसीआई के विभिन्न स्टेट के अपडेटेड डेटा में भी यही संख्या दर्ज है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि एक स्टेट काउंसिल के रूप में सरकार के समानांतर व्यवस्था चलायी जा रही है.

सरकार नहीं कर रही सहयोग

यदि सही दवा से मरीजों की जिंदगी बच जाती है तो गलत दवा के सेवन से उनकी जान पर भी बन आती है. इस बात को बिहार सरकार जानकर भी अनदेखा कर रही है क्योंकि इस मामले में पीसीआई ने रजिस्ट्रेशन की संख्या जानने के लिए सरकार से सहयोग लेने की कोशिश की लेकिन सहयोग नहीं मिला. सूत्रों का कहना है कि इसके पीछे संस्थान के वरिष्ठ पदाधिकारियों का हाथ है. इसकी पुष्टि काउंसिल के एक मेंबर ने भी की है.

Posted By: Manish Kumar