- रसोई गैस से बनाए जा रहे बस, ट्रक और बिल्डिंग

- सस्ते के चक्कर में हॉकर से लेते हैं ब्लैक सिलेंडर

GORAKHPUR: सिटी की गैस एजेंसियों पर कंज्यूमर्स की कतारें लगी हुई, लोगों को समय से गैस नहींमिल रही है। सिटी की हालत यह है कि लोग सुबह ब् बजे ही गैस सिलेंडर के लिए लाइन लगाते है, लेकिन उनकी बदनसीबी देखिए इतनी जद्दोजहद के बाद भी उनके घर का चूल्हा बमुश्किल से जल पाता है। आखिर कहां जा रही आपकी एलपीजी? इस बारे में कुछ शिकायतें आई नेक्स्ट को मिली। आई नेक्स्ट टीम ने जब पूरे मामले की पड़ताल की तो सामने आया चौंकाने वाला खुलासा। आपको जानकर हैरानी होगी कि आपकी एलपीजी का यूज बसों, ट्रकों की बॉडी बनाने में यूज हो रहा है। इतना ही नहींसिटी में जितनी भी शानदार इमारतें बुलंद हो रही है उनमें भी घरेलू एलपीजी का यूज वेल्डिंग के लिए हो रहा है। दूसरी तरफ हजारों कंज्यूमर्स एलपीजी न मिल पाने के कारण परेशान हैं, लेकिन डिस्ट्रिक्ट सप्लाई डिपार्टमेंट एक्शन लेने की बजाय कुंभक र्णी नींद में है।

धड़ल्ले से हो रहा है यूज

सिटी में करीब ख्7 गैस एलपीजी एजेंसी हैं। इन एजेंसीज पर करीब साढ़े तीन लाख एलपीजी कंज्यूमर्स हैं, लेकिन इनमें से फ्0 हजार से उपर कंज्यूमर्स हैं ऐसे हैं जिन्हें स मय से सिलेंडर न मिलने के चलते मायूसी हाथ लगती है। जब इनकी मायूसी की वजह आई नेक्स्ट ने तलाशी तो सारी सच्चाई सामने आ गई। दरअसल, सिटी के डिफरेंट एरियाज में सैकड़ों बस और ट्रक ऑपरेटर्स हैं, वे अपने गाडि़यों के बॉडी पा‌र्ट्स जोड़ने के लिए और ऐसे ही कई काम के लिए साथ ही वेल्डिंग के लिए घरेलू सिलेंडर का यूज कर रहे हैं। जबकि इसके लिए कर्मिशयल गैस का यूज किया जाता है। उनके घरेलू गैस यूज करने की वजह है कमर्शियल गैस सिलेंडर का मंहगा होना। कमर्शियल की मार्केट में कीमत करीब क्भ्00 रुपए है तो घरेलू सिलेंडर 700-800 रुपए में आसानी से मिल जाता है। अपनी जेब पर दबाव कम करने के लिए वे हॉकरों से घरेलू एलपीजी खरीद लेते हैं। जबकि उनकी वजह से सिटी के हजारों कंज्यूमर्स परेशान होते हैं। ऐसा नहींहै कि इस बारे हॉकरों की कारगुजारियां गैस एजेंसीज मालिकों को पता नहींहै, लेकिन वे भी आंख मूंदे हुए हैं।

एलपीजी से बन रही बिल्िडग और व्हीकल

स्टेशन रोड स्थित बस ऑपरटेर्स के वेल्डिंग करने वाले मैकेनिक से जब आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने बात की तो उसने बताया कि घरेलू गैस का इस्तेमाल लोहा काटने के लिए किया जाता है। चूंकि कामर्शियल सिलेंडर से यह सस्ता होता इसलिए हॉकर से 700-800 रुपए में खरीदा जाता है। उसने बताया कि कमर्शियल सिलेंडर इतना मंहगा होता है कि वह उनकी जेब पर भारी पड़ता है। इसके बाद आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने पाया कि सिटी कि कई एरियाज में जहां जहां इमारतें बन रही हैं वहां भी घरेलू गैस का धड़ल्ले से यूज किया जा रहा है। अब यह समझ की जरूरत है क्या यह सब बिना गैस एजेंसी की मिली भगत से हो सकता है?

चार से पांच हजार का चल रहा है बैकलॉग

सिटी की डिफरेंट गैस एजेंसी पर बैगलॉग की बात करें तो प्रत्येक एजेंसी पर ब्-भ् हजार की बैकलॉग है। वहीं एलपीजी कंज्यूमर्स गैस सिलेंडर के लिए गैस एजेंसी के चक्कर लगा-लगाकर थक चुके हैं। तंरग क्रासिंग स्थित गैस एजेंसी के एलपीजी कंज्यूमर राकेश कुमार बताते हैं कि इतनी बार चक्कर लगा चुका हूं कि सैकड़ों रुपए के पेट्रोल जल गए हैं। लेकिन उसके बाद भी सिलेंडर नहीं मिला। वहीं डिस्ट्रिक्ट सप्लाई डिपार्टमेंट है कि कोई कार्रवाई ही नहीं करता है।

वर्जन

गलत ढंग से एलपीजी का इस्तेमाल करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी। रसोई के लिए घरेलू गैस का इस्तेमाल किया जाता है।

कमल नयन सिंह, डीएसओ, डिस्ट्रिक्ट सप्लाई डिपार्टमेंट

Posted By: Inextlive