- 1980 में एक व्यक्ति पर देहरादून में झोंका था फायर

- 33 वर्ष तक रहा फरार, जमीन के सौदे के लिए दून आया तो पुलिस ने दबोचा

- 6 वर्ष तक चली कोर्ट में सुनवाई, 39 साल बाद हुई सजा

- एडीजे चतुर्थ की कोर्ट ने सुनाई 7 साल साधारण कारावास की सजा, अर्थदंड भी

देहरादून: कानून से बड़ा कोई नहीं होता, अपराधी कानून के फेर से नहीं बच सकता चाहे वह कितना भी शातिर क्यों न हो. ये बात सही साबित हुई है, अटैंप्ट टू मर्डर के एक केस में आरोपी को कोर्ट ने 39 वर्ष बाद दोषी करार देते हुए सजा दी है. अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश चतुर्थ शंकर राज की कोर्ट ने वर्ष 1980 में हुई इस वारदात में सुनवाई करते हुए आरोपी को दोषी करार देते हुए 39 साल बाद दोषी को 7 साल की सजा सुनाई है.

1980 में हुई वारदात

सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता जया ठाकुर ने कोर्ट को बताया कि वारदात 21 सितंबर 1980 की है. छोटेलाल पुत्र सूरजबली कुर्मी निवासी डीएल रोड, नालापानी में अमरूद के बाग की रखवाली करता था. दोपहर करीब दो बजे राजपुर निवासी आरोपी सुरेश सिंह पुत्र स्व. इंदर सिंह बाग में आया और छोटेलाल से बाग की रखवाली छोड़ने को कहा. छोटेलाल ने विरोध किया तो सुरेश ने तमंचे से उस पर फायर झोंक दिया. घटना के समय छोटेलाल का भतीजा जयचंद ने सुरेश को भागते देखा. घायल छोटेलाल को अस्पताल में भर्ती कराया, उसकी जान बच गई. अगले दिन राजपुर थाने में केस दर्ज किया गया. पुलिस ने सुरेश को अरेस्ट कर जेल भेजा. मामले में चार्जशीट भी दाखिल की गई, हालांकि इस बीच उसे जमानत मिल गई. 3 जुलाई 1982 को कोर्ट ने उस पर आरोप भी तय कर दिए. वर्ष 1985 तक सुरेश कोर्ट में पेशी पर भी आता रहा. इस दौरान छोटेलाल और जयचंद समेत 3 की गवाही भी हो चुकी थी, लेकिन तभी वह फरार हो गया.

33 वर्ष बाद गिरफ्तारी

कोर्ट ने कई बार उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किए. बाद में उसे फरार घोषित कर दिया गया. 12 सितंबर 2018 को पुलिस ने उसे अरेस्ट किया. इसके बाद केस की सुनवाई दोबारा शुरू हुई. सैटरडे को कोर्ट ने उसे दोषी करार देते हुए 7 साल कैद की सजा सुनाई. सुरेश पर कोर्ट ने 30 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है.

28 साल में वारदात, 67 की उम्र में सजा

अटैंप्ट टू मर्डर के आरोपी सुरेश ने जिस समय वारदात को अंजाम दिया, उसकी उम्र करीब 28 साल थी. 33 साल तक फरार रहने के बाद सितंबर 2018 में वह चंद्रौटी स्थित अपनी पुश्तैनी जमीन बेचने के लिए आया. इस बात की भनक पुलिस को लग गई और उसे 12 सितंबर 2018 को अरेस्ट कर लिया गया. इसके बाद करीब 6 वर्ष तक कोर्ट में सुनवाई चली, अब जब उसे सजा दी गई है तो उसकी उम्र करीब 67 साल के करीब है.

हिमाचल प्रदेश में काटी फरारी

देहरादून से फरार होने के बाद अटैंप्ट टू मर्डर का आरोपी सुरेश हिमाचल प्रदेश चला गया. वहां अपना नाम बदलकर उसने सूरज बहादुर कर लिया और सूमा देवी नाम की युवती से शादी भी कर ली. कांगड़ा में उसने अपना पहचान पत्र भी बनवा लिया. उसकी पत्नी सूमा ने उसके बचाव में कोर्ट में गवाही भी दी थी.

Posted By: Ravi Pal