-डिस्ट्रिक्ट के अधिकतर ऑफिसेज में टॉयलेट-वॉशरूम के लिए लेडीज होती हैं परेशान

-अधिकतर ऑफिसेज की बहुत बुरी है कंडीशन, सिर्फ सार्वजनिक टॉयलेट का है सहारा

VARANASI: डिस्ट्रिक्ट के गवर्नमेंट ऑफिसर्स में डीएम की सुप्रीम पावर होती है। उनकी कार्यशैली लोगों को पसंद है। सिटी से इनक्रोचमेंट यदि खत्म हुआ है तो वह डीएम साहब की बहादुरी का नतीजा है। जिले भर का ख्याल डीएम साहब रखते हैं लेकिन अपने ऑफिस के आस-पास का ख्याल रखने में डीएम साहब चूक जाते है। विकास भवन, कोषागार, रजिस्ट्री व एसएसपी ऑफिस में लेडीज टॉयलेट-वाशरूम की कंडीशन बहुत ही खराब है। अधिकतर ऑफिसेज के लेडीज टॉयलेट लॉक रहे जबकि कई वाशरूम्स को स्टोर रूम का शक्ल दे दिया गया है। ऐसे में लेडीज ईम्पलाइज और फरियादियों को काफी प्रॉब्लम होती है।

विकास भवन

बात की शुरुआत हम विकास भवन से करते हैं। जहां से पूरे जिले के डेवलपमेंट का खाका खींचा जाता है। लेकिन लेडीज टॉयलेट-वाशरूम के नाम पर सिर्फ सेकेंड फ्लोर ही ओपेन रहता है। वह भी इसलिए कि सेकेंड फ्लोर पर ही सीडीओ विशाखजी का ऑफिस है इसलिए टॉयलेट को ओपेन रखा गया है लेकिन फ‌र्स्ट, थर्ड, फोर्थ और फिफ्थ फ्लोर के अधिकतर लेडीज टॉयलेट-वॉशरुम लॉक ही रहते हैं। सिर्फ जेंट्स टॉयलेट ही ओपेन रहे लेकिन उसकी भी कंडीशन भी ऐसी रही कि जैसे सदियों से सफाई नहीं हुई हो। पांचवीं मंजिल के लास्ट के टॉयलेट में चेयर व कबाड़ रखा गया था।

रजिस्ट्री ऑफिस

जिले को सबसे अधिक राजस्व देने वाले रजिस्ट्री ऑफिस का भी हाल बहुत दयनीय है। रजिस्ट्री ऑफिस में इंट्री करते ही सामने टेबल पर फाइल के पन्ने उलट-पलट रहे एक कर्मचारी से आई नेक्स्ट टीम ने पूछा कि टॉयलेट किस तरफ है। काफी देर तक नीचे से ऊपर तक देखने के बाद कर्मचारी ने आलमारी से घिरे एक ऐंगल की ओर इशारा करते हुए कहा कि देखिए उस तरफ होगा लेकिन लॉक होगा। जिसकी चाभी हमारे पास नहीं है। इसके बाद ऊपर के फ्लोर को खंगाला गया तो अधिकतर लेडीज टॉयलेट वाशरूम लॉक रहे। जबकि एक वाशरूम का दरवाजा ही डैमेज था और टॉयलेट में रद्दी कागजात सहित कबाड़ भरा हुआ था। एक भी टॉयलेट वॉशरूम ऐसा नहीं मिला जिसे लेडीज यूज कर सकें।

डीएम ऑफिस

जिसके एक इशारे पर शहर का कलेवर चेंज हो जाए उस ऑफिसर के ऑफिस कैंपस में एक भी टॉयलेट-वाशरूम नहीं है। डीएम ऑफिस में इंट्री करते ही लेफ्ट साइड में एक टॉयलेट-वाशरूम है लेकिन उस पर भी ताला लटकता रहता है।

डीएम साहब के ऑफिस में जरूर टॉयलेट है लेकिन उनके अलावा दूसरा कोई उसे यूज नहीं कर सकता। डीएम ऑफिस के पीछे एक सार्वजनिक टॉयलेट बना हुआ है लेकिन उसके लिए फरियादियों को पैसे देने पड़ते है। लेडीज टॉयलेट-वाशरूम की बात करें तो इस ऑफिस में नहीं है।

एसएसपी ऑफिस

पूरे शहर की कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी संभालने वाले एसएसपी साहब के ऑफिस में टॉयलेट-वॉशरूमको नदारद ही मान लीजिए। क्योंकि एसएसपी ऑफिस के पीछे एक टॉयलेट-वाशरूम जरूर है लेकिन लेडीज टॉयलेट में ताला चढ़ा है। सिर्फ जेंट्स टॉयलेट ही ओपेन रहता है लेकिन उसकी भी कंडीशन ऐसी है कि कोई भी जेंट्स उसे यूज नहीं करता। रहा सवाल लेडीज का तो उनके लिए प्रॉब्लम और भी क्रिटकल होती है। मजबूरीवश लेडीज को सार्वजनिक टॉयलेट यूज करना पड़ता है।

कचहरी कैंपस

शहर का एक भी परसन ऐसा नहीं होगा जो कचहरी से तालुक्कात न रखता हो। लगभग पांच हजार एडवोकेट्स इसमें दो सौ लेडिज एडवोकेट्स, आठ से दस हजार फरियादी जो डेली कचहरी में न्याय के लिए पहुंचते है। इसमें लेडीज की भी भागीदारी होती है। पूरे कचहरी कैंपस में ऐसा एक भी टॉयलेट-वॉशरुम नहीं देखने को मिलेगा जिसे लेडीज यूज कर सके। गंदगी से पटे, डैमेज डोर, उखड़े हुए टाइल्स-पाट यहां के टॉयलेट-वॉशरूम है। पुलिस चौकी के समीप एक सार्वजनिक टॉयलेट-वाशरूम है। जिसे लेडीज व जेंट्स दोनों यूज करते हैं।

कोषागार कार्यालय

ट्रेजरी ऑफिस में लेडीज के लिए टॉयलेट-वॉशरूम की कुछ खास फैसिलिटीज अवेलेबल नहीं है। यहां तक कि जेंट्स टॉयलेट भी ठीक-ठाक नहीं है। ट्रेजरी ऑफिस में इंट्री करते ही दाहिने साइड के गैलरी के लास्ट में एक टॉयलेट-वाशरूम है लेकिन उसमें कूलर कबाड़ रखा हुआ है। यहां के इम्पलाईज टॉयलेट-वॉशरूम के लिए दूसरे ऑफिस का रुख करते है।

Posted By: Inextlive