Jamshedpur : प्राइवेट स्कूल्स ने एडमिशन के नाम पर जो धांधली मचा रखी है उसे हम रोकेंगे. उनकी मनमानी नहीं चलेगी’ दिल्ली विधानसभा में वोट ऑफ कांफिडेंस के दौरान सीएम केजरीवाल के ये शŽद न सिर्फ प्राइवेट स्कूल्स की मनमानी के ऊपर थे बल्कि आरटीई एक्ट के असफल होने की कहानी भी कह रहे थे. प्राइवेट स्कूल्स की मनमानी सिर्फ दिल्ली में ही नहीं चल रही बल्कि सिटी में भी हाल कुछ ऐसा ही है. हर साल लगभग 15 परसेंट फीस हाइक तो कर दी जाती है लेकिन पैसे कहां जा रहे और टीचर्स-स्टूडेंट्स को कितनी फैसिलिटीज प्रोवाइड की जा रही हैं ये तो सभी के सामने है. सिटी के स्कूल्स में भी आरटीई एक्ट का उल्लंघन बखूबी हो रहा.

फेल हो गया RTE Act

प्राइवेट स्कूल्स में एंट्री लेवल पर इंटरव्यू को खत्म कर देने और उसकी जगह स्कूल्स द्वारा एडमिशन के लिए की गई नई व्यवस्था पर लगातार सवाल उठते रहे हैं। स्कूल्स द्वारा एडमिशन प्रोसेस में ट्रांसपेरेंसी नहीं अपनाए जाने की बात सामने आती रही हैं। बीपीएल कोटे में एडमिशन को लेकर एडमिनिस्ट्रेशन का जोश ठंडा पड़ चुका है। एजुकेशनिस्ट ललिता शरीन कहती हैं कि आरटीई के इंप्लीमेंटेशन की जिम्मेवारी गवर्नमेंट और स्कूल दोनों की है। उनका कहना था कि एडमिनिस्ट्रेशन की सुस्ती की वजह से ही आरटीई सक्सेसफुल होता नहीं दिख रहा।


एसोचेम की रिपोर्ट में भी फीस हाइक की चर्चा
द एसोसिएटेड चेंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचेम) की रिपोर्ट में कहा गया था कि 2005 से 2010 के बीच टॉप प्राइवेट स्कूल्स में 120 परसेंट फीस हाइक हुई है और टोटल एजुकेशन कॉस्ट में 300 परसेंट की बढ़ोतरी हुई है। जबकि इसी दौरान लोगों के इंकम में 30-40 परसेंट की ही ग्रोथ हुई। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि वन मेंबर अर्निंग फैमिली के लिए एक से ज्यादा बच्चों को पढ़ाना काफी मुश्किल है।


ट्रेंड टीचर्स तो मिलते ही नहीं
क्वालिटी एजुकेशन को ध्यान में रखते हुए यह प्रावधान है कि  प्राइवेट स्कूल्स को ट्रेंड टीचर्स रखने होंगे। सिटी स्थित प्राइवेट स्कूल्स में ट्रेंड और अनटे्रंड टीचर्स का क्या रेशियो है इसकी जानकारी एजुकेशन डिपार्टमेंट को नहीं। सच यह है कि स्कूल्स में 50 परसेंट से ज्यादा अनट्रेंड टीचर्स बच्चों को पढ़ा रहे। जमशेदपुर अनएडेड स्कूल एसोसिएशन के सेक्रेटरी एपीआर नायर कहते हैं कि बीएड टीचर्स स्कूल्स को मिलते ही नहीं। ऐसे में वे अनट्रेंड टीचर्स को काम पर रखते हैं और 3 साल के अंदर उन्हें बीएड करना होता है। इसका दूसरा पहलू यह है कि अनट्रेंड टीचर्स कम पैसे में मिल जाते हैं जबकि ट्रेंड टीचर्स को ज्यादा पे करना होता है। इस वजह से स्कूल्स अनट्रेंड को प्रायोरिटी देते हैं।

स्कूल्स समझें अपनी जिम्मेवारी
आरटीई के तहत यह भी प्रावधान है कि 8वीं क्लास तक बच्चों को फेल नहीं करना है। कई बार इसपर सवाल उठते रहे हैं कि इससे बच्चे 10वीं बोर्ड में अच्छा परफॉर्म नहीं कर पाते। टेल्को स्थित विद्या भारती चिन्मया स्कूल की प्रिंसिपल विपिन शर्मा कहती हैं कि टीचर्स को यह जिम्मेवारी समझनी होगी और उन्हें पढ़ाई में कमजोर पड़ रहे स्टूडेंट्स को ध्यान देकर उस लायक तो बनाना ही होगा कि वे पास कर पाएं। उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों के इंटरेस्ट को देखते हुए उनके टेलेंट को सही दिशा में आगे ले जाने की जिम्मेवारी भी स्कूल और पेरेंट्स की है। उन्होंने कहा कि एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज में भी बच्चों पर खास ध्यान देना होगा।

6 महीने बाद भरते हैं या पहले?  
आरटीई के तहत सभी प्राइवेट स्कूल्स को एंट्री लेवल पर 25 परसेंट सीट्स वीकर सेक्शन के बच्चों के लिए रिजर्व रखना होता है। सिटी में काफी संख्या में ऐसे स्कूल्स हैं जहां इस केटेगरी में काफी सीट्स खाली रह जाती हैं। स्कूल मैनेजमेंट का कहना है कि वे छह महीने वेट करने के बाद इन खाली सीट्स पर जेनरल कैटेगरी के स्टूडेंट्स का एडमिशन लेते हैं। पर वे छह महीने वेट करते या उससे पहले एडमिशन ले लेेते हैं इसकी खबर एजुकेशन डिपार्टमेंट को भी नहीं है। जमशेदपुर अनएडेड स्कूल्स एसोसिएशन के सेक्रेटरी एपीआर नायर कहते हैं कि 6 महीने तक वेट करने के बाद क्या किया जाए यह क्लियर नहीं होने की वजह से कई स्कूल्स वीकर सेक्शन की खाली रह गई सीट्स को जेनरल केटेगरी के बच्चों का एडमिशन लेकर उसे फुल कर लेते हैं।
बीपीएल सीट्स पर एडमिशन और उसपर वेकेंट सीट्स पर जेनरल केटेगरी के बच्चों का एडमिशन और स्कूल्स में ट्रेंड एवं अनट्रेंड टीचर्स का डिटेल्स हमारे पास स्कूल्स नहीं भेजते। आरटीई को लेकर तो गवर्नमेंट ही सीरियस नहीं है, वीकर सेक्शन के बच्चों की फीस अभी तक स्कूल्स को नहीं मिली।
- इंद्रभूषण सिंह डीएसई, ईस्ट सिंहभूम


आरटीई को जिस मकसद से लागू किया गया था वह पूरा होता नहीं दिख रहा। इसके लिए सिर्फ स्कूल्स ही जिम्मेवार नहीं। गवर्नमेंट की लापरवाही की वजह से ऐसा हो रहा है। आरटीई को इंप्लीमेंट करने को लेकर स्टेट गवर्नमेंट सीरियस नहीं दिखती।
- ललिता सरीन, एजुकेशनिस्ट
ट्रेंड टीचर्स नहीं मिलने की वजह से अनट्रेंड टीचर्स को अप्वॉइंट कर लिया जाता है लेकिन बाद में उन्हें बीएड करना होता है। वीकर सेक्शन की 25 परसेंट सीट्स नहीं भरने की स्थिति में 6 महीने वेट करने के बाद उसे जेनरल केटेगरी के बच्चों से भर लिया जाता है।
- एपीआर नायर, सेक्रेट्री जमशेदपुर अनएडेड स्कूल एसोसिएशन
8वीं तक बच्चों को फेल नहीं करना। अगर इस वजह से बोर्ड में उस बच्चे का रिजल्ट खराब हो रहा तो इसके लिए स्कूल ही जिम्मेवार है। टीचर्स की यह जिम्मेवारी है कि वह बच्चों को इस लायक तो जरूर बनाएं कि वह पास कर पाए। एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज में बच्चों को हम आगे ले जाने का काम तो करते ही हैं।
- विपिन शर्मा, को-ऑर्डिनेटर सीबीएसई जमशेदपुर एरिया

Report by :amit.choudhary@inext.co.in

Posted By: Inextlive