हादसे की लटकी तलवार, दावों तक सिमटी शहर की सरकार
- शहर में सड़क के किनारे सूखे पेड़ दे रहे दुर्घटना को दावत
- आईजीआरएस पर शिकायत के डेढ़ साल बाद भी नहीं हो रही कार्रवाई - आंधी-बारिश में कभी भी हो सकता है हादसाGORAKHPUR: शहर में सौ से अधिक पेड़ खड़े-खड़े ही सड़ गए हैं। पिछले 15 दिनों में चार आंधी आ चुकी हैं, भारी बारिश भी हो चुकी है। जिसके कारण दो दर्जन से अधिक पेड़ गिर चुके हैं। इन पेड़ों के गिरने से दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं। पेड़ों के नीचे आने से कई गाडि़यों क्षतिग्रस्त हुईं तो लोगों को भी चोटें आई हैं। लेकिन ऐसी घटनाओं से नगर निगम के अधिकारियों ने कोई सबक नहीं लिया। जिसके कारण अभी भी सैकड़ों पेड़ गिरने की कगार पर खड़े हैं, इन पेड़ों के पास से गुजरने वाले लोग हमेशा इस खौफ में रहते हैं कि कहीं पेड़ गिर न जाए। लेकिन हैरानी है कि अभी तक नगर निगम ऐसे पेड़ों को चिन्हित तक नहीं कर सका है, उनके खिलाफ अभियान चलाना तो दूर की बात है।
निगम और वन विभाग में उलझा मामलाखतरे की घंटी बने सूखे पेड़ों के बारे में नगर निगम का कहना है कि पेड़ हम लगाते जरूर हैं लेकिन उन्हें काटने का काम वन विभाग करता है। हमारे पास अगर कोई शिकायत होती है तो हम उन्हीं को रेफर कर देते हैं। वन विभाग अगर हमसे कोई मदद मांगता है तो हमारे पास मैन पॉवर है, गाडि़यां हैं, हम मदद करने को पूरी तरह से तैयार हैं। जबकि वन विभाग कह रहा है कि नगर निगम के एरिया में जब तक निगम की ओर से हमें जर्जर हो चुके पेड़ों की सूची नहीं मिलती है, हम कार्यवाही नहीं कर सकते हैं। यानि दोनों विभागों की आपसी खींचतान में पेड़ों को पूछने वाला कोई नहीं है। ऐसी स्थिति में अगर कोई दुर्घटना घटती है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा?
डेढ़ साल से लटकी आईजीआरएस पर शिकायतसूरजकुंड धाम में एक पीपल का पेड़ वर्षो से सूखा हुआ है। पिछले दिनों की आंधी में उसका हिस्सा टूटकर गिर गया था, रात में गिरने की वजह से दीवार ही टूटी। सूर्यकुंड धाम जीर्णोद्धार समिति के अमरदीप गुप्ता ने दिसंबर 2017 में आईजीआरएस पोर्टल पर शिकायत की। वन विभाग ने पहले निगम का स्वामित्व होने के कारण उससे अनुमति के लिए मूल्यांकन पत्र भेजा। फिर नगर निगम की ओर से रिपोर्ट लगाई गई कि जेई ने व्यक्तिगत निरीक्षण के बाद काटने के लिए संबंधित को निर्देशित कर दिया है। इसके बाद मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी इस पर रिपोर्ट लगाते हुए कहा कि प्रकरण का संबंध नगर निगम से नहीं है। 19 अप्रैल 2018 को नगर आयुक्त की ओर से फिर रिपोर्ट लगाई गई कि पेड़ कटवाने के लिए नीलामी की कार्यवाही की जा रही है। इस बार-बार के वादों के बीच पेड़ अभी भी खतरे का सबब बना हुआ है।
कोट्स पेड़ अगर टूटकर गिरता है तो मंदिर को नुकसान होगा ही, दिन में गिरने पर राहगीरों को भी गंभीर चोट लग सकती है। निगम की लापरवाही के कारण डेढ़ साल की शिकायत के बाद भी अभी तक केवल आश्वासन मिल रहा है। - अमरदीप गुप्ता, उपाध्यक्ष सूर्यकुंड धाम जीर्णोद्धार समिति वर्जन नगर निगम क्षेत्र में भी हमें पेड़ काटने का अधिकार नहीं है। पेड़ काटने के लिए अगर वन विभाग हमसे कोई मदद मांगता है तो हम जरूर करेंगे। हमारे पास लेबर भी हैं और गाडि़यां भी। - प्रेम प्रकाश सिंह, नगर आयुक्तसड़कों के किनारे पेड़ों की जड़ों को सीमेंट से ढक दिया जाता है। जिसके कारण उन्हें पोषण नहीं मिल पा रहा है। यही वजह है कि पेड़ ज्यादा संख्या में सूख रहे हैं। हम उनको लेकर तभी कार्यवाही कर सकते हैं जब नगर निगम हमें उनकी सूची देकर कार्यवाही को कहे।
- आर हेमंत कुमार, मुख्य वन संरक्षक अधिकारी